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“देशवासियों को सचेत करते हुए कोरोना वायरस पर मेरा खुला पत्र”

फोटो साभार- Flickr

फोटो साभार- Flickr

मेरे प्यारे देशवासियों यह समय बहुत ही नाज़ुक है। हम सब एक वैश्विक समस्या से मिलकर लड़ रहे हैं। यह ऐसा समय है जब सबके सहयोग की ज़रूरत है। अगले दस दिन हमारे लिए बहुत ही निर्णायक होने वाले हैं।

यह आपके लिए देशभक्ति दिखाने का सबसे बेहतर अवसर है। इसमें भी आपको सिर्फ अपने घरों में रहकर ही देश निर्माण में योगदान देना है फिर भी कुछ चिंताएं ज़रूर हैं।

इस भयग्रस्त दौर में भी लोग तरह-तरह  के कुतर्क गढ़ रहे हैं। मैं उनमें से कुछ कुतर्कों को यहां लिख रहा हूं और उम्मीद करूंगा कि इसको पढ़ने के बाद आप स्वयं और अन्य लोगों को मोबाइल, सोशल मीडिया आदि माध्यमों के ज़रिये इन कुतर्को दूर करिएगा।

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

आप में से कुछ लोग मान रहे हैं कि यह एक अफवाह है। आप कह रहे हैं कि ये वैसे ही हैं जैसे कुछ साल पहले मुंहनोचवा या चोटीकटवा को लेकर काफी हल्ला हुआ था लेकिन कोई भी मुंहनोचवा या चोटीकटवा कहीं भी ना तो दिखा और ना ही पकड़ा गया।

मेरे ग्रामीण भारतवासियों, आप ज़्यादा ही इस हवा को उड़ा रहे हैं। मेरे प्रियजनों, अगर आप सब यह सोच रहे हैं तो ठहरिए। कुछ पल मानिए आप गलत हैं। मानिए कोरोना एक सच्चाई है जिसने चीन, अमेरिका, इटली, स्पेन जैसे देशों को हिला दिया है।

आप में से कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि यह एक राजनीतिक प्रोपेगेंडा है और सरकार अपने हितों के लिए और लोगों का ध्यान मूलभूत मुद्दे से भटकाने के लिए ऐसा कर रही है।

मेरे अपनों, मैं आप से चाहूंगा आप खूब आलोचना और प्रशंसा कर लीजियेगा। आपको बहुत सारा समय मिलेगा लेकिन इस दौर के बाद। थमने दीजिए इस भयग्रस्त माहौल को फिर गढ़ लीजिएगा अपने तर्क।

आप कैसे सोच सकते हैं कि कोई भी देश सब कुछ बन्द करके अपनी अर्थव्यस्था को बर्बाद कर देगा। अपने बेसिर पैर वाले तर्कों को अपने थैले में ही रहने दें। भूल जाइए कि सरकार आपको मुद्दों से भटकाने के लिए यह सब कर रही है।

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- सोशल मीडिया

मेरे प्यारे भारतवासियों, कोरोना विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा घोषित एक महामारी है और इस चीज़ को मान लीजिए। उठिए सुषुप्तावस्था से, हां सिर्फ उठिए, निकलिए नहीं।

औरों के लिए ना सही अपने लिए ही करिए। अगर इस दौर में अपने लिए जी रहे हैं तो मान लीजिए औरों के लिए भी जी रहे हैं। फिर भी अगर आप नहीं  मान सकते तो उनके लिए घरों में कैद हो जाइए जो जीना चाहते हैं, उनके लिए रुक जाइए जो आपकी तरह मूर्खतापूर्ण हिम्मत नहीं दिखा सकते हैं।

अगले दस दिन हम सबके लिए महत्वपूर्ण हैं और हमें सरकार के निर्देशों का पालन करना होगा। 10 से कम उम्र और 65 से अधिक उम्र वाले घरों में ही रहें।

जो लोग इस उम्र सीमा के बीच के हैं, उस उम्र वाले भी घरों में ही रहें। मत इंतज़ार करें। आज और अभी से जनता कर्फ्यू लगा लीजिए।
बस इतना कर ले गए तो यकीन मानिए यह दौर भी गुज़रेगा।

यह भय, आशंका भरी घनघोर घटा भी छटेगी। जीवन रूपी सूरज फिर चमेकगा।फिर वही दिन होगा फिर आपका खिलखिलाना होगा। उम्मीद है हम सब देश निर्माण का यह अवसर खोएंगे नहीं।

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