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“मैं लिखती हूं क्योंकि लिखने से मुझे आत्म संतुष्टि मिलती है”

सौम्या ज्योत्स्ना

सौम्या ज्योत्स्ना

आज के परिपेक्ष्य में लिखना या लिखने को बहुत ही कम लोग एक बेहतर माध्यम मानते हैं मगर बिना लिखे अपनी बात लोगों तक पहुंचाई भी नहीं जा सकती है।

आजकल अपनी आवाज़ लोगों तक पहुंचाने के लिए लोग भिन्न-भिन्न तरीकों से साधनों का इस्तेमाल करते हैं‌। आप यह बेहतर तरीके से जानते होंगे जब कोई ट्वीट वायरल होता है, उसके बाद सरकार किस तरह से एक्टिव होती है और आम लोगों के कार्य और उनकी समस्याओं का निपटारा होता है।

फिर चाहे वह ट्वीट भारतीय रेल से जु़ड़ी समस्याओं पर केन्द्रित हो या विदेश में फंसे लोगों की पीड़ा के लिए मांगी गई मदद हो, हर एक चीज़ लिखने से ही संभव हो पाती है।

मेरा मानना है लिखना सबसे बेहतरीन तरीका भी है और एक सुकून देने वाला ज़रिया भी है, क्योंकि जब कलम सफेद पन्नों पर स्याही की छाप छोड़ती है तो उस छाप में कहीं ना कहीं हृदय की गहराइयों में दबी एक आवाज़ की हुंकार भी होती है।

सौम्या ज्योत्स्ना।

एक ऐसी हुंकार जो बहुत कारणों या भिन्न-भिन्न कारणों से दब जाती है और अंदर ही अंदर एक घुटन पैदा करने लगती है। इसलिए जब मैं लिखती हूं तो मुझे आत्म संतुष्टि मिलती है।

मैं अगर अपनी बात करूं तो मुझे लिखकर ऐसा लगता है कि मैंने अपने मन की बात को लोगों के सामने रखा है। जिससे उन लोगों को भी एक मौका मिला, एक प्रेरणा मिली कि वे भी अपनी आवाज़ उठा सकें।

कभी-कभी जब दिल और दिमाग पर एक चोट लगती है तो कई चीज़ें बिल्कुल साफ-साफ दिखाई देने लग जाती हैं, जिसके बाद आप उन परिस्थितियों से बाहर निकलने की कोशिश तो करते हैं मगर निकल नहीं पाते हैं।

उस मौके पर आपकी कलम ही आपकी ताकत बनती है और आपका ढांढस बढ़ाती है कि नहीं तुम्हें कमज़ोर नहीं होना है क्योंकि तुम्हारे अंदर अदम्य साहस है और उस साहस को लेकर तुम्हें चलना है। चाहे कैसी भी परिस्थिति हो कलम से अगर प्यार है तो कलम को कभी रूकने नहीं देना है। इसके साथ ही ना ही उसे झुकने देना है, बस लिखते रहना है।

YKA को 12 साल पूरे करने के अवसर पर ढेर सारी शुभकामनाएं। एक ऐसा मंच जहां हर कोई बेधड़क अपनी आवाज़ बुलंद करते हुए चर्चा का एक स्पेस तैयार कर सकता है।

मैंने इस प्लेटफॉर्म पर आज से लगभग 2 साल पहले लिखना शुरू किया। शुरुआती वक्त में लगता था कि क्या ही कर रही हूं मगर धीरे-धीरे सोशल मीडिया के ज़रिये मेरे फॉलोवर्स बढ़ने लगे और मुझे पहचान मिलने लगी तो लगा कि यही वो मंच है जिसके ज़रिये मैं ऊंचाईयों को छू सकती हूं।

आज का दिन बहुत मार्मिक है क्योंकि हम इस प्लेटफॉर्म के लिए लगातार लिखते हैं मगर यह 12 साल का हो चुका है। बचपन की दहलीज़ को पार कर यौवन में कदम रख चुका है। आगे और भी ज़िम्मेदारियां होगीं प्लेटफॉर्म पर और आने वाले वक्त में बुराईयां भी, ऐसे में काफी मुखर होकर इस कम्युनिटी को लड़ना होगा और जीतना होगा।

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