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आप, कोरोना वायरस, और लॉकडाउन| विश्व को समर्पित एक खुला पत्र।

क्या आपने सीखा?.. आप मुझे पूछेंगे क्या?.. हे भगवन! आपको पता नहीं हैं की सीखना क्या है?.. और यह जारी है…

आज, मैं, आप, हम, वे, अमीर, गरीब, आदमी, औरत, बूढ़े, जवान, हिन्दू, मुस्लिम, उच्च-वर्ग, मध्यम-वर्ग, पूरा देश और न सिर्फ देश बल्कि पूरी दुनिया इस सदी की सबसे बड़ी आपदा से जूझ रही है और आपको पता है वह क्या है? जी हाँ, आपने सही पहचाना, यह है कोरोना वायरस महामारी. यह क्यूँ इतना खतरनाक है, क्यूंकि यह तेज़ी से फ़ैल रहा है, फिर भी जब मृत्युदर 5% (अघोषित)से कम है लेकिन वास्तविकता में संक्रमित लोगों की संख्या लाखों में है तथा मृत्युदर भी अपने उच्चतम-स्तर पर है. यह अभी तक लगभग 179 देशों में अपनी पैठ कर चूका है, 800,000 लोग इसके टेस्ट में पोजिटिव पाए गए हैं (वास्तविक केसेज की संख्या लगभग 80 लाख से 4 करोड़ तक हो सकती है). तकरीबन 40,000 से ज्यादा लोग मर चुके हैं तथा दुनिया के ज़्यादातर देशों में पूर्ण-लॉकडाउन है या फिर आंशिक लॉकडाउन है. जबकि वैज्ञानिक अभी भी इस वायरस के उद्गम का कारण जानने और इसकी वैक्सीन की ज़द्दोज़हद में लगे हैं. हमारे कन्धों पर एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है (मौलिक रूप से हमारे हाथों पर, इन्हें अच्छे से बार-बार साफ़ करते रहें.) यह किसी युद्धस्तरीय परिस्थिति से कम नहीं है, तथा COVID-19 के खात्मे के लिए उठाये जाने वाले कदम भी सबसे ज्यादा सख्त होने चाहिए. जबकि यह इतना कठिन भी नहीं है बल्कि काफी आसन है हम सभी के लिए अपने-अपने स्तर पर कुछ नियमों का पालन करना है(जी हाँ, बेशक, सरकार को अपने देशवासियों की सुरक्षा के लिए उचित कार्य करने हैं). कृपया WHO (वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन) के दिशा-निर्देशों का पालन करें.  

Source: Google COVID19

Source: Metro, The Economic Times, and Twitter

इस युद्धस्तरीय परिस्थिति में, योद्धा वो हैं जो सामने आकर इस दानव से दो-दो हाथ कर रहे हैं, जी हाँ, मैं बात कर रहा हूँ, उन तमाम डॉक्टर्स, मेडिकल स्टाफ्स, सफाई कर्मचारियों, तथा वो सभी लोग इससे सम्बंधित ज़रूरी सेवाओं से जुड़े हैं. वें अपनी जान जोखिम में डाल कर हमारी सुरक्षा के लिए निःस्वार्थ भाव से अपनी सेवा दे रहे हैं. जो साथ ही हमें एकता, सद्भाव और ‘इश्वर हमारे अन्दर है’ जैसे महान पाठ सिखाते हैं. जिन्हें हम स्पष्ट रूप से सभी अस्पतालों में देख सकते हैं साथ ही वो दृश्य जो पूरे विश्व से देखने को मिल रहे हैं. यह वो समय जो हमें सीखाता है की हम सभी एक हैं, हमारा अस्तित्व एक-दुसरे से है. एक डॉक्टर कभी नही पूछता की आप हिन्दू हैं या मुसलमान, क्रिस्चियन हैं या ज्युईस और आप भी चेक नहीं करते की कोई डॉक्टर किसी विशेष धर्म या ज़ात का है या नहीं, आप सीधा अपनी परेशानी लेकर उनके पास जाते है और उनसे अनुरोध करते हैं की वो आपका इलाज करें. यही समय है उन हमारे पुराणी अवधारणाओ फिर से जांचने का जो उचित नहीं हो और नफरत फैला रहे हो. यह समय है जब हम भरोसा तथा मनन कर सकते हैं उन पर जिन्हें हम महसूस कर रहे हैं, सुन रहे हैं. एक इन्सान ही दुसरे इन्सान को बचा सकता है और सभी धर्म हमें यही शिक्षा देते हैं की इंसानियत पर भरोसा रखे तथा विपदा की घड़ी में साथ रहें.

Source: CNN

Source: Indiator

वैश्विक रूप से सभी सरकारें कुछ कड़े निर्णय ले रहीं हैं और बहुतों ने इस वायरस के फैलाव पर रोक लगाने हेतु अपने पुरे देश को लॉकडाउन करने का निर्णय भी लिया है जिसमे भारत कोई अपवाद नहीं है. भारत ने अपना पहला लॉकडाउन (जनता कर्फ्यू) 22 मार्च को देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आह्वाहन पर क्रियान्वित किया और अब 21 दिनों के लिए पूर्ण लॉकडाउन 12:00 AM 25 मार्च 2020 से शुरू हो चूका हैं. यह पहली बार है जब पूरा भारत लॉकडाउन में है और अपने ही घरों में रहकर कुछ ऐसा महसूस कर रहे हैं जो कभी नहीं किया. इस तरह के लॉकडाउन्स न सिर्फ भारत के लिए नए हैं बल्कि उन देशों के लिए भी जो बिलकुल एक जैसी ही परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं, जैसे की इटली– जिस पर इस जानलेवा वायरस की सबसे ज्यादा मार पड़ी है, ईरान, साउथ कोरिया, स्पेन, यू.एस.ए., चीन तथा अन्य बहुत सारे देश. आज सम्पूर्ण विश्व एक है और सभी संक्रमित मरीजों की त्वरित सलामती और बेहतरी के लिए वैश्विक रूप से एक जुट हो कर प्रार्थनाएं कर रहे हैं.

Source: CNN and Mumbai Mirror

Source: CNN

लॉकडाउन से गुज़र रहे लोग कुछ ऐसा अनुभव कर रहे हैं, जो पहले कभी नहीं हुआ. काफी समय बाद मैं अपने घर की बालकनी से चिड़ियों की चहचाहट सुन सकता हूँ (मुझे विश्वास है की आपने भी यह सुना ही होगा चाहे आपके घर में बालकनी हो या नहीं), मुंबई शहर के सबसे ज्यादा बिजी समय सुबह के 10 बजे, जब आपको सिर्फ पूरे शहर में दौड़ती भागती गाड़ियों की झल्ला देने वाला शोर ही सुनने को मिलता है. ऐसा लगता है जैसे प्रकृति जीवित रूप में हम पर फिर से अपना प्यार लुटाने के लिए आ गई है. पूरी दुनिया ने ऐसे कई सारे उदाहरण अनुभव किये हैं जैसे की बीजिंग में काफी समय बाद नीला आसमान देखने को मिला, मेड्रिड की सड़कों पर मोर नाचते दिखे, मछलियों के लोकल वॉटह बॉडीज में वापस आना, तथा हवा पहले से कहीं अधिक स्वच्छ अनुभव की जा सकती है. ऐसा लगता है जैसे प्रकृति ने अपना रिसेट बटन दबा दिया है. यह वैश्विक तौर पर अनुभव किया जा रहा है की कैसे एक दिन या हफ्ते भर  के हमारे ठहर जाने से हमें यह देखने में मदद हो रही है की हमारी धरती माँ हमें क्या देना चाहती है और हमने अपने लालच और ज़रूरतों के लिए अपने ही ग्रह का क्या हाल किया है.

China Pollution Level Before and During the Lockdown Source: NASA Satellite Image

Peacock on the streets of Madrid, Spain Source: Diario AS

यह समय हमें एहसास दिलाते हैं की हमें अपने आईफोंस पर लाउड-म्यूजिक सुनना पसंद है या खिड़की के बाहर चेह्चहाती हुई चिड़िया, सुबह की ताज़ी हवा बेहतर है या कोई स्पा, या हम कोज़ी बेडरूम्स के आराम को पसंद करते हैं या बालकनी में बैठने पर हमारे चेहरे पर पढ़ती सूरज की किरणे. हमें निर्णय लेना है की हम क्या चाहते हैं और कैसे चाहते हैं क्योंकि हमारा भविष्य हमारे आज के चुनावों पर निर्भर करता है. महात्मा गाँधी जी ने कहा था की “हमारी धरती पर हमारी ज़रूरतों के लिए बहुत कुछ है लेकिन हमारे लालच के लिए नहीं”.

यह संकट की घड़ियाँ हमें हमारे चाहने वालों, हमारे परिवार तथा घर पर हमारे दोस्तों के और करीब लाने के मौके देती हैं. इसने उस रचनात्मकता को उजागर किया है जिसे हम कहीं दबाए हुए थे,कहीं छिपाए हुए थे जिसको जानने और उसका आनंद लेने के लिए कभी समय नहीं मिला, जिसे हम कभी बहुत प्रेम करते थे, फिर चाहे वह संगीत, लेखन, कविता, खाना बनाना, पढ़ना हो या और भी बहुत कुछ। हमने यह भी सीखा कि घर से काम कैसे कुशलतापूर्वक किया जाता है (भारत अभी भी उस मोर्चे पर संघर्ष कर रहा है)। इस वक़्त ने हमें आत्म-प्रतिबिंब के लिए भी जगह दी है और हमें खुद को पहले से थोड़ा बेहतर जानने का मौका मिला है। इसने हमें प्रकृति और अपने आस-पास के वातावरण को सराहना करने के अवसर दिए हैं.

मैं पक्षियों के चहकते हुए अवलोकन के अपने व्यक्तिगत अनुभव पर वापस जाऊंगा, जिसे मैंने पूरे दिन सुना और महसूस किया कि वे हमें कुछ बताने की कोशिश कर रहे हैं। मुझे ऐसा लगा जैसे वे यह कहने की कोशिश कर रहे हैं कि वे खुश हैं और स्वतंत्र हैं तथा अपनी जमीनों को ढूंढ रहे हैं और पुनः प्राप्त कर रहे हैं जो कि पहले उनकी थी और इस अनुरोध को व्यक्त करने की कोशिश कर रहे हैं कि “मेरे पेड़ों को मत काटो, एक और इमारत का निर्माण मत करो, मुझे अपने शोर से परेशान ना करो, मेरे पानी को प्रदूषित मत करो, यह हमारा उतना ही है जितना यह तुम्हारा है। मैं आपके सभी सुखी और दुखद क्षणों में आपके साथ हूं, क्या अब से आप मेरे दोस्त बनेंगे”। दोस्तों, यह हम पर है कि क्या हम बिना सिर वाले मुर्गी की तरह भागते रहना चाहते हैं या वास्तव में थोड़ा धीमें होना चाहते हैं, अपनी गलतियों का एहसास करते हैं, उनसे सीखते हैं और इस ग्रह को हर जीवित प्राणी के लिए एक सौहार्दपूर्ण स्थान बनाते हैं, क्योंकि याद रखिये हम इस ग्रह के एकमात्र निवासी नहीं हैं, हम इस खूबसूरत ग्रह पृथ्वी पर अन्य लाखों प्रजातियों में से एक हैं और उन सभी ने अपनी नज़रें एक अनुरोध के साथ हम पर टिका रखी हैं और हमारी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे हैं …

#BeABridgeForChange #BeTheChangeYouWantToSeeInTheWorld #StayPositive #StayMotivated #StayHomeStaySafe #PreventionIsBetterThanCure #COVID19 #Coronavirus #WorldHealthOrganization #WHO

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्‍ल्‍यू एच ओ) द्वारा जारी नॉवेल कोरोनावायरस (COVID – 19) के खिलाफ सुरक्षात्मक उपायों को देखें:

Source: World Health Organization (WHO)

नोट: सभी तस्वीरें ऑनलाइन स्रोतों से एकत्र की गई हैं और हाइपरलिंक की गई हैं।

इस पोस्ट का अंग्रेजी संस्करण पहली बार मीडियम पर प्रकाशित हुआ है।

अंत में, मैं आप सभी को “कोल्डप्ले” के एक अंग्रेज़ी गीत “एवरीडे लाइफ” के साथ छोड़ रहा  हूँ .

Coldplay – Everyday Life (Official Lyric Video)

“Everyday Life”

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