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“Youth Ki Awaaz फीडबैक मैसेज ने कैसे मुझे लिखने के लिए प्रेरित किया”

नितेश कुमार

नितेश कुमार

बात एक वर्ष पूर्व की है। उस दौरान मैं भिन्न-भिन्न सामाजिक मुद्दों व शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाई से संबंधित विषयों के संदर्भ में हिंदी अखबार में लिखा करता था।

समयानुकूल खबर भी छपनी शुरू हो गई थी परन्तु तब मैं किसी खास विषय को ध्यान में रखकर नहीं लिख पाता था। मैंने आवश्यकता अनुसार सभी विषय से जुड़ी हुई समस्याओं को उठाने का प्रयास किया।

जब मैंने Youth Ki Awaaz के लिए एक आलेख तैयार किया

देखते-देखते मेरे लेखन कला में सुधार होता चला गया और राष्ट्रीय स्तर के अखबार जनसत्ता में भी मेरे समीक्षात्मक आलेख प्रकाशित होने लगे थे लेकिन अब भी किसी खास विषय को ध्यान में रखकर लिखने में काफी परेशानी होती थी।

उन्हीं दिनों मैंने ‘Youth Ki Awaaz’के लिए एक आलेख तैयार किया जिसका शीर्षक ‘समस्याओं से जूझता भारतीय किसान’ था। इस आलेख पर मुझे सौम्या ज्योत्स्ना द्वारा फीडबैक प्राप्त हुआ और तब पता चला कि इसमें मेरे द्वारा अभी भी बहुत सी अशुद्धियां शेष हैं, जिन्हें पुनः सुधार करने की आवश्यकता है।

क्या हुआ जब पहली बार मैंने आर्टिकल लिखा?

बात जून 2019 की है जब मैंने पहली बार ‘Youth Ki Awaaz’ के लिए एक आलेख लिखा जिसका शीर्षक ‘बिहार में मधुबनी कला की धूम’ था। जिसका फीडबैक एक ईमेल द्वारा प्राप्त हुआ।

प्राप्त फीडबैक से हमने निश्चय किया कि बिहार के कला व संस्कृति विषय पर मैं अच्छा लिख सकता हूं और लिखना शुरू कर दिया।

साहित्य में संपादक और पाठक की भूमिका

वर्तमान में हिंदी साहित्य में कविता, आलेख, रचना और बिहार की कला व संस्कृति पर विशेष अध्ययन करके आलेख लिखना शुरू किया है। जो विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित होनी शुरू हुई हैं।

जब भी मैं अपने अतीत को याद करता हूं तो Youth Ki Awaaz की ओर से प्राप्त फीडबैक संदेश मुझमें प्रेरणा से भर देता है। जिस संदेश को आज भी मैंने संभाल कर रखा है।

जब भी मैं असमंजस के दौर से गुज़रता हूं, उस दौरान सौम्या ज्योत्स्ना का वह मैसेज मुझे एक नवीन दिशा देता है। उस संदेश को पढ़कर मैं ऊर्जावान महसूस करने लगता हूं। एक पाठक के लिए इससे बड़ी उपलब्धि कुछ नहीं हो सकती है।

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