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#MyPeriodStory: पीरियड्स ..मतलब

हम २१ मी सदी में जी रहे हे पर आज भी हमारी सोच बदली नही हे..आज हम बात करते हे महिलाओके पीरियड्स की..

में  एक लड़की हु मेने भी कही बार इनका सामना किया हे…

पीरियड्स में होना कोई गुना तो नहीं हे तो आज भी हम इसको छुत अछुत जेसे व्यवहार क्यों करते हे…पीरियड्स में क्या हो गई महिला  वो अकेली हो जाती हे अगर किसी नयी चीज़  भी touch  हो जाती हे  तो माँ कहती हे , “मत  छुना” क्या मेरे छुने से उसमे क्या होगा ..आज उन लोगो बताना होगा जो पीरियड्स के समय महिलाओके साथ अछूत जेसा व्यवहार करते हे..

मेरे बारे कहू तो मुजे शर्म नहीं आती पर नहीं अच्छा लगता हे जब पीरियड्स के समय लोगो जिस तरह व्यवहार करते हे…जाने हम महिलाए कुछ और देश से आ गई हो ..सब चीजों से दूर रखना नया कुछ नहीं मिलता भगवान को नहीं छुना सबसे दूर रहेना एक महिला होते मुझे ये अच्छा नहीं लगता ..

माता भी बेटियों का ख्याल रखे और हर पुरुष को महिला का ख्याल रखना चाहिये.बहुत नाजुक घड़ी होती हे जब बेटिया पीरियड्स में पहेली बार आती हे नादान बेटियाँ अचानक ही बड़ी हो जाती हे..पहेली  हो रही बेटी बहुत दर्द सहेती हे उनका ख्याल रख के..उसे समजना चाहिये….

 

उनकी पीरियड्स समय की परेशानिया और क्या होता हे ये दर्द उनसे पूछे उसमे शामिल हो..खुश होगी वो..

बेटियाँ बड़ी प्यारी होती हे….उसे कभी पीरियड्स समय पर अछूत जेसा व्यवहार ना करे……….

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