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सिक्किम का भारतीय गणराज्य में विलय

कई भारतीय नागरिकों को आज भी ये नहीं पता होगा 26 अप्रैल 1975 को आज ही के दिन सिक्किम को भारतीय गणराज्य में पूरी तरह जोड़ने के लिए संविधान सभा ने विधेयक पारित किया था और 16 मई 1975 से सिक्किम भारत का पूर्ण हिस्सा बना.

याद दिला दूँ सिक्किम भारत का वही राज्य है जहाँ कोरोना का एक भी पोज़िटिव केस नहीं पाया गया. वैसे मुझे भी बहुत सालों तक नहीं पता था कि सिक्किम असल मायने में भारतीय गणराज्य का हिस्सा नहीं था.

1947 में सिक्किम में भारतीय गणराज्य में शामिल होने के लिए जनमत संग्रह हुआ लेकिन उसका फ़ैसला भारतीय गणराज्य के पक्ष में नहीं आया. भारत-सिक्किम समझौता हुआ जो कुछ कुछ कश्मीर के “धारा-370” जैसा है. ये समझौते पुल की तरह होते हैं जब ज़मीन तैयार हो जाती है तो इनकी जगह पक्की सड़क बना दी जाती है.

तो 1975 तक सिक्किम नामक राजशाही वाले मुल्क की रक्षा और संचार की देखरेख भारत करता था. 1975 के दौरान इंदिरा गाँधी ने भारतीय गणराज्य में इमरजेंसी लगी हुई थी. तभी सिक्किम में दोबारा जनमत संग्रह हुआ और सिक्किम के लोगों ने भारत में मिल जाना तय किया. वहाँ न अनिश्चितकालीन लॉकडाउन किया गया और न आर्मी का सहारा लिया गया. सिक्किम और भारत के लोगों के आपसी लोकहित को देखते हुए पोलिसी मेकिंग के ज़रिये एक किया गया. बिना किसी ज़ोर ज़बरदस्ती के.

कश्मीर में भी ये संभव था अगर जाति-धर्म का समीकरण परे रख लोगों के हित को सर्वोपरि रख कर नीतियां बनाई गई होती . ऊपर से 1991 में भाजपा सरकार के कार्यकाल में कश्मीरी पंडितों के साथ हिंसा ने कश्मीर के धार्मिक समीकरण पर एक कलंक और लगा दिया. आज जान कर बड़ा आसान लगता है लेकिन सोचिये सिक्किम पर चीन की भी नज़र थी, पूर्वी पाकिस्तान भी सिक्किम से काफ़ी क़रीब था जो राज्य 1947 से 1975 तक भारत का पूर्ण हिस्सा नहीं बना था उसे स्वेच्छा से भारतीय गणराज्य का हिस्सा बनाने के लिए कितनी नीतियां और ज़मीन तैयार की गई होगी.

कश्मीर में राजनैतिक लालच, बेअसर नीतियों के चलते जनमत संग्रह कभी हुआ ही नहीं और 2020 में ज़ोर ज़बरदस्ती से पक्की सड़क बनाने के नाम पे समझौते का पुल तोड़ दिया गया. अब पुल टूट चूका है ये तो हमें पता है लेकिनअब वहां पक्की सड़क बनी है या नहीं, मीडिया को ये रिपोर्ट करने दिया नहीं जा रहा. सरकार कह रही है भरोसा रखो हमने कह दिया पक्की सड़क बन गई है तो बन गई है लेकिन लोग कह रहे हैं तो भरोसा तो पेट्रोल प्राइस, रूपये के सम्मान, स्मार्टसिटी, डीमोनीटाईजेशन के मामले में भी किया था, वहां तो भरोसा टूट गया तो यहाँ भरोसा कैसे कर लें?
भारत के बाक़ी हिस्सों में लॉकडाउन हुए 1 महिना भी नहीं हुआ है. इस लॉकडाउन में वहां इन्टरनेट भी नहीं है. 8 महीने हो चुके हैं.

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