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क्या 21वें दिन लॉकडाउन खत्म करने के लिए तैयार है हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था?

फोटो साभार- सोशल मीडिया

फोटो साभार- सोशल मीडिया

हाल ही में 14 अप्रैल तक का लॉकडाउन तय किया गया है। 2 अप्रैल को हुए प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री संवाद में लॉकडाउन कई चरणों में खोलने की बात की गई है। प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन खोलने के लिए राज्यों से सुझाव भी मांगे हैं।

लॉकडाउन कब खत्म हो?

मुझे लगता है कि लॉकडाउन करने का उद्देश्य सफल हो जाए तभी लॉकडाउन खत्म करना चाहिए। कहने का मतलब यह है कि अगर हमें ऐसा लगता है कि लॉकडाउन करने के पीछे का मकसद पूरा नहीं हुआ तो लॉकडाउन कंटीन्यू करना चाहिए।

14 अप्रैल के बाद लॉकडाउन जारी रखना हमारे लिए मुश्किल हो सकता है मगर हमें लॉकडाउन के होने वाले परिणाम से ज़्यादा लॉकडाउन करने के पीछे की वजह को अहमियत देने की ज़रूरत है।

कई चरणों में लॉकडाउन खोलने से भी संक्रमण फैलने का खतरा कायम रहेगा। हम यह रिस्क नहीं ले सकते हैं।

कोरोना से लड़ने के लिए ठोस रणनीति बनाने की ज़रूरत

कोरोना से लड़ने के लिए क्षणिक रणनीति कारगर नहीं है। इसे समझने के‌ लिए इटली से हार्वर्ड बिज़नेस रिव्यू के आर्टिकल को पढ़िए जिसमें काफी बेहतरीन तरीके से समझाया गया है।

जिसका ज़िक्र मैंने मेरे लेख “कोरोना को लेकर क्या हम भी इटली वाली गलती कर रहे हैं?” में भी किया है। 

कैसे तय किया जाए कि लॉकडाउन करने के पीछे का मकसद पूरा हुआ या नहीं?

लॉकलाउन के दौरान दुकानों के बाहर एक-एक फिट की दूरी पर खड़े लोग। फोटो साभार- सोशल मीडिया

जब यह सुनिश्चित हो जाएगा कि सभी कोरोना पॉज़िटिव लोगों को हमने आइसोलेशन में रखा है और स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है। तभी हम लॉकडाउन को खत्म कर सकते हैं। अगर केसेज़ बढ़ रहे हैं और हम कम्युनिटी स्प्रेड को समझ नहीं पा रहे हैं तो हमें लॉकडाउन जारी रखना चाहिए।

इसलिए अब हमें और समय बर्बाद किए बिना लॉकडाउन के दौरान लाखो लोगों की टेस्टिंग पूरे देश में करनी चाहिए। कोरोना पॉज़िटिव लोगों को आइसोलेशन में भेजकर उनकी ट्रीटमेंट करनी चाहिए। अगर हम ऐसा 14 अप्रैल तक नहीं कर पाते हैं तो हमें लॉकडाउन को आगे जारी रखना चाहिए।

खबर आ रही है कि ICMR ने रैपिड टेस्ट को मंज़ूरी दी है। तो हमारी टेस्टिंग कैपेसिटी बढ़ रही है और जल्द-से-जल्द हमें इसकी शुरुआत करनी चाहिए।

कैंब्रिज ने क्या अध्ययन किया?

कैंब्रिज के अध्ययन के मुताबिक 49 दिनों के लॉकडाउन से हमारा देश कोरोना वायरस को नियंत्रण में ला सकता है। खैर, हम कितने दिन का लॉकडाउन कर रहे हैं, इससे ज़्यादा महत्वपूर्ण यह है कि हम लॉकडाउन के दौरान कितने टेस्ट कर रहे हैं?  कितने लोगों को आइसोलेशन में भेजा गया वगैरह।

यह भी देखना ज़रूरी है कि लॉकडाउन किस सख्ती से किया जा रहा है। लॉकडाउन का उपयोग करके हम अगर लाखों लोगों के टेस्ट करते हैं तो हमारे लिए यह लड़ाई आसान हो सकती है।

हमारे हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को ध्यान में रखते हुए हमें लॉकडाउन में ज़्यादा से ज़्यादा और जल्द से जल्द रैपिड टेस्टिंग करने की ज़रूरत है।

अभी तक हमने लॉकडाउन में जो कदम उठाए हैं वे पर्याप्त नहीं हैं। अभी तक हम लॉकडाउन की वजह से ज़्यादा उसके असर पर फोकस कर रहे हैं। समस्या बढ़ी है तो मुश्किलें भी बढ़ी हैं और ऐसे हालात में लोगों को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है मगर हमारे पास दूसरा ऑप्शन नहीं है।

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