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टीवीएफ की नई वेब सीरीज़ ‘पंचायत’ के विकास बाबू का इंटरव्यू

फोटो साभार- Flickr

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हाल ही में एक वेब सीरीज़ लॉन्च हुई, जिसका नाम है पंचायत। इसका पहला सीज़न पूरा आ चुका है। इसके आठों एपीसोड अमेज़न प्राइम पर उपलब्ध हैं।

“पंचायत” को लेकर खास बात यह है कि वेब सीरीज़ जगत में प्रख्यात टीवीएफ के बैनर तले इसका निर्माण हुआ है। इसके निर्देशक दीपक मिश्रा ने बड़ी ही सादगी से सभी शाट्स को फिल्माया है। पंचायत के लेखक ने भी बड़ी ही सरलता से कहानी को साधा है।

कहानी उत्तरप्रदेश की है लेकिन शूट मध्यप्रदेश में हुई

पंचायत के एक दृष्य में पीली शर्ट में विकास यानी चंदन रॉय और साथ में अभिषेक त्रिपाठी यानी जितेंद्र कुमार।

पंचायत की कहानी उत्तरप्रदेश के बलिया ज़िले के फुलेरा गाँव पर आधारित है। जब मैंने इस कहानी के एक अहम किरदार विकास यानी चंदन रॉय से बात की तो पता लगा कि इसे शूट मध्य प्रदेश के एक ज़िले की ग्राम पंचायत में किया गया है।

फोन पर बात करते हुए चंदन ने मुझे बताया कि ग्राम पंचायत असली थी इसलिए पंचायत की टीम को मुश्किल से चार से पांच घंटे ही मिलते थे शूटिंग के लिए। बातों का दौर आगे बढ़ा तो पता लगा कि पंचायत में जो ग्राम प्रधान का घर दिखाया गया है, वह उस गाँव के असली ग्राम प्रधान का घर था।

कहानी पंचायत सचिव के इर्द-गिर्द घूमती है

पंचायत में मुख्य किरदार ग्राम पंचायत फकौली के सचिव अभिषेक त्रिपाठी (जितेंद्र कुमार) का है। कहानी इनके इर्द-गिर्द ही घूमती है। दरअसल, इस वेब सीरीज़ के ज़रिये प्रधानी के बारे में दिखाया गया है कि किस तरह प्रधान तो एक महिला ही होती है लेकिन सारा काम पति ही देखता है। असल में प्रधान की इज़्जत उसके पति को दी जाती है।

अभिषेक त्रिपाठी जो कि एक शहरी पढ़ा लिखा महत्वकांक्षी लड़का है। एक ठेठ गांव की पंचायत में सचिव के तौर पर उसकी नियुक्ति होती है। जो वहां ग्राम पंचायत के मसलों के साथ साथ गाँव वालों के व्यक्तिगत समस्याओं का भी समाधान करता है।

अभिषेक रात के समय में अपनी आगे की पढ़ाई के लिए पढ़ता है। इस दौरान कई समस्याओं को भी झेलता है। शायद इसलिए पूरी सीरीज़ में वह हर गाँव के व्यक्ति से निराशा भरे स्वभाव से पेश आते है।

विकास बाबू को क्यों खाने पड़ गए डेढ़ किलो पेठे

वहीं, उनके साथ उनके पंचायत ऑफिस में आफिस सहायक विकास (चन्दन राय) होते हैं, जो हर संभव उनकी मदद करते हैं। वह प्रयास करते हैं कि अभिषेक त्रिपाठी प्रसन्नचित होकर काम करें। 

वो कभी-कभी तो शानदार काम करते हैं और कभी अभिषेक जी की मदद करने के चक्कर में काम बिगाड़ भी देते हैं। जब संयोग से मेरी फोन पर चंदन रॉय से बात हुई तो उन्होंने एक मज़ेदार किस्सा सुनाया।

सीरीज़ के प्रथम एपीसोड में जो पेठे खाने वाला सीन था उसे फिल्माने के लिए विकास को करीब डेढ़ से दो किलो पेठे खाने पड़े ताकि शॉट सही से हो पाए। 

चंदन के अभिनय ने दर्शकों का दिल जीत लिया

चंदन रॉय के साथ नीना गुप्ता, रघुबीर और फैसल मलिक भी कहानी के हर एपीसोड में देखने को मिलेंगे लेकिन जिस कदर चंदन रॉय ने शानदार अभिनय के ज़रिये लोगों का दिल जीता है, वहा काबिल-ए-तारीफ है।

इसी बीच कॉन्फ्रेंस कॉल में मैंने अपने एक मित्र को भी लाइन पर लिया और हम दोनों ने मिलकर चंदन रॉय से एक डायलॉग बोलने का आग्रह किया। उन्होंने एपीसोड दो का एक डायलॉग हमें बोलकर सुनाया।

हमने उनके किरदार की खूब सराहना की, जिससे वह बहुत खुश हुए। कॉल के अंत में उन्होंने हमें और हमने उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।

सच में 7 अप्रैल को हुई यह कॉल मुझे हमेशा याद रहेगी। संयोग से मेरी उनसे बात हुई और रील लाइफ में जिस व्यक्ति ने हमें गुदगुदाया उसी व्यक्ति ने एक बार फिर रियल लाइफ में भी हमें काफी आनंदित कर दिया।

मेरी आपसे व्यक्तिगत अपील है कि एक बार ज़रूर देखें इस सीरीज़ को।

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