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“लिखना मेरे तनाव को दूर करता है, इसके बगैर सब कुछ अधूरा सा है”

आंचल शुक्ला

आंचल शुक्ला

आज से लगभग पांच साल पहले मैनें लिखना शुरू किया था। कभी कविता, कभी स्टोरी, तो कभी आर्टिकल लिखना। यह सब मेरी लाइफ का पार्ट बन चुका था। लिखना मेरे लिए तब और ज़रूरी हो गया जब अपने आस-पास लोगों के साथ गलत व्यवहार होते हुए देखा।

जब मुझे इस बात का एहसास हुआ कि बड़ी खबरें तो जनता तक आसानी से पहुंच जाती हैं लेकिन एक आम इंसान के साथ जो घटनाएं घटित होती हैं उनको अक्सर दबा दिया जाता है, तो इसके खिलाफ मैंने आवाज़ उठाना शुरू किया।

अखबार और कई प्लेटफॉर्म पर मेरे आर्टिकल्स पब्लिश होने लगे। फेसबुक के जरिये मैंअपने आर्टिकल्स शेयर करने लगी। काफी लोगों ने बहुत सराहा। ऐसे धीरे-धीरे मेरा मनोबल बढ़ता गया।

एक घटना जिसने मुझे झकझोर कर रख दिया

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

एक बार कॉलेज से घर आते वक्त मुझे एक कृत्य ने अंदर तक झकझोर रख दिया। एक सात या आठ साल का बच्चा मंदिर के बाहर रखे कूड़ेदान से पत्तल में पड़ी हुई खिचड़ी खा रहा था।

मेरी आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। मैं उस बच्चे के पास गई और उससे पूछा कि ये गंदगी से उठाकर मत खाओ। आओ तुम्हें जो खाना है मुझे बताओ। एक बड़ी सी स्माइल के साथ बोला दीदी वो आईस्क्रीम खानी है।

मैं उसे आइस्क्रीम दिलाकर घर चली आई लेकिन रातभर सिर्फ उसी घटना के बारे में सोचती रही। नींद जैसे उड़ सी गई थी। बस कलम उठाया और लिखना शुरू कर दिया।

ऐसा लगा कि ये सब मजबूर हैं और अपनी बात लोगों तक नहीं पहुंचा सकते हैं। तो क्यों ना मैं इनके लिए आवाज़ उठाऊं। बस अच्छा इसलिए लग रहा था कि मैं समाज में हो रहे गलत कृत्यों को लोगों तक पहुंचा रही हूं, उनके खिलाफ आवाज़ उठा रही हूं।

लेखनी से होता है ऊर्जा का संचार

आंचल शुक्ला।

लेखनी सच में एक बहुत बड़ा हथियार है जिसके द्वारा समाज में फैले कुविचारों को खत्म किया जा सकता है, क्योंकि जब हम लिखते हैं तो एक कोशिश होती है कि आम लोगों तक हम अपनी आवाज़ पहुंचा सकें।

सच पूछिए तो लिखना मेरे लिए स्ट्रेस बस्टर है। अभी तक जीवन में बहुत कुछ आया और गया लेकिन एक जो लिखने का जुनून है वो आज भी नहीं कम हुआ है। मेरे लिए बिना लेखनी के सब कुछ अधूरा सा है।

यह मुझमें आत्मशक्ति और ऊर्जा का संचार करती है। अपनी लेखनी के ज़रिये साधारण व्यक्ति अपनी बात साधारण तरीके से सम्पूर्ण समाज के साथ साझा कर सकता है। बदलाव की शुरुआत ही अभिव्यक्ति से होती है जिसका एक हिस्सा है लेखनी।

लेखनी को निखारने की असीम संभावनाएं

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

आज के युग में मीडिया ने इतना विस्तार ले लिया है कि चीज़ें हमारे लिए आसान हो गई हैं। कभी भी अपनी आवाज़ को दबाइए मत। अगर आपके आस-पास कुछ गलत हो रहा है तो बेझिझक इसके खिलाफ आवाज़ उठाइए। यही कारण है कि मैंने निरन्तर लिखना जारी रखा।

पहले लिखने की इतनी समझ नहीं थी लेकिन निरन्तर लिखने के कारण इतना कुछ सीख पाई हूं। मेरे द्वारा लिखे गए एक आर्टिकल को Youth Ki Awaaz द्वारा आयोजित एक अवॉर्ड समारोह में बेस्ट आर्टिकल (चाइल्ड राइट्स कैटेगरी) चुना गया।

यह सच में मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि के समान था। जो कमियां थीं उनको तराशा, जो भी गलतियां हो रहीं थीं उन पर काम करना शुरू किया। इस साल इंटर्नशिप प्रोग्राम का हिस्सा बनीं जहां विभिन्न पहलुओं पर लिखने की अनंत संभावनाओं के बीच नए-नए प्रयोग किए।

एक बात आप सभी से शेयर करना चाहूंगी कि जब हम लिखते हैं तो कई बार लोग हमारी आलोचना भी करते हैं लेकिन आलोचनाओं से कभी डरिए नहीं। अपना कार्य निरतंर करते रहिए, ज़रूरी नहीं कि आलोचना ही मिलेगी हो सकता है सराहना भी मिले।

हमारे आलोचक ही हमारे लिए सबसे बड़ी प्रेरणा हैं। आलोचना तभी होगी जब लोग आपकी बातों को अहमियत देंगे। आलोचना तभी होगी जब आपकी बातें इनके दिलों-दिमाग तक पहुंचेगी।

इसलिए लिखते रहिए और अपनी आवाज़ लोगों तक पहुंचाते रहिए। अंत में यूथ की आवाज़ को  12 साल पूर्ण होने पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं देना चाहूंगी। ऐसे ही अपना सफर जारी रखिए। लोंगों को ज़्यादा से ज़्यादा प्रेरित करते रहिए। मंज़िलों के साथ मुकाम भी हासिल होंगे। ढेर सारा प्यार एवं बधाइयां।

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