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बाजारवाद का दबाव या अनहोनी का इंतज़ार

गृह मंत्रालय- भारत सरकार द्वारा आर्थिक गतिविधियों में आंशिक छूट के सम्बन्ध में, दिनांक 15.04.2020 को जारी दिशा-निर्देश को, दिनांक 24.04.2020 के आदेश द्वारा, पुनः संशोधित करते हुए, राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों को एकल और बहु-ब्रांड मॉलों की दुकानों को छोड़कर, कुछ श्रेणियों की दुकानें खोलने का आदेश जारी किया गया है| (स्पष्टीकरण: यह हॉटस्पॉट्स/कन्टेनमेंट जोन में लागू नहीं होगी)|

इस सम्बन्ध में देश के विभिन्न राज्यों, क्षेत्रों तथा विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के नागरिकों की मिली-जुली प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है| किसी ने इसका आंशिक, किसी ने पूर्ण, तो किसी ने इसे पूर्ण रूप से ख़ारिज कर दिया| जिससे यह स्पष्ट होता है की भारत के लोग अपने स्वास्थ्य  को अपने आर्थिक हितों से ऊपर रखते हैं|

डॉ० रोशनी गुप्ता, एमडी माइक्रोबायोलॉजी, मुंबई

ऐसे राज्य अथवा जिले जो करोना मुक्त घोषित किये जा चुके हैं, या ऐसे इलाके जहाँ पिछले 15 दिनों से करोना के एक भी नए केस सामने नहीं आयें हैं वहीँ इन्हें लागू करना चाहिए| ऐसे में लोगो को चाहिए की वे पूरी तरह से सोशल-डिसटेनसिंग का पालन करें तथा मास्क पहन कर खुद को सुरक्षित करें| जो ऐसा नहीं करते उन्हें बाहार निकलने अथवा दुकानों में जाने से रोका जाये| साथ ही इनकी पालना के लिए सख्त पुलिस पेट्रोलिंग होनी ज़रूरी है| इन करोना मुक्त इलाकों के 15 दिनों के सफल नतीजो के बाद ही देश के दूसरे इलाकों में जहाँ पिछले 15 दिनों से कोई नए केसेज नही आये हैं वहां इसे लागू करना चाहिए| इसके साथ ही बॉर्डर्स को सील करने के पूर्व के फैसले को जारी रखना चाहिए तथा सिर्फ ज़रूरी आवश्यकताओं के सामानों की ट्रांसपोर्टेशन को ही मंजूरी होनी चाहिए|

सुभाष चन्द्र शर्मा, भारतीय रिसर्च साइंटिस्ट, मेलबर्न (ऑस्ट्रेलिया)

एक विकासशील देश होने के कारण भारत सरकार ने करोना से बचाव के लिए न सिर्फ अपने देश बल्कि दुसरे देशों के लिए भी अभी तक काबिले तारीफ़ काम किये हैं| यहाँ के लोगों को चाहिए की हाईजीन की उच्चतम स्तर को बरकरार रखते हुए सरकारी आदेशों का पालन करें| अपने घरों में रह कर ही लॉकडाउन के सभी नियमों का पालन करें|

हितेश कुमार महावर, मेनेजर (डाटा साइंटिस्ट), कोटक महिंद्रा बैंक, मुंबई 

नागरिको के आर्थिक हितों से पहले उनकी स्वास्थय की रक्षा ज़रूरी है| दो गज दूरी का पालन करें ताकि प्रशाशन को दंड देने की नौबत न आए| इस वैश्विक महामारी के विरुद्ध सख्त रुख अपनाया जाना चाहिए| नगर परिषद् से लगभग सभी दुकानदार लाइसेंस धारक होते हैं| यदि कोई दूकान निबंधित नहीं है तो उसके विरुद्ध सख्त रुख न अपनाते हुए , उससे आवेदन लेकर आजीविका हेतु छूट दी जा सकती है|

कन्हैय्या लाल गुप्ता, बिजनेसमैन, भद्रक (ओडिशा)

देश के दुकानदारों के लिए यह एक अच्छी सूचना है क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति पर ही देश की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा निर्भर करता है तथा 50% स्टाफ की मौजूदगी वाली बात भी सराहनीय है, इससे दुकानों के अन्दर भीड़ की नौबत नहीं आएगी और साथ ही हमें और लोगों को साफ़-सफाई तथा सोशल-डिसटेनसिंग की पालना करते हुए देश को इस महामारी से बचाने में तथा सरकार के इस फैसले को सफल बनाने में साथ देना चाहिए|

अरुंधती गुप्ता, सीईओ- साइंसआलय लर्निंग क्लासेज प्रा० लीमिटेड , पालमपुर (हिमाचल प्रदेश)

हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, यह हम पर निर्भर है की कौन सा पहलू हम अपना रहे हैं| सरकार का सशर्त दूकान खोलने का फैसला एक अच्छा कदम है| लॉकडाउन के चलते जहाँ माध्यम वर्गीय लोग जो अपने भरण-पोषण के लिए अपनी दुकानों पर आश्रित हैं उनको ज्यादा हानी हुई है वहीँ यह फैसला उनके लिए एक अच्छी खबर बन कर आई है| इस महामारी में न सिर्फ जन-हानी बल्कि धन तथा मानसिक रूप से भी हरास देखा जा रहा है| इसलिए हम देशवासियों का कर्तव्य है की हम इन सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए सोशल-डिसटेनसिंग, मास्क लगाना, हाथों को बार-बार साबुन से अच्छे से धोना जैसा तमाम नियम-कानूनों का पूरी तरह से ध्यान रखे और इस महामारी से मुक्त होने का प्रयास करते रहें|

अंजना शर्मा, गृहणी, लुधियाना (पंजाब)

रजिस्टर्ड जनरल स्टोर्स तथा मेडिकल स्टोर्स के अलावा किसी भी दूकान को खोलने का आदेश जनता के हित में नहीं है| जब तक करोना की वैक्सीन नहीं आती तब तक पूरा लौकडाउन जारी रहना चाहिए था| इस फैसले के आने से सड़कों में भीड़ बढ़ेगी और बिमारी ज्यादा से ज्यादा फैलेगी और सरकार फेल हो जाएगी|

हर्ष गुप्ता, बी. कॉम स्टूडेंट, मतस्य यूनिवर्सिटी अलवर (राजस्थान)

यह आदेश पूरी तरह से अनुचित है| इससे न तो सोशल-डिसटेनसिंग की पालना होगी और लोगो को मिलने वाली इस आज़ादी से कोई भी घर नही बैठेंगे| जिससे न सिर्फ अनहाईजीनिक वातावरण बनेगा साथ ही करोना के केसेज आग की तरह फ़ैल जायेंगे| सरकार को चाहिए की हमारी स्थिति स्पेन, अमेरिका, इटली आदि देशों की तरह नहीं होनी चाहिए जहाँ यह महामारी थर्ड स्टेज पर पहुच चुकी है|

दीपशिखा गुप्ता जैन, कंपनी सेक्रेटरी, दिल्ली

मेरा ऐसा मानना है की सरकार को इतनी जल्दी इस तरीके के कदम उठाने से पहले लॉकडाउन के पूरे होने का इंतज़ार करना चाहिए तथा हर राज्य, जिले तथा छोटे से छोटे गाँवों की वास्तविक परिस्थिति का आकलन करने के बाद ही कोई ऐसा निर्णय लेना चाहिए जिससे इस महामारी से बढ़ते केसेज पर काबू पाया जा सके|  

मिस्बाह बशीर, रिसर्च स्कॉलर- सिविल एनजीनियरिंग, आईआईटी मंडी, कश्मीर (जम्मू कश्मीर)

सरकार का यह फैसला हंगर इश्यूज वर्सस कंट्रोलिंग वायरस जैसा है| यह आदेश सही है भी और नहीं भी| दुकानों के खुलने से यकीनन भीढ़ बढ़ेगी और महामारी के तेजी से फैलने की आशंका है| लेकिन दिहाड़ी मजदूरों साथ ही देश के आर्थिक हालातों को देखते हुए यह फैसला कुछ हद तक सही हो सकता है अगर सोशल-डिसटेनसिंग तथा साफ़-सफाई का ध्यान पूरी तरह से रखा जाये, क्योंकि जान है तो जहाँ है| बाकी तो समय ही बताएगा की यह फैसला कितना सही है अथवा गलत|  

गगनदीप सिंह, आरजे- बिग एफएम, जालंधर (पंजाब)

सबसे पहले लोगो का सेल्फ-डिसिप्लिंड होना बहुत ज़रूरी है| घर से बहार निकलने की चाह में ऐसा न हो की हम अपना ही नुक्सान कर लें| इसलिए ज़रूरी है की हम सोशल-डिसटेनसिंग तथा मास्क लगा कर हाईजीन को प्राथमिकता देते हुए अपने काम करें| लॉकडाउन के नियमों का पूरी तरह से पालन करें|

सुखमिंदर सिंह, बिजनेसमैन, मोगा (पंजाब)

सरकार को लॉकडाउन के पूरे होने तक का इंतज़ार करना चाहिए उसके बाद ही इस तरह के नियमों की पालना सशर्त होनी चाहिए| क्योंकि अगर थोड़े समय के लिए भी अगर दुकाने खुलती है तब भी नोवल- कोविड 19 के फैलने का खतरा और बढ़ सकता है| हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए की हर एक जान अनमोल है| इसलिए घर पर ही रहे और हाईजीन को अपनी डेली रूटीन का ज़रूरी हिस्सा बनाए तभी हम इस महामारी को मात देने में सक्षम होंगे|

कांता गुप्ता, गृहणी, अहमदाबाद (गुजरात) 

सरकार के इस फैसले से न सिर्फ़ करोना के मरीजों में इज़ाफा होगा, बल्की देश की अर्थव्यवस्था पर दोहरी गाज़ गिरेगी| एक तरफ जहां देश में पहले ही टेस्टिंग किट तथा तमाम मेडिकल सुविधाओं में कमी देखी जा रही हैं, वहीं इन हालतों में करोना केसेज का बढ़ना एक खतरा साबित हो सकता हैं|

राघव शर्मा, बी. टेक स्टूडेंट, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी (पंजाब)

सरकार के इस फैसले से लोगो को काफी खतरा उठाना पड़ सकता है| प्रॉपर सैनीटाईज़ेशन तथा सोशल-डिसटेनसिंग को पूरी तरह से अपनाते हुए इसकी पालना की जा सकती है लेकिन घनी आबादी वाले इस देश में ऐसा होना मुश्किल ही लगता है| इस आदेश से देश में करोना के केसेज बढ़ने की पूरे आसार हैं|

पंकज महावर, अधिवक्ता, साहिबगंज (झारखण्ड)

लॉकडाउन के समाप्ति की पूर्वनिर्धारित तिथि के पहले यह आदेश, बाजारवाद के सामने झुका हुआ लगता है| एक वेलफेयर स्टेट होने के कारण देश की पहली जिम्मेवारी उसके नागरिकों के स्वास्थय की रक्षा करना है| केंद्र सरकार को सभी राज्यों से विचार विमर्श करके उनकी ज़रूरतों, कठिनाइयों तथा परिस्थितयों को ध्यान में रखते हुए इस तरह की छूट का निर्णय करना चाहिए था, जिससे की इस महामारी के सम्बन्ध में, दिशा-निर्देशों में पूरे देश में समरूपता बनी रहे| जिससे की किसी भी संदेह, अफवाह और विरोध की स्थिति उत्त्पन्न न होने पाए और सरकारी मशीनरी उन आदेशों/दिशा-निर्देशों को सुगमता पूर्वक लागू करा सके| साथ ही जनता भी सही रूप से उसका पालन कर सके|

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