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कोरोना ने सारे सामाजिक पाखंड को नंगा कर दिया है

“बॉस यू आर नॉट द बॉस”

पूरी दुनिया कोरोना से बचाव और संघर्ष में है। हमें अपने इस नये शत्रु से संवाद करना चाहिए। यह बहुत सी ऐसी बातें समझा रहा है, जिसे यदि हमने समय रहते नहीं समझा तो यह पुनः भविष्य में आएगा हमें बतलाने,“बॉस यू आर नॉट द बॉस।”

तुम हिन्दू हो, मुस्लिम हो, ईसाई हो, अमेरिकी हो चीनी हो तुम अन्तरिक्ष मापी हो, तुम ईश्वर के जनक हो पर तुम बॉस नहीं हो।

आज भी अंधविश्वास हम पर हावी है

विज्ञान की परिभाषा के अनुसार कोरोना एक अदना सा प्रोटीन अणु है,जो शरीर में आकर जैविक परिवर्तन से सक्रिय हो जाता है। परन्तु हमें विज्ञान से क्या हम तो अल्लाह की कयामत और ईसा का श्राप ही मानेगें।

परमार्थ के लिए नैतिकता ही काफी है किसी धर्म का दंड नहीं

जब पूरी दुनिया की सत्ता पहली बार मन्दिर,मस्जिद की सीमाओं को सही समझ चुकी है। जिस समय परमार्थ के लिए नैतिकता ही काफी है किसी धर्म का दंड नहीं, ऐसे में सोशल मीडिया पर मूर्खता की सभी हदें पार करती हुई, ना जाने कैसी कैसी बातें आपको देखने को मिल जायेंगी। ऐसे लोग हर दौर में होते हैं। बस यही समझना है कि हमें हर दौर से आगे बढ़ के सोचना होगा।

कोरोना ने हमें हमारी हैसियत याद दिलाई है

कोरोना ने हमें हमारी हैसियत याद दिलाई है। हमें हमेशा यह याद रखने के लिए कहा है कि जब जीवन आपसे शुरू नहीं हुआ तो आप पर ही खत्म कैसे हो सकता है। हमने पूरी दुनिया को अपने अनुसार संचालित करने का जो ठेका लिया हुआ है, उस ठेके के समझौते को समाप्त करने की दिशा में सोचने का पहला कदम है ये कोरोना।

यदि हम नहीं जागे तो सनद रहे बचेगा भारत भी नहीं

कोरोना ने दर्शाया कि आप अमीर-गरीब, जाति, रंग, सभ्यता, संस्कृति और राष्ट्र -समाज में अपने आप को विभाजित कर कुछ अंतर लाने की जद्दोजहद में लगे रहें, परन्तु प्रकृति का असर सब पर होगा। वैश्विक ताप से अमेरिकी 10 दिन बाद मरेंगे और अफ्रीकी 10 दिन पहले पर मरेंगे ज़रूर दोनों ही।

प्रकृति का संतुलन बिगड़ा तो इटली उम्रदराज लोगों का देश पहले ग्रस्त होगा पर बचेगा भारत भी नहीं जो सबसे युवा देश है।

समझिये, जीव मात्र होना आपकी वास्तविक पहचान है

जीव मात्र होना आपकी वास्तविक पहचान है। अपनी विषमताओं को बढ़ा कर आप मंदिर के पुजारी और मस्जिद के मौलवी को सुविधाएं दे देंगे लेकिन प्रकृति की मार भक्तों पर आपकी निर्धन श्रेणी पर पहले पड़ेगी पर बचेंगे आपके पुजारी और मौलवी भी नहीं।

पृथ्वी, भूगोल, प्रकृति और जीवन का कोई धर्म नहीं कोई जाति, कोई समुदाय नहीं है और न ही मनुष्य का होना चाहिए।

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