अरे. मज़दूरों.!
इस कोरोना से डरा करो।
ये लॉकडाउन है बाबा !
इसका मतलब होता है एक ही जगह पर जमे रहना।
इतनी सी बात क्यों नहीं बैठती तुम मज़दूरों के भेजे में?
प्रधानमंत्री से लेकर मन्त्री- संत्री द्वारा दी जा रही हिदायतें, पुलिस का अनाउन्स्मेंट, टीवी चैनलों के प्रचार क्यों नहीं असर करते तुम्हारे मोटी बुद्धि पर?
अरे मज़दूरों..!
क्यों इस संकट की घड़ी में भी कुछ नहीं सीख सकते हो तुम दूसरों से ?
अरे ! उठाओ टेलिविज़न का रिमोट मज़े लो मर्यादा पुरुषोत्तम की रामायण का और भी कई तरह के प्रोग्राम हैं टीवी पर, चाहे चुन लो कोई अपनी पसंदीदा फ़िल्म या फिर सीख लो पिज़्ज़ा, पास्ता या कोई और कोंटिनेंटल फ़ूड बनाना।
अगर बोर हो रहे हो तो कुछ टिक-टाक विडीओ बनाओ और बटोर लो ढेर सारे एमोज़ीस और कमेंट्स।हाँ..! अपने डॉगी को नहलाना
उसको अच्छे-अच्छे डिश खिलाना भी हो सकता है एक बढ़िया स्ट्रेस बस्टर।
तुम मज़दूर भी…
बस हमेशा अपनी भूख का रोना रोते रहते हो! सरकारों ने बोल दिया खाना मिलेगा तो मिलेगा।
थोड़ा धैर्य रखो!
हो सकता है कुछ दिनों या हफ़्तों की देरी हो पर एक दिन तुम्हें खाना ज़रूर मिलेगा।
सुना है कुछ लोगों को एक बार खाना मिलने के बाद भी वो अगले दिन वो फिर खाना माँग रहे हैं।
यह तो हद है बेइमानी की!
खाना नहीं मिलने पर भी
क्यों न तुम अपनी भूख को कोरोना से लड़वा देते?
फिर ख़ुद चैन कि नींद सो जाते।
अरे मज़दूरों..!
तुम्हें समझ नहीं आता सामाजिक दूरी बनाने का मतलब?
हमें शिकायत नहीं कि अपने कमरे में तुम पन्द्रह-बीस या तीस लोग साथ रहते हो, हमें शिकायत इस बात से भी नहीं है कि तुम हज़ारों लोग मिलकर कुछ शौचालयों का इस्तेमाल करते हो।
हमें चिंता तब हो जाती है जब तुम किसी मुख्य मार्ग, रेलवे स्टेशन या बस अड्डे पर भीड़ लगा देते हो।
अरे मज़दूरों..!
क्यों बन जाते हो तुम इतने मनमाने व ख़ुदगर्ज?
तुम लोगों को भी सरकार का साथ देना चाहिये कि नहीं?
संकट की घड़ी में देश को बचाने का काम सबका है।
एक बात गाँठ बांध लो
भूख से भले मर जाओ पर तुम्हें कोरोना नहीं फैलाना है।
तुम्हें औरों की भी फ़िक्र होनी चाहिये।
अरे मज़दूरों..!
हमें तुम्हारी फ़िक्र है
तुम अपना ख़्याल रखा करो कोरोना से डरा करो, यह मत समझो कि
यह सलाह हम सिर्फ़ इसलिये दे रहे हैं ताकि हम तक कोरोना न फैले।
हमें डर इस बात का भी है कि अगर तुम्हारी पूरी जमात को कुछ हो गया तो कौन चलायेगा फ़ैक्टरीयों और मशीनों को,
नहीं मिल पायेगा हमें कोई भी सामान ढोने वाला, रिक्शा चलाने वाला, घर का काम भी ख़ुद ही करना पड़ेगा..
समझा करो कि चपरासी,नौकर सफ़ाईकर्मीयों के बिना कैसे चलेगा हमारा काम?
हाँ!
सुना है ये कपड़े, मकान, भवन, फ़र्निचर भी आप लोग ही बनाते हो, यहाँ तक की आटा, मसाले पीसने का काम भी तुम ही करते हो। इसीलिये हमें बहुत ज़रूरत है तुम्हारी….
प्लीज़! ख़ुदा के लिए इस कोरोना से डरा करो।
अरे मज़दूरों..! इस कोरोना से डरा करो।