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कोरोनावायरस और मानसिक तनाव

दिन गिनना शुरू किया था और दिन गिनना ख़तम ही नहीं हो रहा। कोरोनावायरस से बचने के लिए जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है, ज़िन्दगी के कुछ हिस्से थम गए है और कुछ बदल गए है। जो थमा है वो ज़रा मैनेजेबल है, जैसे की बाहर दोस्तों-यारों के साथ घूमना, रेस्त्रां में खाना खाने जाना, किसी और शहर या देश घूमने जाना वगैरह वगैरह। जो बदला है वो है काम के लिए ऑफिस जाने की बाध्यता न होना, घर पर खाना बनाना, परिवार के साथ अधिक समय। सभी के अंदर थोड़ा सा ज़्यादा डर है अगर आस-पास वाले किसी को सर्दी-ज़ुकाम है या खुद को सर्दी हो गयी है। कहीं बाहर जाने पर डर लगता है, कुछ छूने पर भी शक होता है। हाथ धो-धो कर उनकी सफ़ेदी कश्मीर की खूबसूरत बर्फ से लड़ी वादियों से भी ज़्यादा सफ़ेद हो गयी है।

खबरों के बाज़ार में जानकारियों का ताँता लगा है और आप ये समझ पाने में असमर्थ है की आखिर देखे तो देखे क्या। ऐसे में कई तरह के मानसिक अवसाद इंटरनेट पर देखने को मिल रहे है, जिनके बारे में पहले कभी चर्चा भी नहीं की गयी। इसमें से एक है Generalized Anxiety Disorder। हाल ही में जर्मनी के वित्त मंत्री Thomas Schaefer ने इसी विकार के चलते आत्महत्या कर ली। भारत में आंध्र प्रदेश के एक व्यक्ति ने इस बीमारी के भारत में आने के शुरुआती दिनों में ही तनाव और डर के कारण फरवरी माह में आत्महत्या कर ली वहीं दिल्ली अस्पताल में अपने कोरोना टेस्ट के प्रतिक्षाधीन युवक ने सातवीं मज़िल से छलांग लगा कर मौत को गले लगा लिया।
अपने घरों की सुरक्षित दीवारों के अंदर रहते हुए भी सब तनावग्रस्त है। जो अपने घरों में न होकर किसी दूसरा शहर या राज्य में आजीविका के चलते अटके हुए है, उनकी तो पूछिए ही मत। सरकार लॉकडाउन की समय सीमा बढ़ाने को बाध्य है क्योंकि उसे पता है कि अगर मामले ज़्यादा आये तो हमारी पहले से चरमरी हुई स्वास्थ्य सेवा शायद धड़ाम हो जाए।
ऐसे में अपने शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ मानसिक सेहत का भी ख़याल रखना ज़रूरी हो गया है। कई लोग मानसिक मसलों को इसलिए नज़रअंदाज़ कर जाते है क्योंकि उन्हें समाज की प्रतिक्रिया का भय होता है। सच पूछिए तो अभी सिर्फ कोरोनावायरस के फैलने का डर ही आपकी ज़िन्दगी में पपर्याप्त रोमांच भरने के लिए काफ़ी है। ऐसे में होनी मानसिक स्थिति का खयाल रखे क्योंकि आप महत्वपूर्ण है। सर्कार तथा अनेक NGO द्वारा चलाये जा रहे websites और हेल्पलाइन नंबर का फायदा उठाइये। थोड़ी देर के लिए ही सही, अपना काम ख़तम कर, फ़ोन को छोड़ किसी से व्यैक्तिक रूप से बात करिये। छत पर जाईये, ताज़ी हवा, उगते सूरज या ढलते सूरज का मज़ा लीजिये। थोड़ा अपने बारे में सोचने का समय दीजिये। अखबारों और न्यूज़ चैनल्स बस उतना ही देखिये जिसमे आपको जानकारियाँ मिले। मेडिकल जर्नल्स पढ़ना अभी आपकी मानसिक सेहत के लिए एक बेहद बढ़िया जरिया है। अगर आप डर रहे है तो सोचिये के क्या आप किसी कोरोनावायरस- संक्रमित के संपर्क में आये थे! अगर नहीं तो आपका डरना व्यर्थ है और अगर है तो समझदारी से काम लीजिये और एहतियात बरतिए।
कहना आसान है की डरिये मत, करना मुश्किल। बस डर को हद्द से ज़्यादा मत बढ़ने दीजिये। आपकी और दूसरो की ज़िन्दगी का मोल समझिये और जितना सके खुद को मानसिक तौर पर बिखरने से बचाइए।

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