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“इस खूबसूरत शाम में कुछ भी कल सा नहीं है”

फोटो साभार- Flickr

फोटो साभार- Flickr

अभी बहुत कुछ है
पर कुछ भी नहीं है।
जो कल था
वो आज नहीं है।
देखो आज की शाम खूबसूरत है ना,
पर ये शाम कल सा नहीं है।
सोचता हूं देखता हूं अपने आप में,
क्यों आज ये
कल सा नहीं है।
फिर देखता हूं सोचता हूं,
क्या ये ज़माना भी
आज, कल सा नहीं है।
ये गाँव भी आज देखो
कितना बदल सा गया है।
विकाश के दौर में
अपना अस्तित्व खो चुका है।
जहां थे हरे भरे पेड़
वहां आज नहीं हैं,
ये गाँव भी देखो
आज, कल सा नहीं है।
दुख-दर्द में वे आते थे साथ
पर आज ऐसा नहीं है।
देखो ये लोग भी कल सा नहीं है।
अब, सब है बदल रहा,
देखो तुम भी तो आज, कल सा नहीं हो।

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