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कोरोना से जीतनी है जंग तो माने पीएम और कोरोना वाॉरियर की बात, ना लांघे घर की लक्ष्मण रेखा

corona warriors

कोरोना से जीतनी है जंग तो चलें पीएम और कोरोना वाॉरियर के निर्देशों के संग

 

स्कूल बंद, कॉलेज बंद, मंदिर बंद अगर खुले हैं तो बस अस्पताल। जिनकी आज के समय में काफी ज़रुरत महसूस हो रही है। इन ज़रुरतों को अगर देश के बुद्धिजीवी वर्ग ने समय रहते पहचान लिया होता तो आज कोरोना की महामारी के बीच देश अपने हज़ारों देशवासियों की जान का जोखिम नहीं उठा रहा होता।  

 

कोरोना से पहले दो महामारी नेतागिरी और धर्म से पहले‌ ही देश जूझ रहा है

 

कोरोना के आने से पहले देश में पहले दो ला इलाज बिमारियों ने अपना घर बना रखा था, जो नेतागिरी और धर्म हैं। जिसमें से एक का नज़ारा तो हम समूचे देश के हर राज्यों में बड़े ही आलिशान महलों जैसे मदिरों, मस्जिदों, गिरिजाघरों आदि को देख सकते हैं। जहां पर दान देने की मिसाले इस तरह से दी जा रही होती है कि आज एक व्यापारी ने मंदिर में करोड़ों का दान दिया। अगर यही दान जो धार्मिक स्थलों पर दिया जा रहा था उसे यदि अस्पतालों निर्माण के लिए लगाया जाता तो आज जो हमारी स्वास्थय व्यवस्था दोयम दर्जे की है वह ऐसी होती है।

 

इस जरुरत  को अगर वक्त रहते समाज ने जान लिया होता तो मंदिरों में अथाह करोड़ो रु दान देने की बजाय, इसे देश की स्वास्थ सेवाओं को सुदृढ़ बनाने में लगाया जाता। जिसके कारण आज देश में यह हालात उस स्थिति में न पहुंचते जिस स्थिति में देश इस समय है।

 

कोरोना को लेकर स्वास्थ कर्मी से लेकर सुरक्षाकर्मियों एवं चिकित्साकर्मियों की कोशिशें लाजवाब हैं

 

जिस तरह की हमारी स्वास्थ व्यव्स्था है, उसे देखकर यही लगता है कि देश में व्याप्त कोरोना महामारी से लड़ने के लिए सरकार की तरफ से दी जा रही स्वास्थय सेवाएं इन हालातों में बेहतर दर्जे की हैं। वह अलग बात है कि कहीं न कहीं कमियां दिखाई देती हैं।  जिस तरह हमारे स्वास्थ कर्मी, सुरक्षाकर्मी, चिकित्साकर्मी, दिन रात इस कमी को पूरा कर रहे हैं वह काबिले तारीफ है। उनकी कोशिश दिन-रात यही रहती है कि वह इस महामारी को देश की जनता पर हावी न होने दिया जाए। 

 

जिस तरह इस बीमारी ने विश्व के विकसित देशों में भयंकर रुप दिखाया है और दिखाती जा रही है, हमारे देश के जुझारु स्वास्थ कर्मी, सुरक्षाकर्मी, चिकित्साकर्मी के जज़्बे को हर भारतीय दिल-ओ-जान से सलाम करता है। क्योंकि जिस तरह वह इस महामारी के बीच दिवार बनकर खड़े होकर पहरेदारी कर रहे हैं वह बड़ी दिलेरी का काम है।

 

प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना वॉरियर्स का नाम दिया

 

कोरोना की वजह से जहां एक तरफ पूरा भारत अपने घरों में बंद है‌ वहीं देश का हर चिकित्सा कर्मी, स्वास्थकर्मी, सुरक्षाकर्मी आज अपने स्वास्थ की परवाह किए बिना जनता की जान बचाने में लगा है। उनके इसी जज़्बे को सलाम खुद पीएम ने भी किया है। प्रधानमंत्री ने उन्हें कोरोना वॉरियर्स का नाम दिया। वह वॉरियर्स जो आज इस त्रासदी के बीच अपनी जान की परवाह किए बिना नि:स्वार्थ भाव से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जिनकी सेवाओं के चलते ही आज यह महामारी देश पर हावी नहीं हो सकी है। जिस तरह इसका भयानक रुप हम विश्व के विकसित देशों जैसे इटली , अमेरिका, चीन, स्पेन आदि में देख रहें हैं। यह वह देश हैं जिनकी स्वास्थय सेवाएं विश्व पटल पर बेहतरीन 30 में आती हैं।

 

अब आप ही ज़रा सोचिए जिन देशों की स्वास्थय सेवाएं इतनी सुदृढ़ हैं उन देशों ने इस महामारी के आगे लगभग घुटने टेक दिए। पर भारत जो स्वास्थय सेवाएं देने पर 112वें स्थान पर है, उसने इस माहामारी की जंग से जीतने के लिए अपनी अर्थवयव्स्था तक को दांव पर लगा दिया। क्योंकि भारत का मानना है कि देश की आर्थिक व्यव्स्था उसके लोगों से है वह ही नहीं रहेगें तो ऐसी अर्थवयवस्था का क्या फायदा?

 

भारत में भी कोरोना ने अपना विकराल रूप दिखाना शुरु कर दिया है

 

फिर भी इस देश में भी कोरोना महामारी ने अपना विकराल रुप दिखाना शुरु कर दिया है। देश भले ही अभी इस महामारी के चौथे पड़ाव पर नहीं पहुंचा है लेकिन वह दिन दूर नहीं जब यह महामारी भारत में भी विदेशों के जैसे हालात पैदा कर देगी। क्योंकि प्रधानमंत्री के बार-बार अपील करने के बावजूद जनता अपने घरों में नहीं रुकना चाहती। एक बार बस गौर कीजिए कि क्या आप ऐसी मौत मरना चाहते हैं जिसमें आप अपनों का साथ भी नसीब न हो, क्योंकि कोरोना ऐसा ही है। 

 

देशवासी‌ मौके की नज़ाकत को‌ समझना नहीं चाहते

 

सोचने की बात है कि जिस वायरस ने जानवरों में पैदाईश के बाद से इंसानी शरीर में कितने आराम से अपने आप को विसित कर लिया। वह आगे क्या-क्या कर सकता है। इसका अंदाज़ा हमारे स्वास्थकर्मी, चिकित्सा कर्मी, सुरक्षाकर्मीयों को भली भांति है फिर भी वह बड़े पैमाने पर इसका संचार होने से रोकने के लिए हर तरीके से प्रयासरत हैं। वह अपने परिवार से दूर हैं, वह अपने बच्चों से नहीं मिलते क्योंकि वह नहीं चाहते कि वह भी इसकी ज़द में आएं लेकिन देश की जनता कहां समझने वाली है।  वह लगातार बाहर निकलती है और परिस्थितियों को बेहद चुनौतीपूर्ण बनाती है।

 

देशवासी यह बिल्कुल भी समझने का प्रयास नहीं कर रहें हैं कि आने वाला समय देश के लिए कितना नाज़ुक है। क्योंकि तकरीबन 100 से ज़्यादा कोरोना वॉरियर्स भी इस वायरस की ज़द में आ गए और आगे भी वह इस महामारी की ज़द में आते रहेंगें। देश की जनता को घर बैठना भा नहीं रहा और वह घर बैठेंगे भी नहीं जिसके कारण कोरोना वायरस के ग्रसितों की संख्या बढ़ेगी। यह वाॉरियर्स इनका इलाज करने, इनकी सुरक्षा करने से पीछे नहीं हटेंगे। यदि जनता चाहती है कि वर्तमान स्थिति संभले तो कृप्या प्रधानमंत्री और इन वॉरियर्स की बात मानें और घर के बाहर अदृश्य बनी लक्ष्मण रेखा को न लांघें। यदि बाहर जाएं तो सुरक्षा नियमों का पालन करें। क्योंकि अगर आप इन नियमों का पालन करेंगे तो यह भी अपने घरों में अपने परिवार से जल्द इस बिमारी को हरा कर मिल पाएंगे।

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