Site icon Youth Ki Awaaz

रामानंद सागर की रामायण में भगवान शिव का रोल करने वाले विजय कविश का इंटरव्यू

रामायण

रामायण

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ का पुनः प्रसारण अतुलनीय कदम है। हमारे माता-पिता जब आज ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ देखते हैं तो उनकी पुरानी यादें ताज़ा हो जाती हैं।

80 के दशक में प्रसारित रामानंद सागर जी की रामायण भारतीय टेलीविज़न की पहली धार्मिक सीरियल थी जिसे जितना प्यार उस समय मिला, शायद उससे ज़्यादा ही आज मिल रहा है।

सभी कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों में जो अपनी छाप छोड़ी है, वह आज भी ज़िंदा है। गौरतलब है कि रामायण की शूटिंग मुंबई के किसी बड़े स्टूडियो में नहीं, बल्कि गुजरात के पहले स्टेशन ‘उमर गाँव’ के वृंदावन स्टूडियो में हुई थी।

इसी के साथ आइए रामानंद सागर जी की रामायण में भगवान शिव का अभिनय करने वाले कलाकार ‘विजय कविश’ जी से बातचीत के अंश आपसे साझा कर रहा हूं।


विजय कविश। फोटो साभार- सोशल मीडिया

सावन कनौजिया- दर्शकों ने भगवान शिव के किरदार में भारतीय टेलीविज़न पर आपको सबसे पहले देखा है। कितना चुनौतीपूर्ण था आपके लिए यह पात्र?

विजय कविश- चुनौतीपूर्ण तो हर पात्र, हर रोल होता है। फिल्मों या सीरियल में निर्देशक आपको केवल यह बताते हैं कि आपको मुस्कुराना है, आपको ये करना है वो करना है आदि मगर एक कलाकार को तय करना होता है कि मुस्कुराना कैसे है जिससे दर्शकों के बीच वह पात्र बस जाए।

सावन कनौजिया- जब भगवान शिव के किरदार के लिए आपका चयन हुआ तो कैसा लगा?

विजय कविश- पहले तो विश्वास ही नहीं हुआ कि देवाधिदेव महादेव का रोल करना है, क्योंकि इससे पहले शिव को केवल किताबों और कहानियों में पढ़ा-सुना था।

खुद को शिव जैसा बनाने के लिए पहले तो कई दिनों तक शोध चला। हमने समझा कि शिव कैसे होने चाहिए। हमने सात्त्विक व्यवहार अपनाया।

सावन कनौजिया- आपकी रामानंद सागर जी की रामायण के लिए कास्टिंग कैसे हुई?

विजय कविश- रामानंद सागर जी से बचपन से ही मिलना-जुलना होता था। चूंकि मेरे पिता सी. एल कविश अपने समय के एक कुशल लेखक रहे हैं। उन्होंने कई फिल्में लिखी हैं तो इसलिए सागर जी से बहुत पहले से बातचीत थी।

उस समय एक सीरियल आता था विक्रम बैताल, वहीं से मेरी कास्टिंग रामायण के लिए हुई क्योंकि वहां मैंने बहुत रोल किए थे। रामायण के ज़्यादातर कलाकार सीरियल विक्रम बैताल और दादा दादी की कहानियों से ही कास्ट किए गए थे।

सावन कनौजिया- भगवान शिव के किरदार को जीने के लिए आपने अपने गले में असली सांप पहना था। क्या कभी डर नहीं लगता था?

विजय कविश- सांप के दांत तो निकाल ही दिए गए थे लेकिन सांप को गले में डालना थोड़ा कठिन था, क्योंकि सांप बहुत ठंडा होता है तो इस वजह से शुरुआत में थोड़ी परेशानी होताी थी।

लेकिन शिव के किरदार में था तो ये सब करना ही था। ऐसे भी जब शूट नहीं होते थे तो सांप को गले में डालकर घूमा करता था। इस तरह सांप के साथ रहने की आदत लग गई।

सावन कनौजिया- 33 वर्ष बाद भी रामायण को दर्शक उतना ही प्यार दे रहे हैं। कोई दिलचस्प बात जो इस संदर्भ में आप कहना चाहें।

विजय कविश- बहुत अच्छा लगता है कि दर्शकों के बीच आज भी रामायण वही प्यार कमा रही है। मुझे पहले इन्द्र के रोल के लिए बुलाया गया था लेकिन बाद में कहा कि शिव का रोल करना है।

जब मुझे शिव का कॉस्ट्यूम पहनाया गया और मेकअप किया गया तो मैं बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं था। मुझे लग रहा था कि मैं अच्छा नहीं दिख रहा हूं फिर सभी ने मेरा उत्साहवर्धन किया और कहा कि आपसे अच्छा कोई नहीं लग सकता इस रोल में। तब जाकर मैंने शिव का रोल करना स्वीकारा।

सावन कनौजिया- सोशल मीडिया पर महाभारत और रामायण के पुन: प्रसारण को लेकर नफरत भी फैलाया जा रहा है। खासकर सीरियल को देखने वाले लोग रामसेतु निर्माण को लेकर मज़हबी नफरत फैला रहे हैं। इस पर क्या कहना चाहेंगे आप?

विजय कविश- इस पर कोई भी टिप्पणी करना ठीक नहीं होगा लेकिन जो भी यह कर रहे हैं गलत है, बिल्कुल अनुचित है। ऐसा नहीं है कि शिव, राम, कृष्ण हमारे आपके बनाए हैं या आज कल की बात है।

यह तो हमारी संस्कृति का हिस्सा है। शिव की पूरी महापुराण लिखी गई है। विष्णु पुराण लिखी गई है, पावन रामायण है तो इन सभी पर उंगली या सवाल तो उठने ही नहीं चाहिए।

बातचीत के अंतिम पड़ाव में उन्होंने कहा,

युवाओं को अपना आचरण ठीक रखना चाहिए। उन्हें भगवान राम से सीखने की ज़रूरत है। वे अपने बड़ों का आदर करें, खासकर माता-पिता का जिन्होंने उनका पालन-पोषण किया है।

बहरहाल, इसमें कोई दो राय नहीं है कि रामानंद सागर जी की रामायण का हर पात्र आज भी दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।


 

Exit mobile version