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प्रेम के दो घूँट

सुनो !

चारों  तरफ फैले इस

हिंदु- मूस्लिम उन्माद में

मुझे प्रेम के दो घूँट दे दो.

अ‍नवरत चले इस संघर्ष को,

कम-से-कम इस सदी में,

कोई पूर्ण् विराम दे दो

मुझे प्रेम के दो घूँट दे दो.

जाति, धर्म की राजनीति खत्म कर

लोक-हित को आधार बना

लोगो में खोयी मानवता जगाकर, 

मुझे प्रेम के दो घूँट दे दो.

वर्षों से हम किस्से सुनते आये आदर्शो की,

कुछ अच्छा भी हो रहा है,

इसी आस में ही सही

यथार्थ के धरातल पर

मुझे प्रेम के दो घूँट दे दो.

सुनो !

तुम चौकन्ने रहो, कोई अलग ना करे

तुम्हे-मुझसे और मुझे तुमसे

भरोसा रखो इंसनियत और ईश्वर पर

बस

मुझे प्रेम के दो घूँट दे दो

और मुझसे ले लो.

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