Youth Ki Awaaz ने पिछले वर्ष 12 वर्षों का सफर साझा किया है। यह 12 साल बस एक टर्म नहीं है, बल्कि यह एक वक्त है जो दुनिया के माइंडसेट को बदलने में लगा है। मुझे नहीं याद है कि मैं इस प्लैटफॉर्म तक कैसे पहुंची मगर पहुंचने के बाद लगा कि यही वो जगह है जिसकी मुझे तलाश थी।
फिर अगले ही पल मेरे दिमाग में यह ख्याल आया कि इस प्लैटफॉर्म पर इतने सारे अर्टिकल्स पब्लिश होते रहे हैं। उन सब के साथ यदि मेरे आर्टिकल्स को किसी ने नहीं पढ़ा तो?
यह बात दिमाग में दो-तीन दिन घूमती रही लेकिन एक दिन हिम्मत करके मैंने लिखा। फिर क्या था, निकाल दिया दिल का गुबार और शाम तक मुझे Youth Ki Awaaz से मेल मिला कि मेरे अर्टिकल को होम पेज पर डाल दिया गया है।
लिखना इबादत जैसा है
यकीनन वह पल मुझ जैसी लड़की के लिए बेहद खास था क्योंकि लिखना मेरी आदत से ज़्यादा खून की तासीर है। अब मेरे लिए लिखना इबादत जैसा है।
मैं क्यों लिखती हूं तो इसका जवाब यह है कि मुझे लगता है जिस दिन मैं लिखना बंद कर दूंगी उसी दिन मुझे सांस आनी बंद हो जाएगी। पहले पहल डायरी ही लिखती थी, मन में एक डर रहता था कि लोगों ने मज़ाक उड़ाया मेरे लिखे हुए का तो?
दोस्त से हिम्मत मिली
एक दोस्त ने मेरी डायरी पढ़ी, थोड़ा सहारा दिया और तब जाकर उसी से हिम्मत आई कि फेसबुक जैसे प्लैटफोर्म पर लिखना शुरू किया। मेरी बहन को मेरा लिखना पसंद नहीं था।
मुझे विरासत में मिला था बागी होना, तो बस उसी के लिए मैंने लिखा और खुलकर लिखा। मेरी बहन कहती थी कि उसको मेरी लेखनी के कारण अपने दोस्तों में शर्मिंदा होना पड़ता है। उस दिन मैंने बस यही कहा था कि आप ब्लॉक कर दो दीदी मुझे। अपने दोस्तों से भी कह दो मुझे ब्लॉक कर दें।
जब मेरी बहन ने मेरे लेख को शेयर करने की अपील की
लिखने के इस सफर में एक दिन वह मुकाम भी आया कि मेरी बहन ने मेरा लिखा एक आर्टिकल अपनी वॉल पर शेयर करके लिखा था “शारदा दहिया का लिखा एक आर्टिकल- “Do Share.
वह पल मेरी मुस्कान को 4 इंच और लम्बा कर गया था। वह जिद्द इतनी काम आई कि Youth Ki Awaaz ने भी मेरी आवाज़ को ऊपर उठाने में कोई कोताही नहीं बरती। मैं शुक्रगुज़ार हूं यूथ की आवाज़ की।
कई बार लगा कि कुछ बहुत पर्सनल शेयर करूं। आज वह भी मैंने Youth Ki Awaaz पर शेयर कर दिया। Youth Ki Awaaz ने मेरा पर्सनल स्पेस उसमें भी बरकार रखा। ऑल द बेस्ट YKA.