हमारे देश मे तेजी से बढती कोरोना पॉजिटिव की संख्या एक चिंता का विषय है, सरकार को और आम जन को मिलकर सोचना होगा कि कोई भी ऐसा काम न होने पाए जिससे कोरोना बढे । पिछले दो चार दिनों से रोज़ 500 से अधिक केस positve आ रहे हैं। quarantine सेंटर की कोरोना को खत्म करने में अहम भूमिका है पर जो qurantine सेंटर बनाने की जो प्रक्रिया अपनायी जा रही है वो मेरे ख्याल से उचित नहीं है। और वो भी ,positve केस बढने में मददगार साबित हो रही है।quarantine का मतलब होता है isolate। यानी एक दूसरे से फिजिकली बिल्कुल अलग। वहाँ जो नेगेटिव जाए वो नेगेटिव ही रहे और जो पॉजिटिव हो उसका पता लगाया जा सके और अलग किया जा सके।अब जो भी q सेंटर बनाये जा रहे हैं , उनमें से अधिकतर आइसोलेटेड नहीं है, या तो कॉमन हाल है या होस्टल है जिसमे रूम्स है पर टॉयलेट बाथरूम कॉमन है। माना quarantine सेन्टरर एक होस्टल को बनाया जाता है जैसे कि पंतनगर उयरखण्ड में 17 हास्टलों को बनाया गया है ।एक होस्टल में 15 से 30 विंग होती है ।तथा हर विंग में 15 से 30 रूम में जिनके बीच कॉमन lat bath है। अगर एक विंग में कोई एक भी कोरोना पॉजिटिव हुआ तो कम से कम पूरी विंग पॉजिटिव हो जाएगी। और इस तरह होस्टल में रह रहे लोगो मे आपस मे ही कोरोना फूलेगा। इस तरह देश/प्रदेश में कोरोना पॉजिटिव की संख्या अचानक बढ़ सकती है। और जब 14 दिन के बाद छोड़ा जाएगा तो उनमें भी कई ऐसे पॉजिटिव होंगे जिनमे अभी कोरोना लक्छण नहीं आये होंगे। क्योकि कोरोना के लक्छण आने में कम से कम 5-7 दिन लगते हैं। वो लोग भी घर जाकर कम्युनिटी स्प्रेड कर सकते हैं।
इसका एक ही निदान है कि सस्पेक्टेड को आइसोलेटेड रूम जिसमे lat बाथ attach हो रखा जाय। प्रदेश में होटल, कई प्राइवेट कॉलेज के हॉस्टल, गेस्ट हाउस, आश्रम, धर्म शाला आदि है जिसमे पूर्णतया आइसोलेटेड कमरे हैं उन्हें इस कार्य हेतु प्राथमिकता के आधार पर लिया जा सकता है। होस्टल या कॉमन हॉल को अंतिम प्राथमिकता देनी होगी। यदि isolated वार्ड संभव नहीं तो इससे अच्छा तो उनको घर पर ही पहुँचा दिया जाय और वहीँ qurantine के लिए कहा जाय, वैसे भी lockdown तो चल ही रह है।
डॉ सुनील सिंह