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क्या भारत का किसान इस महामारी के बाद फिर से उठ खड़ा हो पाएगा?

फोटो साभार- Flickr

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प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। भारत के कुल क्षेत्रफल के लगभग 51% भाग पर कृषि होती है। देश की कुल श्रम शक्ति का लगभग आधे से भी ज़्यादा भाग कृषि और उससे संबंधित उद्योग और धंधों से अपनी आजीविका चलाते हैं।

भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज़ों की संख्या 5095 है। भारत में अभी तक कोरोना के कारण 166 लोगों की जान जा चुकी है। जबकि 472 मरीज़ ठीक होकर घर लौट आए हैं।

कृषि प्रधान देश में किसानों की स्थिति दयनीय

कोरोना के कारण पूरे देश में पिछले दो हफ्तों से लॉकडाउन लगा हुआ है। ऐसी स्थिति बनी रही तो लॉकडाउन आगे भी बढ़ सकता है। पूरा देश ठप पड़ गया है। ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि भारत जैसे कृषि प्रधान देश में किसानों की स्थिति कैसी है?

कृषि भी इस महामारी की चपेट में है। चाहे बात स्वास्थ्य की बात हो या खेती की, किसानों पर कोरोना की दोहरी मार पड़ी है। अभी रबी फसलों की कटाई का समय है। ऐसी परिस्थिति के कारण कटाई के लिए मज़दूर नहीं मिल पा रहे हैं, क्योंकि सभी मज़दूर अपने घरों को लौट आए हैं।

इस समय फसलों की कटाई किसानों के लिए ना सिर्फ बेहद महत्वपूर्ण बल्कि कठिन कार्य भी बन गया है। अगर कटाई संभव भी हो जाती है तो फसलों को निर्यात करना उससे भी कठिन कार्य होगा।

क्या गेहूं पर भी संकट मंडरा रहा है?

दूसरे देशों का तो ज़िक्र ही मत कीजिए, देश के भीतर भी निर्यात करने में बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि अभी सभी राज्यों के बॉर्डर को बंद कर दिया गया है।

बाहरी गाड़ियों को भीतर प्रवेश नहीं मिलता है। ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि किसान इस महामारी से बच भी जाएंगे मगर जो नुकसान उन्हें होने वाला है उससे कैसे उभरेंगे?

रबी फसलों की बात की जाए तो इसमें गेहूं, चना, सरसों, मसूर आदि फसलें आती हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत पूरे विश्व में गेहूं उत्पादन करने में दूसरे स्थान पर था।

गेहूं उत्पादन में भारत हमेशा शीर्ष पायदान पर ही रहता है। ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि क्या इस साल भी गेहूं का उत्पादन पहले की तरह हो पाएगा? भारत बहुत से देशो को गेहूं निर्यात भी करता है। जो देश भारत पर निर्भर हैं, अगर परिस्थिति में सुधार नहीं आया तो हो सकता है भविष्य में उन देशों को अनाज की कमी का सामना करना पड़ जाए।

आम जनता को भी हो सकती हैं परेशानियां

अगर कोरोना का प्रकोप ऐसे ही बना रहा तो लॉकडाउन आगे भी बढ़ाया जा सकता है। अभी भारत के पास अनाज भंडार उपयुक्त मात्रा में उपलब्ध है मगर इस मौसम के फसलों पर ध्यान नहीं दिया गया तो आगे आने वाले समय में किसानों के साथ-साथ आम जनता को भी अनाज की कमी और महंगाई का सामना करना पड़ सकता है।

कोरोना वायरस ने जिस महामारी का रूप ले लिया है उससे पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगा है। भारत को भी इससे खासा नुकसान हुआ है। सभी राज्य अपनी तरफ से इस बीमारी से बचने के भरसक प्रयास में जुटे हुए हैं। केंद्र सरकार द्वारा भी कई कदम उठाए जा रहे हैं लेकिन किसानों को लेकर अभी तक कोई बात नहीं कही गई है।

भविष्य में केंद्र और राज्य सरकार आम लोगों के साथ-साथ किसानों के लिए भी विशेष योजनाएं लेकर आएं जिससे किसान इस विकट परिस्थिति से उभर सकें। विशेष कर अभी के फसलों की कटाई-बनाई पर सरकारें ध्यान दें क्योंकि उन फसलों में लागत लगाई जा चुकी हैं। अगर ऐसा नहीं किया गया तो इस महामारी के बाद देश को बहुत सी अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

किसानों की तरफ से समाज के लिए मेरी कुछ पंक्तियां…

मैं एक किसान हूं
खुद भूखा भी सो जाऊं मगर पूरे देश की भूख मिटाता हूं,
कभी सूखा तो कभी बाढ़ के कहर को सहता हूं
मगर फिर भी कभी नहीं रुकता हूं
हां मैं एक किसान हूं।

कभी प्रकृति तो कभी प्रशासन की मार झेलता हूं
मगर फिर भी फसलों से प्रेम करता हूं,
उसी प्रेम से हर बार उन्हें रोपता हूं
उम्मीद कभी नहीं छोड़ता हूं
हां मैं एक किसान हूं।

पहाड़ो में भूस्खलन, मैदानों में बाढ़ से फसलों को नष्ट होते देखता हूं
कभी पीला मोजेक तो कभी गेरुआ रोग और अब तो कोरोना जैसे वायरस से सब ख़त्म होते देखता हूं,
फिर भी कुछ नहीं कर पाता हूं
क्योंकि मैं एक किसान हूं।


संदर्भ- गाँव कनेक्शन, इंडिया टुडे

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