Site icon Youth Ki Awaaz

“रामायण और महाभारत से लौटा दूरदर्शन का दौर”

शायद इसे रामायण और महाभारत का करिश्मा ही कहेंगे कि दूरदर्शन की वेबसाइट क्रैश हो गई। हाशिए पर पड़े इस राष्ट्रीय चैनल को इन कार्यक्रमों के पुन: प्रसारण की घोषणा, टीआरपी के खेल में इसे ऊपर पहुंचा चुकी है। मेरा जन्म इन महान पौराणिक कथाओं के प्रसारण के बाद हुआ, जिस कारण ‘एक टीवी पर डटे कई लोग’ वाली फीलिंग ना ले पाया। फिर भी जब 1990 के बाद कई चैलन पैर पसारने लगे थे, तब भी हमारे यहां ‘दूरदर्शन’ ही रहा।

उस वक्त ‘शक्तिमान’ और ‘जूनियर जी’ ही हमारे फेवरेट हुआ करते थे और सुपरहीरो भी। डिश और डीटीएच जैसी चीज़ें तो काफी बाद की हैं, तब काफी प्राइवेट टीवी चैनल आ चुके थे। सोशल मीडिया प्लैटफार्म में तो जितना क्रेज़ इनके प्रसारण के रिलीज़ डेट को लेकर रहा और मेरी उम्र के लोगों में जो बेताबी थी वो वाकई शानदार रही।  उस दौर में लिखे गए और प्रसारित किए गए रामायण और महाभारत का ही कमाल है कि टीवी का विकल्प डिजिटल प्लैटफार्म में ढूंढ़ रहे मेरी हमउम्र साथियों में भी बेताबी की लकीर बना गई।

अब तो शक्तिमान को भी लाने की तैयारी की जा रही है। मुकेश खन्ना ने बाकायदा इसकी सूचना भी दे दी है। पर दूरदर्शन को अगर किसी ने पहचान दिलाई तो वे रामायण-महाभारत जैसे धारावाहिक ही रहे। ‘हम पांच’, ‘भारत एक खोज’, ‘सर्कस’ आदि भी उस दौर में याद किए गए पर जिस सत्यता, वास्तविकता के साथ रामायण-महाभारत को पेश किया गया कि उसका हर एक किरदार हमारे मन में रच-बस गया।

मेरे ज़हन में शायद ही कोई किरदार बाद में विभिन्न चैनलों पर प्रसारित किए गए रामायण और महाभारत का हो। मैंने इन किरदारों को याद करने की कोशिश भी कभी नहीं की। रामानंद सागर के रामायण के राम-सीता, लक्ष्मण, रावण, कृष्ण, दुर्योधन आदि कई पात्र रहे जो आज भी लोगों के ज़हन में ज़िंदा हैं। लोग तो इनके मूल नामों को भूलकर इन्हें भगवान मान चुके थे, इसका ताज़ा उदाहरण कपिल शर्मा के शो में देखने को मिला। कपिल ने बताया कि वे राम के किरदार में रचे-बसे अरुण गोविल को आम जीवन में मिलने पर भी हाथ जोड़कर प्रणाम करते थे।

हम उस डिजिटल दौर में हैं जहां मोबाइल और लैपटॉप में नेटफ्लिक्स, अमेजन और टीवीएफ का बोलबाला है। हमारे पास तेज़ रफ्तार इंटरनेट है,  कई अन्य संसाधन हैं और समय? समय तो हम चुरा लेते हैं। घर बैठे तो हम तब भी सब देखते थे, मगर शायद हम उतने एडवांस नहीं बने थे, जितने आज हैं। टेक्नोलॉजी में हम नित नए आयाम लिख रहे हैं और आने वाले समय में हम आज से भी ज़्यादा एडवांस होंगे। लेकिन लॉकडाउन के इस दौर में रामायण-महाभारत जैसे धारावाहिकों को फिर उसी कलेवर में लाना जब दूरदर्शन अपने आस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा हो और ओटीटी प्लेटफार्म में दर्जनों शोज़ पडे़ हों, अपने आप में काबिल-ए-तारीफ है।

Exit mobile version