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जानिए कब और कैसे शुरू हुआ यस बैंक का बुरा दौर

फोटो साभार- सोशल मीडिया

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हाल ही में यस बैंक के ग्राहकों पर 5 मार्च 2020 को RBI की तरफ पाबंदी लगाई गई थी कि सामान्य परिस्थितियों में कोई व्यक्ति महीने में 50,000 से ज़्यादा की राशी नहीं निकाल सकता है। हालांकि अब यह पाबंदी 18 मार्च के बाद से हटा ली जाएगी।

यस बैंक भारत का चौथा बड़ा निजी बैंक है। साथ ही साथ यह कई कंपनियों का यूपीआई पेमेंट पार्टनर भी रहा है। लगभग 35 प्रतिशत यूपीआई भुगतान यस बैंक के माध्यम से होती हैं।

कब हुई थी यस बैंक की शुरुआत?

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यस बैंक में कुल जमा राशी दो लाख करोड़ रुपए है तथा 18 हज़ार कर्मचारी हैं। 2004 में राणा कपूर और और अशोक कपूर ने यस बैंक की नींव रखी थी।

2008 में 26/11 हमले करे दौरान अशोक कपूर की चौधरी मौत हो गई। इसके बाद अशोक कपूर की पत्नी और राणा कपूर के बीच कानूनी लड़ाई चली कि कौन इसका बोर्ड ऑफ डायरेक्टर होगा।

यस बैंक के डूबने में एनपीए की भूमिका

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2008 के बाद राणा कपूर ने हाई रिस्क लोन दिए। 2015 की एक रिपोर्ट के मुताबिक यस बैंक का जॉब ग्रोथ रेट शानदार था। वह वह इसलिए क्योंकि यस बैंक उन कंपनियों को लोन दे रहा था, जहां लोन रीपेमेंट का हाई रिस्क था।

यस बैंक के डूबने में एनपीए का बहुत बड़ा रोल है। एनपीए यानी नॉन परफॉर्मिंग एसेट। यदि किसी लोन को 90 दिनों से ज़्यादा के लिए भुगतान नहीं किया जाता है, तो वह एनपीए में शामिल हो जाता है।

2017 में आरबीआई ने कहा कि यस बैंक अपने एनपीए की संख्या छुपा रहा है। असली आंकड़ों और यस बैंक के दिए गए आंकड़ों के बीच 3000 करोड़ का अंतर था। सितंबर 2018 में आरबीआई ने राणा कपूर को सीईओ पद छोड़ने के लिए कहा।

क्या हुआ जब रेटिंग पर पड़ने लगा असर?

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नवंबर 2018 को यस बैंक के चेयरमैन ने इस्तीफा दे दिया। इसी वक्त के बाद से यस बैंक की रेटिंग गिरने लगी और मूडीज़ ने यस बैंक को नकारात्मक रेटिंग दी। मार्च 2019 में रवनीत गिल यस बैंक के नए सीईओ बने। अप्रैल 2019 में यस बैंक ने अपना सबसे पहला त्रैमासिक घाटा दिखाया।

नवंबर 2019 में राणा कपूर ने अपने सारे शेयर बेच दिए जिसकी पूरी कीमत 142 करोड़ थी। 5 मार्च 2020 को आरबीआई ने यस बैंक के ग्राहकों पर पाबंदी लगाई कि सामान्य परिस्थितियों में वे 50,000 से ज़्यादा की राशी 1 माह के भीतर नहीं निकाल सकते हैं। इसके बाद यस बैंक के शेयर में भारी गिरावट देखी गई।

सरकार की तरफ से कहा गया कि एसबीआई यस बैंक में निवेश करेगा। यह तय हुआ कि एसबीआई यस बैंक के 49% शेयर खरीदेगा। उसके बाद एसबीआई के शेयरों में भी गिरावट देखी गई।

इन सबके बीच राणा कपूर को अरेस्ट किया गया जिन पर मनी लॉन्ड्रिंग और फ्रॉड के चार्जेज़ हैं। 

कौन हैं यस बैंक के बड़े कर्ज़दार?

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गौरतलब है कि कैफे कॉफी डे, डीएचएफएल, कॉक्स एंड किंग्स, रिलायंस और एस्सेल ग्रुप यस बैंक के बड़े कर्ज़दार हैं। वडोदरा स्मार्ट सिटी कंपनी ने 265 करोड़ रुपये RBI की पाबंदी से एक दिन पहले निकाल लिए।

साथ ही अडानी ग्रुप ने फरवरी माह से यस बैंक को इस्तेमाल करना बंद कर दिया। यह घटना कहीं ना कहीं संदेह पैदा करती है कि सरकार के करीबियों को सूचनाएं साझा की जा रही हैं। 

यस बैंक की तरफ से सभी शेयर धारकों को 13 मार्च से अगले तीन साल तक 25 प्रतिशत से अधिक शेयर बेचने से रोका गया है।

यहां पर उन खुदरा शेयर धारकों को छूट दी गई जिनके पास 100 या उससे कम के शेयर हैं। वे शेयर धारक जिनके शेयर्स की कीमत दो लाख या इससे कम होती है, वे खुदरा शेयर धारक कहलाते हैं।

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