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#MyPeriodStory: छूना नही ! तुम गंदी हो.

लड़की/महिलाओं के #मासिक_धर्म (पीरियड) के समय समाज के तमाम ताने बनो के कारण उन्हें घर के बहुत से कार्य करने से रोका जाता है कि
मंदिर नही जाना है,
आचार नही छूना है,
पेड़ो को पानी नही देना वघरा- वघरा

मुझे लगता है कि हमारे पूर्वजों ने ये रोक – टोक पीरियड समय में स्त्री शरीर में आने वाली शारीरिक कमजोरी को ध्यान में रख कर लगाई होंगी कि इससे उनकी बेटी,बहु के शरीर को आराम मिलेगा लेकिन कालांतर में यह सभी सही रोक टोक #अपभ्रंश हो गई और इन सब रोक टोकों ने अशुद्धि- अछुत का रूप लेलिया।

ये वो समय होता है जब एक लड़की असहनीय दर्द सहती है, लोगो के ताने सुनती है, अगर बाहर जाके काम करने वाली हो तो कहीं #दाग न लग गया हो इस डर के साथ अपने काम करती है, अगर वो शादीशुदा है तो घर का सारा काम करती है

पता है ???
वो ये सब क्यूँ करती है…
ये असहनीय दर्द क्यूँ सहती है ….
क्योंकि उसके अपने ( बाप- भाई- पति- सास- माँ【कुछ अपवाद छोड़ कर】)
उससे ये बोलते हैं कि ये तो हर महीने का है, बेटा सबको दर्द होता है , येतो होता ही है।

हाँ मैं भी मानता हूँ कि ये होता है और वो हर लड़की/औरत
जानती – मानती है कि ये होता है लेकिन वो उस टाइम अपने घर- परिवार का प्यार और स्नेह मांगती है।

#मेरी_माँग_है
तमाम #सरकारी व #निजी संस्थाओं से की यदि वे अपने संस्था में किसी महिला को नियुक्त करते है तो उनके मासिक धर्म के समय उनकी इच्छा अनुरूप उन्हें अवकाश जरूर दें , चाहे वह with out pay भी हो तो भी ठीक।

अगर सरकारों तक या हमारे प्रतिनिधियों तक बात पहुँचे तो #मासिक_धर्म_अवकाश का एक #क़ानून भी बने।

अर्जित मो. शुक्ला 
जनपद समन्वयक, भंडारा, महाराष्ट्र.
युवा रूरल असोसिएशन
(चाइल्ड लाइन 1098)
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार
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