असल में मानव के उद्भव से लेकर अब तक हम पर्यावरण से कभी अछूते नहीं रहे , प्रारंभ में हमने इन्हें ही ईश्वर के रूप में स्वीकार किया और आज भी कई सभ्यताओं में हमने पाया है कि मानव और पर्यावरण एक दूसरे से जुड़े हुए हैं ।
परंतु इन सब बातों से भी बड़ा प्रश्न यह है कि हमारे इस ईश्वर या कहूँ पर्यावरण को खतरा किस से है??? इंसान से ???
मैं कहूंगा नहीं , इंसान से तो बिल्कुल नहीं , क्योंकि इंसान का अर्थ न समझने वाले हैवान ही इसे हानि पहुँचा रहे हैं , अपने अंदर इंसान और इंसानियत का मूल्य रखने वाला हर मानव आज भी इसे सहेजने की ही बात सोचता है और सहेजता है ।
इसे खतरा है तो उस “Insane “से जिसका अर्थ है उन्मादी या पागल… क्योंकि ये ही वो लोग हैं जो अपने फ़ायदे के लिए पेड़ो को काट रहे हैं ,जीव जंतुओं को मार रहे हैं और न जाने क्या क्या नहीं कर रहे हैं इस पर्यावरण को हमसे दूर करने के लिए ,
बस ये ही आग्रह करूंगा कि अपने अंदर के इस Insane को मार कर इंसान को जिंदा करिए पर्यावरण जी उठेगा और आप उससे कहीं अधिक….