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UP का वह गाँव, जहां लोगों को लगता है कि भाग्य में लिखा होने से ही कोरोना होगा

फोटो साभार- विवेक

फोटो साभार- विवेक

कोरोना संक्रमण के बीच सरकारी और आधिकारिक निर्देशों के अतिरिक्त अनेक तरह की अफवाहें लोगों की मोबाइलों के इनबॉक्स में फैल रही हैं। इन अंधविश्वासों एवं अफवाहों से हमें बचना होगा।

मुझसे मिलने वाले अधिकांश लोग बड़े ही भयभीत दिखाई दिए। मैंने अपने आस-पास के अधिकांश ग्रामीण लोगों में जागरूकता फैलाते हुए उन्हें इस कोरोना से बचने के बारे में अवगत कराया।

कोरोना से बचने के उपाए जो मैंने ग्रामीणों को बताए

फोटो साभार- विवेक

मैंने उन लोगों को बताया कि कोरोना से बचने का उपाय साफ-सफाई है। हमें कुछ समय-समय के अंतराल पर अपने हाथों को धुलते रहना चाहिए। मैंने उनको समझाया जितना सम्भव हो सके अपने मुंह, आंख, नाक और कान जैसी चीजों को हाथ से छूने से बचा जाए। अगर आपको अपना मुहं छूना बहुत आवश्यक ही हो तो आप अपने बाजुओं से छुएं।

अगर किसी को ज़ुखाम हुआ हो तो उससे दूरी बनाकर रखा जाए। साथ ही साथ मैंने उन लोगों को यह भी समझाया कि जिसको ज़ुखाम या खांसी हुआ है, एक ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते उसका भी कर्तव्य है कि वह लोगों से दूरी बनाकर रखे। अगर उस ज़ुखाम पीड़ित व्यक्ति को खांसी आदि आती है तो उसे खुद रूमाल आदि चीज़ों से अपना मुख ढक लेना चाहिए।

मैंने उन्हें बताया कि कुछ लोगों की यह आदत होती है कि वे दांतो से अपने नाखून को चबाते रहते हैं और ना चाहते हुए भी उनके नाखून दांतो के नीचे चले ही जाते हैं। इससे बचने के लिए मैंने उन्हें सलाह दी कि वे इस आदत को छोड़ दें। इससे बचने के लिए मैने उन्हें बताया कि ऐसे लोग मुहं में टॉफी आदि कोई भी चीज़ अगर चूसते रहते हैं तो ओ नाखून चबाने से बच सकते हैं।

ग्रामीणों ने क्या कहा?

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभा- Flickr

मैं यह सब समझा ही रहा था कि इतने में एक व्यक्ति बोल पड़ा,

जिसको ये रोग होना होगा स्वतः ही हो जाएगा। ये सब ईश्वर के ऊपर है।

मैं उसके इस तर्क को सुनकर तनिक भी अचंभित नहीं हुआ, क्योंकि ग्रामीण इलाकों में आज भी लोग भाग्य पर यकीन करते हैं। वे अधिकांश घटनाओं को भाग्य में लिखा होना ही मानते हैं। फिर भी मैनें उसे उसी की शैली में समझाने के बारे में सोचा।

मैंने उस आदमी को बड़े प्यार से समझाया कि अगर आप सफाई करेंगे तो ईश्वर भी आपको पसंद करेगा, क्योंकि ईश्वर को भी साफ सफाई से प्यार है।

इस सलाह के बाद वह आदमी चुप रहा और कहा, “मैं बिल्कुल सफाई पर ध्यान दूंगा।” इतने में एक व्यक्ति बोल पड़ा, “क्या हर व्यक्ति जिसको ज़ुखाम है उसको कोरोना ही है?”

मैंने उससे कहा, “बिल्कुल नहीं।” यदि किसी व्यक्ति को ज़ुखाम या खांसी है, तो इसका मतलब यह नहीं कि उसको कोरोना ही है, फिर भी हमें सावधानी बरतनी है। क्योंकि सावधानी और साफ-सफाई इससे बचाव का एक मात्र उपाय है। किसी भी स्थिति में हमें डरना नहीं है।

हमें खुद जागरूक रहते हुए लोगों को जागरूक करना है। इन्हीं उपायों से और अफवाहों पर ध्यान ना देकर, सरकार की गाइडलान आदि के आधार पर ही हम इस वायरस से बच सकते हैं।

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