इधर भी नेता, उधर भी नेता,
जन-जन के ठगाई है।।
सपा, बसपा, भाजपा
सब के सब व्यवसायी हैं।।
ये जवानी तेरे नाम,
करते खूब सपाई है।।
जब भी सिंघासन पर बैठे
जातिवाद लहराई है।।
माया को आका समझकर
पूजते खूब बासपाई है।।
जन मेले के आयोजन में
रोकड़ा खूब कमाई है।।
राष्ट्रवाद का माला जपकर,
आगे बढ़े भाजपाई है।।
वोट न मिली निज कामो से
श्री राम का चेहरा दिखाई है।।
भ्रष्ट चुनरिया ओढ़कर,
कांग्रेस सामने आई है।।
बल्ला न बोला राहुल का
तो लौट सोनिया आई हैं।।