Site icon Youth Ki Awaaz

दुनियाभर में संक्रमण फैलाने वाले कोरोना वायरस की पूरी कहानी

फोटो साभार- Twitter

फोटो साभार- Twitter

कहानी शुरू होती है 8 फरवरी 2020 से। एक बार मैं कुछ बच्चों के साथ करेंट अफेयर्स से संबंधित चीज़ों के बारे में डिस्कस कर रहा था। उसी समय मुझे जानकारी मिली कि इस कोरोना वायरस का प्रकोप चीन के वुहान शहर में फैल गया है।

मैंने इस शीर्षक, “मौत के वायरस और सवाल” के साथ जनसत्ता में प्रकाशित एक लेख पढ़ा जिसमें अनुमान लगाया गया था कि क्या चीन वाकई में फार्मा कंपनियों की बिक्री बढ़ाने और विश्व को एक नए व्यापार की दिशा में धकेल रहा है?

क्या चीन की वायरोलॉजी प्रयोगशाला P4 में नए-नए वायरस से छेड़छाड़ किया जा रहा है? हालांकि चीन में यह वायरस मौत का सबब पहली बार नहीं बना था। इसके पहले चीन में सार्स, मर्स तथा बर्ड फ्लू जैसे वायरस भयंकर रूप ले चुके थे।

लंबे वक्त तक चीन ने कोरोना वायरस के बारे में विश्व से झूठ बोला

चीन एक कम्युनिस्ट राष्ट्र है, जिसकी सख्ती की वजह से चीज़ें विश्व पटल पर बड़ी देर में आ पाती हैं। इसलिए इस वायरस के बारे में जानकारी मिलना थोड़ा कठिन था।

जब वुहान शहर कोरोना का हॉटस्पॉट बन गया और चीन में अन्य देशों के रहने वाले लोगों में भगदड़ मची तब कहानी लीक हुई।

लोगों का मानना है कि कोरोना वायरस चीन का जैविक हथियार है

लोगों ने अनुमान लगाया कि कि चीन के जैविक हथियार बनाने की होड़ में यह लीक हो गया। उसके साथ ही जेनेटिक इंजीनियरिंग और जीन एडिटिंग जैसी चीज़ों ने वायरस के आकारों में परिवर्तन करके इतना ताकतवर बना दिया है कि मानव की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी इसका सामना नहीं कर सकती।

इन घातक वायरस से न्यूमोनिया का होना बहुत से वायरस के संक्रमण की पहचान बन चुकी है। आपको ज्ञात होना चाहिए कि एड्स में भी न्यूमोनिया होता है. सार्स में भी और अब कोरोना में भी यह प्रमुख लक्षण है।

इस वायरस का नाम कोविड-19 पड़ने का कारण

“को” अर्थात कोरोना। यह लैटिन भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ होता है मुकुट, क्योंकि सूक्ष्मदर्शी से यह मुकुट की तरह दिखाई पड़ता है। “वि” अर्थात वायरस तथा “ड” अर्थात डिजीज।

चूंकि इसका पहली बार दिसंबर 2019 में पता चला था इसलिए इसके अंत में कोविड-19 नाम दिया गया। वास्तव में कोरोना वायरस एक फैमिली है जिसका एक सदस्य है नॉवेल कोरोना वायरस, जिसे कोविड-19 नाम दिया गया है।

जब अमेरिका ने कोविड-19 को कहा चीनी वायरस

दुनिया में अब तक यह बीमारी लगभग 205 देशों में फैल चुकी है। चीन में डॉक्टर ली वेनलियांग ने पहली बार इस वायरस की जानकारी दी जिनकी इसी बीमारी से मौत हो गई या हत्या हो गई कुछ स्पष्ट नहीं है।

हाल के कुछ दिनों में चीन और अमेरिका एक दूसरे पर आरोप लगाते नज़र आएं और ट्रंप ने इस वायरस को चीनी वायरस भी कह दिया। हालांकि उसके बाद WHO ने ट्रंप को कड़ी फटकार लगाई, जिसके बाद ट्रंप ने पक्षपात का आरोप लगाकर WHO को दी जाने वाली सहायता राशी पर रोक लगाने की घोषणा तक कर दी। अमेरिका WHO को दुनिया में सर्वाधिक फंडिंग करता है

इसके बाद उधर चीन अमेरिकन जर्म वारफेयर मिलिट्री पर आरोप लगा रहा था कि वही यहां ये वायरस छोड़ के गए। खैर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में यह सबने मान लिया है कि यह वायरस चीन के वुहान में पहली बार पाया गया।

अमेरिका ने भारत से हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन देने के लिए आग्रह किया

मौजूदा समय में अमेरिका ने भारत से हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन देने के लिए आग्रह किया। भारत ने इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा था फिर भी इसकी मंज़ूरी दे दी गई। 

इसके पहले इस वायरस से बचाव के लिए लूपोनावर/रिटोनविर ड्रग का भी प्रयोग किया गया था, जो कि काफी रिस्की था। मौजूदा समय में लोगों और डॉक्टरों द्वारा पीपीई और एन 95 मास्क आदि प्रयोग इसके बचाव में किया जा रहा है।

चीन इस संकट काल में भी अपनी व्यापार नीति पर अडिग है

मौजूदा समय में अमेरिका, इटली, स्पेन तथा फ्रांस इसकी चपेट में बुरी तरह से आ चुके हैं और स्वास्थ्य सेक्टर में इनकी सबसे ज्यादा बजट आवंटित करने की पोल खुल चुकी है।

इसी मौके का फायदा उठाकर चीन अपने यहां नियंत्रण पाकर दुनिया में टेस्टिंग किट तथा एन-95 मास्क का बड़े स्तर पर व्यापार करना शुरू कर चुका है। इससे यही साबित होता है कि चीन पर कोरोना वायरस को लेकर जो आशंका जताई गई थी शायद वह सच है।

तबलीगी जमात मामले में प्रशासन की लापरवाही

इधर भारत में निजामुद्दीन मरकज़ जिसके बगल पुलिस स्टेशन है वहां होने वाले किसी भी प्रोग्राम को प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ती है। लेकिन इस बार ना तो सरकार को और ना ही पुलिस को भनक लगी कि यहां तबगीगी जमात के हज़ारों  लोगों का सम्मेलन हुआ था।

विदेशों से आने वाले लोगों का मरकज से संबद्ध होना, डॉक्टरों और पुलिस पर थूकना, मौलाना साद का यूट्यूब वीडियो में कोरोना वायरस से मौत होने पर जन्नत नसीब होना और मुस्लिमों को भड़काने के बावजूद आज तक मौलाना साद का ना पकड़ा जाना, सरकार और पुलिस प्रशासन की नाकामी है।

सम्भव है कि लॉकडाउन बढ़ा दिया जाए

आखिर यह भी सवाल है कि 2.5 मंज़िल के नक्शे में 7 मंजिल की मरकज की इमारत बन गई जिससे वहां का नगर निगम आज भी शायद अनभिज्ञ है।

इन सब बातों को छोड़ दिया जाए तो राज्य सरकारों की पुरज़ोर कोशिश तथा प्रधानमंत्री जी के जनता कर्फ्यू से लेकर 21 दिनों के टोटल लॉकडॉउन तक लोगों का सहयोग शायद इस बीमारी में नियंत्रण पाने का मजबूत हथियार साबित हो सके।

ऐसा सुनने में आ रहा है कि शायद लॉकडाउन बढ़ाना पड़े। कुल मिलाकर भारत में स्थिति नियंत्रण में है। हमारी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि सोशल डिस्टेंसिंग के साथ लॉकडाउन का पूर्ण पालन करें और घर से ना निकलें।

आपकी सुरक्षा देश की सुरक्षा है। आप हैं तो भारत है, इसलिए हे भारतवासियों आप डॉक्टर, पुलिस तथा नर्सों का सम्मान करें और उनके लिए अपने घरों से बाहर ना निकलें।

Exit mobile version