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कोरोना: “शेयर बाज़ार को बंद करने में कठोर निर्णय क्यों नहीं ले पा रही है सरकार?”

प्रतीकात्मक तस्वी। फोटो साभार- सोशल मीडिया

प्रतीकात्मक तस्वी। फोटो साभार- सोशल मीडिया

मिर्ज़ा गालिब की शायरी है,”हमें तो अपनों ने लूटा गैरों में कहां दम था। मेरी कश्ती थी वहां डूबी जहां पानी कम था।”

कोरोना वायरस के आने के पहले भी केवल भारत में नहीं, बल्कि पूरे विश्व में आर्थिक मंदी का दौर चली रहा था लेकिन कोरोना वायरस ने तो आर्थिक एवं व्यवसाय क्षेत्र का काम ही तमाम कर दिया।

मंदी अब नज़दीक

इस समय सबसे बड़ा संकट यह है कि हमारी आर्थिक दर सबसे निचले स्तर पर है। यहां तक कि खेल जगत, हवाई जहाज़, रेलवे, शेयर बाज़ार से लेकर ट्रैवल और टूरिज़्म एरिया तक इस वायरस की चपेट में हैं।

उदाहरण के तौर पर मैं यहां मुकेश अंबानी का ज़िक्र करना चाहता हूं। मुकेश अंबानी पहले एशिया में सबसे रईस आदमी थे लेकिन अब उनकी जगह आते हैं अलीबाबा की स्थापना करने वाले जैक मा।

यहां तक कि हमारा भारतीय रुपया, डॉलर ले मुकाबले कमज़ोर साबित हो रहा है। उदाहरण के तौर पर इस समय $1 लगभग 76₹ के बराबर है। जो कि इस समय सबसे ज़्यादा है।

विषम परिस्थितियों में वित्त मंत्री ने सुनाई राहत की खबर

ऐसे में हमारे वित्त मंत्री ने 24 मार्च को एक राहत की खबर सुनाई कि इस साल का वित्तीय वर्ष 31 मार्च को नहीं बल्कि 30 जून को होगा और उन्होंने हेल्थ केयर सेक्टर को बढ़ाने के लिए 16 सौ करोड़ के बजट की घोषणा भी कर दी।

उन्होंने अपनी प्रेस वार्ता में यह भी कहा कि अगले 3 महीने में किसी भी एटीएम से पैसे निकाले जाने पर कोई अतिरिक्त शुल्क देय नहीं होगा। वित्त मंत्री की इस घोषणा से हर वर्ग को राहत मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने की देश के लॉकडाउन की घोषणा

ज़्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि 24 मार्च को ही नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में लॉकडाउन घोषित कर दिया है। अर्थात कोई भी बिना वजह घर से बाहर नहीं निकल सकता है।

ऐसी स्थिति में बाहर निकलने पर गुनाह माना जाएगा। हाल ही में वित्त मंत्री के नेतृत्व में COVID-19 इकोनॉमिक टास्क फोर्स का भी गठन किया है।

अभी भी खुला है शेयर बाज़ार

मार्च में लगभग 2 बार शेयर मार्केट में सर्किट ब्रेकर लगाया चुका है। सर्किट ब्रेकर तब लगाया जाता है जब या तो शेयर बाज़ार जबरस्त उफान पर हो या नुकसान के मामले में औंधे मुंह गिरे।

मार्च की शुरुआत में सेंसेक्स 40000 अंक की ऊंचाई पर था और अब वह 26000 पर आकर गिर गया। निफ्टी 50 की भी हालत डामाडोल है। यानी कि हालात अभी और भी नीचे जा सकते हैं क्योंकि शेयर मार्केट अभी भी खुला है।

निवेशकों का क्या कहना है?

भारत के सबसे जाने-माने निवेशक राकेश झुनझुनवाला को भी 22 हफ्तों में सबसे ज़्यादा कम स्टॉक देखने को मिले हैं। इस समय सभी बाज़ार की महान हस्तियों ने यह भी कहा है कि शेयर बाज़ार को बंद कर देना चाहिए, क्योंकि इससे केवल इस समय ज़्यादातर निवेशकों को घाटा ही हो रहा है।

यदि ऐसे ही हालात बिगड़ते रहें तो निवेशकों के पास पैसा नहीं बचेगा और लोग शेयर मार्केट में पैसा लगाने से दूरी बनाएंगे। इसी घाटे से बचकर शेयर मार्केट भी निचले स्तर पर पहुंच गया है। यदि ऐसे ही इसमें वृद्धि होती रही तो बेरोज़गारी, उधार लेना अपनी चरम सीमा पर आ जाएगा।

अफरा-तफरी का माहौल फैल जाएगा और लोग अपना ही पैसा निवेश करने से डर जाएंगे। अमीर लोग अमीर होते चले जाएंगे और गरीब तबका खत्म हो जाएगा। 

शेयर बाज़ार को लेकर कठोर निर्णय लेने ही होंगे

हम जानते हैं कि भारत में लोग बंद हो चुके हैं फिर भी सारी मुख्य कंपनियों के शेयर बाज़ार के दफ्तर खुले हैं, क्योंकि बाज़ार खुला है। अर्थात जितने भी ब्रोकर हैं, उन सभी को दफ्तर जाकर निवेशकों का पैसा लगाना पड़ेगा।

सोचने का विषय है कि ऐसी महामारी जैसी परिस्थिति में कौन निवेशक अपने आप को कुएं में डालने की कोशिश करेगा? इसी समय शेयर मार्केट को तत्काल प्रभाव से बंद कर देना चाहिए।

क्या निवेशकों का पैसा संकट में आ सकता है?

इसी से संबंधित मैंने कार्वी स्टॉक एक्सचेंज के उप अध्यक्ष (नॉर्थ) नितिन सक्सेना से बात की। उन्होंने इसका जवाब बड़े साधारण एवं सरल शब्दों में दे दिया। उन्होंने कहा, “ना रहेगा बांस, ना बजेगी बांसुरी।”

इसका अर्थ है कि अगर शेयर बाज़ार बंद होगा तो मार्केट वहीं पर स्थगित हो जाएगा। ना वह बढ़ेगा और ना ही घटेगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर ऐसे हालात चलते रहें तो COVID-19 के कारण शेयर बाज़ार की हालत और भी गंभीर हो सकती है। आर्थिक झटका भी लग सकता है और निवेशकों का पैसा भी संकट में आ सकता है।

चीन और फिलिपींससे सीखने की ज़रूरत

हाल ही में चीन और फिलिपींस दोनों ने ही अपने शेयर बाज़ार को बंद कर दिया था. क्योंकि शेयर बाज़ार के हालात काफी ज़्यादा बिगड़ते जा रहे थे। चीन की सबसे बड़ी समझदारी यह रही कि एक हफ्ते बाजार बंद करने के बाद उनके बाज़ार में 0.3 परसेंट की वृद्धि हो गई अर्थात शेयर मार्केट बढ़ गया।

इस समय अमेरिका की भी हालत शेयर बाज़ार में खस्ता दिखाई दे रही है। ज़्यादातर हर व्यवसाय के अमीर लोग जैसे-जैफ बेजॉस, बिल गेट्स, मार्क ज़ुकरबर्ग, वॉरेन बफेट को अच्छा खासा पैसा गंवाना पड़ रहा है।

अतः ग्लोबल मंदी चरम पर है, जिसके लिए हमें covid19 से जंग लड़ने के लिए अपने आपको आर्थिक और स्वाभाविक तौर पर मज़बूत करने की ज़रूरत है।

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