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लॉकडाउन: सैनिटरी पैड्स की मांग करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री को खत

फोटो साभार- Flickr

प्रिय मुख्यमंत्री जी,

राजस्थान सरकार

मेरा नाम कविता कुंवर है। मैं कक्षा 11 के कला संकाय में पढ़ती हूं। मैं मजाम गाँव के गुर्जरगढ़ फले की रहने वाली हूं। पढ़ने के लिए रोज़ सात किलोमीटर दूर गोगुन्दा जाती हूं। मेरा स्कूल पिछले 15 दिन से बंद है और आने वाले 15-20 दिन में इसके खुलने के कोई आसार नहीं हैं।

ऐसे में मुझे बहुत चिंता सता रही है कि मैं माहवारी के दौरान सैनिटरी पैड्स कहां से लाऊंगी। स्कूल के साथ-साथ मेरे गाँव का आंगनवाडी केंद्र भी बंद है। यहां से भी मुझे कोई राहत मिलती नज़र नहीं आ रही है।

मैं गोगुन्दा जाकर भी सैनिटरी पैड्स नहीं ला सकती क्योंकि मेरे गाँव की सीमा को गाँव वालों ने सील कर दिया है। मेरे गाँव के कई लड़के जो मुंबई-सूरत में काम करते हैं। वे कोरोना के डर से गाँव लौटने लगे हैं। इस खौफ से कि कहीं वे अपने साथ कोरोना वायरस लेकर ना आ जाएं। गाँव वालो ने गाँव की सीमा बंद कर दी है।

मैं पहले कपड़े का प्रयोग करती थी लेकिन मेरे पीरियड्स के दौरान बहुत ज़्यादा बहाव होता है। ऐसे में कपड़ा प्रयोग करने पर मुझे हर एक घंटे में उसे बदलना ज़रूरी हो जाता है। मेरे घर में शौचालय भी नहीं है।

एक बार सैनिटरी पैड्स का उपयोग करने के बाद मैं 5-6 घंटे निकाल लेती हूं लेकिन इस समय मेरे लिए बहुत कठिन परिस्थिति है। मेरे घर में मेरे और मेरी माँ के अलावा सभी पुरुष हैं। ऐसे में मैं अपनी बात किसे और कैसे समझाऊं। यह बात मेरे ही समझ में नहीं आ रहा है।

मुख्यमंत्री जी, यह एक ज़रूरी उपयोग की वस्तु है!

पहले भी स्कूल से पैड्स अनियमित रूप से ही मिलते रहे हैं। गर्मी की छुट्टियों में भी पैड्स नहीं मिलते हैं। कई बार बीच महीनों में भी सप्लाई नहीं होती है। कुल मिलकर कहूं तो साल में 8 महीने ही पैड्स मिलते हैं लेकिन ऐसे में भी मुझे पास के आंगनवाडी केंद्र से मदद मिल जाती थी।

कई बार मैं अपनी पॉकेट मनी से भी बाज़ार से पैड्स खरीद लेती थी लेकिन अभी तो सब कुछ बंद है। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा कि करूं तो क्या करूं? ये हम किशोरियों के लिए बहुत ज़रूरी चीज़ है। मेरे लिए इसके बिना फिलहाल माहवारी प्रबंधन बहुत मुश्किल है।

क्या कोई और भी उपाय है?

मुख्यमंत्री जी, शुरुआत के कुछ महीनों में मैंने माहवारी के दौरान कपड़ा ही प्रयोग किया था। इसी दौरान मुझे स्कूल से सैनिटरी पैड्स मिलने शुरू हो गए और मैं इनका उपयोग करने लग गई। अब मैं इसके साथ सहज हो चुकी हूं। मुझे अब कपडा अच्छा नहीं लगता है।

मुझे लगता है कि हमारे स्कूल में इसकी ट्रेनिंग होनी चाहिए कि अगर कभी पैड्स ना मिले तो कैसे काम चलाएं। मैं अपनी माँ को कहती हूं तो वो ‘टाइम पीस’ कपड़ा आगे कर देती है। ये कपड़ा मेरे निजी अंगों के आस-पास की त्वचा पर लाल निशान कर देता है। इससे मुझे बहुत जलन होती है।

मुख्यमंत्री जी, आपसे विनम्र अनुरोध है कि कृपया हमारे गाँव मजाम सहित पूरे राजस्थान की ग्रामीण किशोरियों के लिए, जो इस लॉकडाउन में अपने घर से बाहर नहीं निकल सकती हैं, उनके घर तक सैनिटरी पैड्स पहुंचाने की व्यवस्था कराएं। हम किशोरियां आपका बहुत आभार मानेंगी।

धन्यवाद,

आपकी प्रिय छात्रा,

कविता कुंवर,

गुर्जरगढ़, पंचायत- मजाम, पोस्ट एवं तहसील- गोगुन्दा, ज़िला- उदयपुर


 

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