Site icon Youth Ki Awaaz

कच्चे तेल का भाव गिरने पर भी भारत में क्यों बढ़ाया गया पेट्रोल डीज़ल का दाम?

फोटो साभार- सोशल मीडिया

फोटो साभार- सोशल मीडिया

पेट्रोल-डीज़ल जो कि एक अति आवश्यक वस्तु है। भारत अपनी ज़रूरत का 80 से 85 फीसदी क्रूड ऑयल आयात करता है। बहुत बड़े पैमाने पर इसके लिए भारत को विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है।

अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दाम $1 भी कम हो जाते हैं, तो भारत को हज़ारों-करोड़ों का मुनाफा होता है। या यूं कहें कि विदेशी मुद्रा कम खर्च होती है। गौरतलब है कि भारत कुछ महीने पहले ईरान से ऑयल खरीदता था। बदले में विदेशी मुद्रा देने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी।

यह सारा कारोबार भारतीय रुपये के ज़रिये होता था। ईरान और अमेरिका के खराब राजनीतिक रिश्तों के कारण अमेरिका के दबाव में भारत ने इरान से क्रूड ऑयल खरीदना बंद कर दिया।

अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में क्रूड ऑयल की कीमत कम होने पर क्या होता है

फोटो साभार- सोशल मीडिया

दुनिया में दो बड़े देश हैं, जो क्रूड ऑयल का उत्पादन करते हैं, सऊदी अरेबिया और रूस। सऊदी अरेबिया के नेतृत्व में क्रूड ऑयल उत्पादक देशों का संगठन है, जो ओपेक नाम से जाना जाता है।

बहरहाल, रूस उसका सदस्य नहीं हैं। रूस और सऊदी अरबिया के झगड़े के बीच अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में ऐतिहासिक तौर पर क्रूड ऑयल के दाम कम हो गए हैं।

तेल के ज़रिये आम जनता के साथ लूट

आपको बता दें 1 अप्रैल 2014 को मुंबई में पेट्रोल के दाम ₹80 प्रति लीटर थे। उसी वक्त अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दाम $103 प्रति बैरल थे। फरवरी 2015 में पेट्रॉल के दाम ₹63 प्रति लीटर थे।

उस वक्त कई लोगों को लगा था कि चलो अच्छा हो गया। तब अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में क्रूड ऑयल की कीमत थी $51.65, यानी कि  2014 के मुकाबले लगभग आधी।

2014 से 2016 के बीच एक्साइज़ ड्यूटी में 9 बार इजाफा किया गया। इस वक्त एक्साइज़ ड्यूटी ₹22.8 प्रति लीटर है। 2013 में यह महज़ 7.28 रुपए थी। शनिवार को एक्साइज़ ड्यूटी को ₹3 प्रति लीटर बढ़ाया गया जिसके चलते केंद्र सरकार को 39 हज़ार करोड अतिरिक्त राशि मिलने की संभावना है।

पिछले कुछ सालों में क्रूड ऑयल के अंतरराष्ट्रीय बाज़ार के दाम। फोटो साभार- इंडियन ऑयल

इस चार्ट के ज़रिये समझा जा सकता है कि जब से नरेंद्र मोदी जी की सरकार आई है, तब से लेकर आज तक अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में क्रूड ऑयल के दाम अधिकतर $100 तक भी नहीं गए हैं।

जनता को कब मिलेगा फायदा?

फोटो साभार- सोशल मीडिया

एक अनुमान के अनुसार अगर पेट्रॉल और डीज़ल को जीएसटी में 28% की दर पर भी रखा जाता है तो पेट्रॉल और डीजल के दाम 50 से 60 रुपये के बीच ही रहेंगे। खैर, जीएसटी छोड़िए अगर सरकार एक्साइज़ ड्यूटी भी नहीं बढ़ाती है, तो भी आम जनता को इसका सीधा-सीधा फायदा पहुंचेगा।

लेकिन केंद्र सरकार ऐसा क्यों नहीं करती? जीएसटी लागू होने से लेकर आज तक देखा गया है कि बहुत कम बार जीएसटी कलेक्शन एक लाख करोड़ हर महीने हुई है। जबकि सरकार चाहती है 1 साल में 12 लाख करोड़ कलेक्शन हो।

कॉरपोरेट टैक्स को कम करते हुए पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाया गया ताकि अर्थव्यवस्था की हालत ठीक हो मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ।

फिसकल डिफिसिट ज़्यादा ना हो इसलिए सरकार आम जनता को फायदा ना देते हुए खुद की जेब भर रही है। आम जनता का दुर्भाग्य देखिए विपक्षी नेता विपक्षी पार्टियां इस माहौल में कहीं नहीं हैं।

उस दौर को याद कीजिए जब काँग्रेस सत्ता में थी। पेट्रॉल डीज़ल के दाम ₹80 हो जातें थे। सिलेंडर के दाम थोड़े क्या बढ़ जाते थे कि भाजपा विपक्षी पार्टी के तौर पर सक्रिय हो जाती थी। पार्टी के नेता सड़कों पर नज़र आतें थे। टीवी स्टूडियो में इस पर डिबेट की जाती थी। वर्तमान स्थिति में ऐसा कुछ नहीं है ना तो विपक्ष है और ना ही मीडिया।

Exit mobile version