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“भारत में कोरोना किट अगर एक चौथाई सस्ती होगी तो गुणवत्ता पर सवाल क्यों ना उठे?”

फोटो साभार- सोशल मीडिया

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कोरोना वायरस वर्तमान में दुनिया के लिए महासंकट बना हुआ है। भारत में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या 500 का आंकड़ा पार कर गई है। इस महामारी के चलते 10 लोगों की मौत हो गई हैं।

इस स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह संक्रमण तीसरे चरण में पहुंचने के कगार पर है। इस बीच एक सकारात्मक खबर भी आ रही है जो इन चीज़ों से कहीं उपर है।

स्वदेशी कोरोना किट को मिली मंज़ूरी

फोटो साभार- सोशल मीडिया

भारत कोरोना किट के लिए जर्मनी पर निर्भर करता था। जर्मनी द्वारा बनाई गई किट की कीमतें ज़्यादा थीं। हवाई यातायात पर प्रतिबंध लगने के बाद किट के आने में भी परेशानी हो रही थी।

इन मुश्किलों में भारत में निर्मित स्वदेशी कोरोना किट की काफी ज़रूरत थी। इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कोरोना वायरस के टेस्ट के लिए भारत में निर्मित पहली टेस्ट किट को मंज़ूरी दे दी है।

पुणे की फर्म मायलैब को इसकी ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। मायलैब ने एक सप्ताह में 1 लाख किट तैयार करने का वादा किया है। कंपनी का दावा है कि एक किट से 100 मरीजों का टेस्ट किया जा सकता है।

कुछ ज़रूरी सवाल

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए मास्क लगाकर घूमते बच्चे।

आपको बता दें कि जनसंख्या के अनुपात में टेस्ट करने के मामले में भारत सबसे पिछड़ा हुआ है। स्वदेशी किट के बाद ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों का चेकअप करना आसान हो जाएगा।

कंपनी के इस दावे पर सवाल खड़े होते हैं कि विदेश से आने वाली किट की तुलना में भारत में निर्मित किट एक चौथाई सस्ती होगी। अगर सस्ती होगी भी तो गुणवत्ता ठीक है या नहीं इसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा?

इस बात पर कोई चर्चा ही नहीं हो रही है कि ज़िला स्तर पर लोगों की जांच की जाएगी या नहीं। अन्य एक खबर के मुताबिक पूरे बिहार राज्य में कोरोना जांच के लिए कोई कोई लैब नहीं है। बिहार से सैंपल जांच के लिए कोलकाता भेज दिए जाते हैं। उम्मीद करते हैं बिहार सरकार जल्द ही कोई कदम उठाएं।

आज के संबोधन में प्रधानमंत्री को क्या कहना चाहिए?

नरेन्द्र मोदी। फोटो साभार- सोशल मीडिया

आज सुबह-सुबह प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर इस बात की जानकारी दी कि वह फिर एक बार देश को संबोधित करेंगे। ऐसे में अनुमान लगाया जा सकता हैं कि प्रधानमंत्री भारत में निर्मित किट की बात ज़रूर करेंगे।

उसके साथ प्रधानमंत्री को अन्य बातों पर भी गौर करना चाहिए। जैसे- वेंटिलेटर्स की कमी को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा क्या कदम उठाए गए हैं?

असम मेडिकल कॉलेज के नाम पर एक तस्वीर सोशल मीडिया पर ट्रेंंड हो रही है जिसमें देखा जा सकता है कि मरीजों पर इलाज करने वाले डॉक्टर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ के पास इन्फेक्शन से बचने के लिए पर्याप्त साधन नहीं हैं।

ऐसे में वे पॉलीथिन का इस्तेमाल कर रहे हैं। प्रधानमंत्री को इस पर भी बात करनी चाहिए। भारत में कोरोना जांच किट बनाई जा रही है इसको लेकर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन उसके साथ-साथ उन सवालों के जवाब भी मिलने चाहिए जो लोगों के मन में हैंं। ऐसी स्थिति में किसी भी तरह का संदेह बना रहे ऐसा देश के लिए ठीक नहीं होगा।

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