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“21 दिनों के लॉकडाउन में परेशान हो रहे लोगों को कश्मीर के कर्फ्यू के दिन नहीं भूलने चाहिए”

फोटो साभार- सोशल मीडिया

फोटो साभार- सोशल मीडिया

कोरोना वायरस के कारण अगले 21 दिनों के लिए पूरे देश को लॉकडाउन कर दिया गया है। देश को दोबारा संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब लॉकडॉउन की घोषणा की, तो लोगों में अफरा-तफरी मच गया।

प्रधानमंत्री ने देश से कहा कि आने वाले 21 दिन हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो कोरोना वायरस की संक्रमण साईकल को तोड़ने के लिए कम-से-कम 21 दिनों का समय बहुत है।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि मैं प्रधानमंत्री के नाते नहीं, आपके परिवार के सदस्य के तौर पर बात कह रहा हूं। 21 दिनों के लिए भूल जाइए कि बाहर निकलना क्या होता है।

जब वायरल हुआ उमर अब्दुल्ला का ट्वीट

कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का ट्वीच।

इस बीच कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, जो अभी तक पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट (पीएसए) के तहत नज़रबंद थे, उन्हें मंगलावर को लगभग आठ महीनों के बाद पीएसए से मुक्त कर दिया गया।

पूरे 232 दिनों तक नज़रबंद रहने वाले उमर अब्दुल्ला ने इसके बाद कई ट्वीट किए। इनमें से एक ट्वीट लॉकडाउन और क्वारंटाइन को लेकर भी किया।

उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट करते हुए लिखा, “हल्के अंदाज़ में, अगर किसी को क्वारंटाइन या लॉकडाउन में रहने का सुझाव चाहिए तो इससे निपटने का मेरे पास कई महीनों का अनुभव है। शायद इस पर एक ब्लॉग भी लिखूं।”

कैसे पूरी तरह से नज़रबंद कर दिए गए थे उमर अब्दुल्ला

दरअसल बीते साल 5 अगस्त, 2019 को कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया गया। इसके साथ ही कश्मीर को दो हिस्सों में बांटकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो अलग-अलग केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया गया। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से ही वहां पूरी तरह से लॉकडाउन घोषित कर दिया गया था।

मोबाईल और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई थीं। इसके अलावा लैंडलाइन सेवाओं को भी बंद कर दिया गया था। ऐसा पहली बार था कि कश्मीर में लैंडलाइन सेवाएं भी बंद कर दी गई हों। इस बीच कश्मीर से खबरें आती रहीं कि लोग घरों में कैद रहने को मजबूर हैं।

कई लोग देश के अन्य राज्यों से कश्मीरी होने के बावजूद कश्मीर नहीं जा पा रहे थे। उनके घर वाले किन परिस्थितियों में हैं, इसका उन्हें कोई अंदाज़ा तक नहीं था।

कश्मीर की जो हालत थी उसके सामने देशभर की मौजूदा स्थिति कुछ भी नहीं है

इस बीच देश के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे कश्मीरी लोगों और छात्र-छात्राओं के साथ बदसलूकी की खबरें भी आती रहीं। वहीं, कश्मीर में मौजूद लोगों की ज़िन्दगी कमरों में कैद होकर रह गई थी।

लोग क्या खा रहे थे? कैसे रह रहे थे? दैनिक ज़रूरत की चीज़ें उनके पास पहुंच भी रही थी या नहीं, इसकी कोई खबर तक नहीं थी,  क्योंकि इस बीच मीडिया पर भी काफी पांबदी लगा दी गई थी। 

इस दौरान कश्मीर के कई नेताओं को भी पीएसए के तहत नज़रबंद कर दिया गया था। उमर अब्दुल्ला उन्हीं नेताओं में से एक थे। उमर अब्दुल्ला के ट्वीट के साथ ही सोशल मीडिया पर कश्मीर में हुए लॉकडाउन की चर्चा तेज़ हो गई है।

हालांकि कश्मीर का लॉकडाउन जो कि बगैर फोन इंटरनेट के बेहद भयावह था जिसके सामने अभी मौजूदा लॉकडाउन कुछ भी नहीं है।

गौरतलब है कि कोरोना वायरस के खतरे को बढ़ता देख पूरे देश में 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित कर दिया गया है। हालांकि दोनों ही लॉकडाउन की परिस्थितियां बिल्कुल भिन्न हैं मगर फिर भी परेशान होने वाले लोगों को कश्मीर के कर्फ्यू के दिन नहीं भूलने चाहिए।

कई लोग कश्मीर के लॉकडाउन को याद करते हुए उस बारे में लिख रहे हैं कि कश्मीर में लोगों ने इतने दिन कैसे काटे? वो भी बिना फोन और इंटरनेट के।

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