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खेतों में खड़ा गन्ना बन गया ठठेरा.

उरई। लाॅक डाउन के कारण माधौगढ तहसील में सैकडो एकड गन्ना खेत में ही सूखकर ठठेरा बन गया है। जिससे किसान और व्यापारी परेशान है।
माधौगढ तहसील को गन्ना उत्पादक माना जाता है। 1977 में जनता पार्टी की सरकार के समय जब इतनी मंदी हो गयी थी कि किसानों को अपनी फसल खेत में ही जला देनी पडी थी उसके बाद गन्ने का रकबा घटता चला गया था। लगातार सूखे के बाद तो कई वर्ष हालत यह रही कि लोग इस क्षेत्र में गन्ना देखने को तरस गये।
एक दशक से गन्ने की खेती की बहार फिर लौट आयी थी। सूखे के कारण नलकूप खुदाई की योजनायें लागू की गयी जिसका फायदा उठाकर यहां भी किसानों ने कई नलकूप लगा लिए। साथ ही नहर में भी पानी की आवक मरम्मत योजनाओें के चलते बढ गयी नतीजतन गन्ना किसानों को सुभीता हो गया।
अखिलेश सरकार के समय मुजफफरनगर में हुये दंगे के बाद वहां से विस्थापित होकर कई गुड कारीगर इस इलाके में डेरा जमा बैठे। गांव-गांव में कोल्हू लग गयें। खडी फसल नगदी मंे खरीदने वाले बिचैलियांे की भरमार हो गयी। पर लाॅक डाउन ने सब ठप्प कर दिया। मुजफ्फरनगर के कारीगर किसानों का पैसा मारकर पलायन कर गये है। बिचैलिये अलग रो रहे है। वे गन्ना कटवा भी नही पाये और इसके पहले सूखने की नौबत आ गयी। इससे हाहाकार मचा है। जो लाॅक डाउन के बाद सतह पर आ जायेगा।

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