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“कैसे कोरोना का इस्तेमाल मुसलमानों के खिलाफ किया जा रहा है”

मुस्लिम

मुस्लिम

कोरोना महामारी, जिससे पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत भी जूझ रहा है। उसकी वजह से एक तरफ देश का एक वर्ग बेरोज़गार हो रहा है जिसके सामने अपने रोज़गार और भरण-पोषण का संकट पैदा हो रहा है।

वहीं, दूसरी ओर कोरोना वायरस से किसी का फायदा भी हो रहा है, जिसका फायदा हो रहा है वह कोरोना वायरस का फायदा उठा भी रहा है। अब सवाल यह उठता है कि कोरोना के कारण किसका फायदा हो रहा है? तो जवाब है भाजपा सह संघ संचालित सरकार का फायदा हो रहा है।

डूबते को तिनके का सहारा

संसद में जबसे नागरिकता संशोधन अधिनियम पारित हुआ था। इसके खिलाफ प्रदर्शनों की रफ्तार तेज़ हो गई थी। पहले जामिया फिर उसके बाद शाहीन बाग में धरने प्रदर्शन शुरू हो गए थे। हर राज्य में शाहीन बाग के माॅडल को अपनाकर धरने होने लगे।

इन्हीं प्रदर्शनों के कारण दिल्ली में दंगे हुए। जिसका मुख्य उद्देश्य प्रदर्शनों को कमज़ोर करना था। इस उद्देश्य में कुछ हद तक सफलता भी प्राप्त हुई लेकिन प्रदर्शन तब भी चलते रहे।

जिस नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनों ने सरकार के होश भले ना उड़ाए हों लेकिन इन प्रदर्शनों का सरकार पर कुछ असर तो हुआ था। तभी उसे अपने कदम एनआरसी से पीछे हटाने पड़े। जिन प्रदर्शनों ने सरकार को बेचैन किया था, उन प्रदर्शनों से सरकार को कोरोना वायरस ने बचाया। कोरोना वायरस ने सरकार को डूबते को तिनके का सहारा दिया।

कोरोना के भारत में आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने 22 मार्च के लिए लोगों से जनता कर्फ्यू का पालन करने की अपील की। उस दिन शाहीन बाग में प्रदर्शनकारी भी धरना स्थल पर नहीं पहुंचे।

उन्होंने अपनी चप्पलें वहां रखकर सांकेतिक रूप से प्रदर्शन किया लेकिन धरने के ठीक 100 दिन पूरे होने पर धरना समाप्त कर दिया। धरना स्थल पर लगे टेंट और इंडिया गेट को वहां से हटा दिया गया। यही हाल लखनऊ के घंटाघर के धरनास्थल का हुआ।

लॉकडाउन से सरकार को फायदा क्या हुआ?

लॉकडाउन से सरकार को यह फायदा तो हुआ कि अब वह धरने प्रदर्शनों से बच गई। देखा जाए तो लॉकडाउन का फायदा सरकार ने ऐसे भी उठाया कि उसने नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफतार करना शुरू कर दिया।

जबकि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने सभी देशों से अपने कैदियों को रिहा करने की अपील की है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकारों को कैदियों को रिहा करने के आदेश दिए हैं। 

इसी कोरोना संकट के दौरान पुलिस ने दिल्ली हिंसा मामले में जामिया के दो छात्र, राष्ट्रीय जनता दल के मीरान हैदर को 2 अप्रैल को तो वहीं जामिया को-ऑर्डिनेशन समिति की सफूर जरगार को 11 अप्रैल को गिरफ्तार किया। सफूर जरगार 3 माह की गर्भवती हैं।

ऐसे में उन्हें जेल में कोरोना से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा 14 अप्रैल को सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी और लेखक गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबड़े को गिरफ्तार किया गया।

प्रतिरोध की आवाज़ का कुचला जाना

सरकार लॉकडाउन का फायदा उठाकर प्रतिरोध की आवाज़ कुचल रही है। कोरोना के कारण नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहा आंदोलन तो पहले ही खत्म हो चुका है।

अब सरकार उन आंदोलनकारियों और अपने आलोचकों को जेल भेजकर एक तरह से उनके आवाज़ उठाने की सज़ा दे रही है या फिर अपने खिलाफ बोलने का बदला ले रही है।

इस समय सरकार जानती है कि वह जिसे चाहे गिरफ्तार कर ले कोई भी गिरफ्तार हुए लोगों के समर्थन में प्रदर्शन करने तो आएगा नहीं!

जमातियों के नाम से मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाना

दूसरी तरफ सरकार और बिकाऊ गोदी मीडिया जमातियों का इस्तेमाल करके मुसलमानों के खिलाफ और नफरत फैला रही है। मीडिया जमातियों को लेकर कितनी फेक न्यूज़ चला रहा है, इसका अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि कई शहरों की पुलिस को ट्विटर पर आकर सफाई देनी पड़ी कि फलां न्यूज़ फेक न्यूज़ है।

टीवी चैनलों पर फेक न्यूज़ चलाकर घर-घर मुसलमानों के खिलाफ नफरत पैदा की जाती है। पुलिस ट्विटर पर जाकर यह बता देती है कि यह न्यूज़ फेक न्यूज़ है लेकिन ये खबरें दिखाकर न्यूज़ चैनल वाले माफी नहीं मांगते हैं।

इस तरह की फेक न्यूज़ का यह नतीज़ा हुआ कि हिन्दू बहुसंख्यक इलाकों में कोरोना और लॉकडाउन के समय कुछ लोग लाठी डंडे लेकर फेरी वालों का आधार कार्ड देखकर ही उन्हें मोहल्लों में घुसने दे रहे हैं।

दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार जब प्रेस को संबोधित करते हैं तो वह जमातियों और उनकी वजह से बढ़ने वाले केस की जानकारी अलग से देते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि बाकी लोगों के बीच कोरोना क्यों फैला या वह बाकी के कोरोना मरीज़ किस धर्म के हैं?

यह बात सरकारें नहीं बताती हैं। सरकारें जमातियों के साथ अलग बर्ताव क्यों कर रही हैं यह सरकारें तो बताएंगी नहीं लेकिन हम और आप तो समझ सकते हैं।

वह लोगों के सामने यह दिखाना चाहती हैं कि इन मुसलमानों ने कोरोना फैलाया है। इस कोरोना महामारी के संकट में भी मीडिया और सरकार ने मुसलमानों को हिन्दुओं की नज़रों में दुश्मन के तौर पर स्थापित कर दिया है।


संदर्भ- आउटलुक, हिन्दुस्तान टाइम्स, द प्रिंट

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