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“तबलीगी जमात के लोगों को मानव बम कहकर इस्लामोफोबिया फैलाया जा रहा है”

फोटो साभार- Flickr

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हिन्दुस्तान एक ऐसा देश है जो पूरी दुनिया के लिए उदहारण है, क्योंकि यहां की सभ्यता और संस्कृति ने हमेशा सभी धर्मों को बराबर का सम्मान दिया है। यही कारण है कि हमारा हिंदुस्तान अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि की वजह से दुनिया के तमाम देशों और धर्मो के लिए लोकप्रिय है।

हिन्दुस्तान में हर धर्म के व्यक्ति निवास करते हैं जिनमें हिन्दू बहुसंख्यक है। उसके बाद इस्लाम धर्म के मानने वाले लोग, ईसाई, बौद्ध, सिख, जैन आदि अल्पसंख्यक आबादी के लोग हैं। अनेकता में एकता का परिचय देने वाले सभी धर्म के लोग एक-दूसरे का सहयोग व सम्मान करते आए हैं।

एकता में आ रही गिरावट

कुछ समय से हिन्दुस्तान के अंदर सभी धर्मो को सम्मान देने और एकता की बात करने का ग्राफ घटता हुआ देखा जा रहा है। अब हिन्दुस्तान के अंदर राजनीतिक पार्टी अपने वोट बैंक को मज़बूत करने के लिए यहां के अल्पसंख्यकों के खिलाफ बातें करके धार्मिक कट्टरता को बढ़ा रही हैं। बहुसंख्यक लोगों को खुश करने ओर उनका वोट हासिल करने के लिए अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है।

इस क्रम में हालात अब इतने ज़्यादा बदलते जा रहे हैं कि पूरा का पूरा मीडिया हाउस इसी तरह की सोच से प्रेरित होकर एक धर्म विशेष को टारगेट कर अपनी लोकप्रियता बढ़ाने का काम कर रहा है। ऐसे में भारत अपने इसी धर्मनिरपेक्षता की वजह से धार्मिक कट्टरता का केंद्र बनता जा रहा है।

यही धार्मिक कट्टरता आज इस धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में सस्ती लोकप्रियता हासिल करने ओर इसके ज़रिए लोगों को उकसाकर मीडिया हाउस अपनी टीआरपी को बढ़ाने में कामयाब होती हुई दिखाई दे रहे हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं जिनसे हम इस बात को साबित कर सकते हैं।

कोरोना वायरस के फैलते प्रभाव पर धार्मिक नज़रिया देने की भरपूर कोशिश हो रही है

कोरोना वायरस की वजह से जहां सारी दुनिया में धार्मिक कट्टरता को त्याग दिया गया है, वहीं सभी धर्मों के धर्म गुरुओं को इस महामारी से एक साथ निपटने का आग्रह किया जा रहा है।

इधर हिन्दुस्तान में दिल्ली के अंदर तबलीगी जमात के मरकज़ में 1000 लोगों में कुछ व्यक्तियों का इस बीमारी से संक्रमित पाए जाने पर मीडिया इसे इस्लामिक जिहाद और मानव बम जैसे जघन्य आरोप लगा रही है। सीधे तौर पर महामारी को धार्मिक रंग देते हुए इस्लामोफोबिया फैलाने का काम जारी है।

तबलीग़ी जमात के मरकज़ में मौजूद लोगों को मीडिया द्वारा इस तरह से पेश किया जा रहा है, जैसे उन्होंने बहुत बड़ा अपराध किया है। जबकि तबलीगी जमात के ज़िम्मेदारों द्वारा बताया गया है कि उन्होंने प्रशासन से समय रहते वहां से निकलने के लिए मदद मांगी थी।

प्रशासन द्वारा मदद देने में लापरवाही की गई। जब केन्द्र सरकार ने सम्पूर्ण देश में लॉकडाउन की घोषणा की तो मरकज़ के पदाधिकारियों ने पत्र लिखकर प्रशासन से उन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए गुहार लगाई थी।

प्रशासन ने नहीं दिया वक्त पर ध्यान

प्रशासन ने उनकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया। परिणामस्वरूप उनके सामने पूर्व कार्यक्रम के अनुसार दूर दराज़ से आए हुए लोगों को अपने परिसर में ही शरण देने के अतिरिक्त कोई चारा नहीं बचा था।

इस समय सारे देशवासियों को एकजुट होकर इस वैश्विक संकट का सामना करने की आवश्यकता है। दिल्ली सरकार तथा मीडिया का एक हिस्सा इस पूरे मामले को साम्प्रदायिक रूप देने का प्रयास कर रहा है जो अत्यन्त निन्दनीय है।

धार्मिक कट्टरता को खत्म करने के लिए ज़मीनी स्तर पर सही कदम उठाने की ज़रूरत

अच्छी खबरों को ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करने का प्रयास हो। ऐसी खबरें जो समाज में नफरत की जगह मुहब्ब्त को बढ़ाती हों उन्हें आगे बढ़ाएं। हम सब अगर संगठित होकर नफरती न्यूज़ के खिलाफ अभियान चलाएं तो इस तरह की घटिया पत्रकारिता को जनता के सामने नंगा किया जा सके।

आज हिन्दुस्तान में सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म का उचित उपयोग करने की सख्त ज़रूरत है। हमें कोरोना वायरस से आगे हिन्दुस्तान के आम लोगो को बचाना है। 

पहले हमें मीडिया से लड़ने की कोशिश करनी पड़ेगी तभी हम सब इस महामारी से बच सकते हैं। कोशिश करते रहें आप जिस क्षेत्र में भी हैं, वहां इस तरह की नफरत को खत्म करने का प्रयास हो।

अगर हम इस तरह से मिलकर कार्य करते हैं तो एक दिन ज़रूर हम इस कोरोना वायरस ओर मीडिया के दुष्प्रचार से छुटकारा पा सकते हैं। घरों में सुरक्षित रहें और राष्ट्र के पुराने अस्तित्व को बरकरार रखने का काम करें।

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