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बिहार के समस्तीपुर ज़िले में दबंगों ने आखिर दलितों को क्यों पीटा?

फोटो साभार- राजीव कुमार

फोटो साभार- राजीव कुमार

बिहार के समस्तीपुर ज़िले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र अंतर्गत पूनास गाँव में दलित परिवार को प्रताड़ित किए जाने का प्रकरण सामने आया है। सवर्ण दबंगों ने पोखर पर निवास करने वाले स्थानीय दलितों को घर से निकालकर जाति सूचक शब्द कहते हुए दौड़ा दौड़ाकर पीटा व गंभीर रूप से घायल कर दिया।

इस मामले में 5 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हैं तथा एक मुनेश्वर पासवान की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। मामले में पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए एससी-एसटी एक्ट के विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज़ कर लिया है।

आखिर इस अत्याचार के पीछे की कहानी क्या है?

आपको बता दें कि पूनास गाँव के मुनेश्वर पासवान अपने दरवाज़े पर बैठे हुए थे। स्थानीय सवर्ण दबंगों ने उनके घर पर आकर गाली गलौच करना शुरू कर दिया। इसका विरोध करने पर दबंगों ने उनके साथ मारपीट और जानलेवा हमला किया।

जो प्राथमिकी दर्ज़ कराई गई है, उसके अनुसार दलितों के निवास स्थान के पास एक काली मंदिर स्थान है। वहां पर इन दलित समुदाय के लोगों को ले जाकर धारदार हथियार की मदद से दबंगों ने बुरी तरह पीटा और घायल कर दिया, जिसके बाद इन लोगों को घायल अवस्था में सदर अस्पताल समस्तीपुर में भर्ती कराया गया है।

एफआईआर की कॉपी।

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता मनु पासवान ने कहा कि पुलिस मामले में लीपापोती करने का प्रयास कर रही है। हम लोगों के हस्तक्षेप के बाद प्रशासन ने एफआईआर दर्ज़ किया है लेकिन अभी तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं की गई है, यह सबसे बड़ी दुर्भाग्य की बात है।

आपको यह बता दें कि बिहार के विभिन्न ज़िलों से आ रही खबरों के अनुसार नवादा, गया, समस्तीपुर इत्यादि दलित बाहुल्य ज़िलों में दलितों पर होली के पर्व पर भारी संख्या मे अत्याचार की खबरें सामने आई हैं।

ऐसी खबरें अत्यंत दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण है। उक्त घटना नीतीश कुमार के कथित सुशासन पर कई बड़े सवालिया निशान खड़ा करती है।

बिहार में न्यायालय के हस्तक्षेप के बिना पुलिस नहीं दर्ज़ करती दलितों की एफआईआर

हाल ही में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने बिहार में दलितों के ऊपर हो रहे अत्याचार के मामलों का विश्लेषण राज्य के डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी के साथ उच्च स्तरीय बैठक में किया था।

उस बैठक के बाद आयोग ने चिंता जाहिर की थी कि बिहार में कोर्ट के माध्यम से अधिक एफआईआर दर्ज़ हो रहे हैं, जो कि पुलिस की नाकामी को दर्शाता है।

बिहार में दलितों पर अत्याचार का दर सबसे ज़्यादा

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने अपने विश्लेषण के बाद कहा था कि बिहार में एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज़ मुकदमों में दोष सिद्धि दर सबसे कम यानी कि 4% है, जो कि देशभर में सबसे कम है।

आयोग ने कहा कि बिहार में अत्याचार के मामले का दर 42% है, जो कि देशभर के अनुपात में बहुत अधिक है।

बिहार मे जब दलितों की सबसे बड़ी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी और सुशासन वाली पार्टी जदयू के नितीश कुमार की सरकार है। उसके उपरांत भी दलितों पर बढ़ते अत्याचार और एससी एसटी के मामलों में सबसे कम दोष सिद्ध दर बिहार में होना चिंता का विषय है।

सवाल उठता है कि जब बिहार के तथा भारत के सबसे बड़े दलित नेता रामविलास पासवान के भाई के पुत्र प्रिंस पासवान समस्तीपुर के स्थानीय सांसद हैं तथा जदयू के वरिष्ठ मंत्री और दलित नेता महेश्वर हजारी स्थानीय मंत्री हैं, फिर दलितों पर अत्याचार क्यों?

चिराग बाबू, कैसे बनेगा नंबर वन बिहार?

क्या रामविलास पासवान तथा उनकी पार्टी केवल नाम मात्र की दलितों के ऊपर राजनीति करती हैं? उनको दलितों के ऊपर हो रहे अत्याचार और शोषण से कोई मतलब नहीं है? बिहार में उनकी पार्टी सरकार में है फिर भी दलितों पर अत्याचार क्यों?

यदि वास्तव में चिराग पासवान बिहार को नंबर वन बनाना चाहते हैं, तो उनको सबसे पहले समाज में फैले जातिवाद और छुआछूत की भावना को दूर करना चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि उनके द्वारा पार्टी के स्तर से अत्याचार पीड़ित दलितों को मदद करनी चाहिए।

वास्तव में चिराग पासवान बिहार के दलितों के नेता हैं, तो उनको बिहार में लगातार बढ़ रहे दलितों पर अत्याचार के मामले खासकर नवादा, गया और समस्तीपुर ज़िले में हुए दलितों पर भारी मात्रा में अत्याचार और शोषण की घटनाओं को संज्ञान में लेना चाहिए।

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