हेल्थ केयर को प्राथमिकता बनाने और डिस्कशन का प्रमुख मुद्दा बनाने के लिए, हमें महामारीका इंतजार क्यों करना पड़ा? आज पूरी दुनिया और हमारा देश कोरोना वायरस के कारण संकट में है। कोरोना वायरस से निपटने के लिए सरकार के साथ सभी लोग प्रयास कर रहे हैं।
कोरोना वायरस के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था आज चर्चा का प्रमुख मुद्दा बनी है। हमारे प्रधानमंत्री ने 24 मार्च को देश को दिए उनके सम्बोधन में कहा कि हेल्थ केयर आज देश की प्रमुख प्राथमिकता है।
अब तक स्वास्थ्य पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया?
मैं प्रधानमंत्री जी से आज यह कहना चाहता हूं कि आज हेल्थ केयर हमारी प्राथमिकता नहीं, बल्कि मजबूरी है। आज हमारे लिए हेल्थ केयर को प्राथमिकता बनाने के अलावा दूसरा कोई भी विकल्प भी नहीं है। आज मेरा आपसे यह सवाल है कि पिछले 6 साल से आपने देश के प्रधानमंत्री के तौर पर हेल्थ केयर को प्राथमिकता क्यों नहीं दी?
मैंने Youth Ki Awaaz पर 2019 लोकसभा चुनाव से पहले एक लेख लिखा था जिसमे मैंने सवाल पूछा था, “क्या भारत में हेल्थ केयर कभी प्रमुख चुनावी मुद्दा बनेगा?”
मैं इस आर्टिकल का ज़िक्र इसलिए कर रहा हूं क्योंकि अगर चुनावों में हेल्थ केयर और शिक्षा प्रमुख मुद्दे होते तो आज हमारे देश की हालत ऐसी नहीं होती।
हमारी विकास की परिभाषा ही गलत है, जब तक हम इसमें सुधार नहीं करेंगे तब तक हेल्थ केयर, शिक्षा और क्लाइमेट चेंज जैसे ज़रूरी मुद्दे हमारी प्राथमिकता में नहीं आएंगे।
यदि हम आज नहीं सुधरे तो आने वाला वक्त और तकलीफें देगा
अगर हम आज नहीं सुधरे तो आगे चलकर क्लाइमेट चेंज की वजह से कोरोना वायरस से भी बड़े संकट आ सकते हैं। कोरोना वायरस का तो इलाज हम 1-2 साल में खोज लेंगे मगर क्लाइमेट चेंज जैसे संकट से बाहर निकलने का कोई इलाज ही नहीं होगा।
आज ही हमें हमारी सोच और प्राथमिकता बदलने की ज़रूरत है। अब हमें हेल्थ, शिक्षा और पर्यावरण को महत्व देने की ज़रूरत है।
क्या इस कोरोना संकट से हम कुछ सीखेंगे?
बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि आज हमारी सरकार और मीडिया के लिए हेल्थ केयर, शिक्षा और क्लाइमेट चेंज ये जरूरी मुद्दे नहीं हैं मगर सवाल यह है कि कोरोना संकट की वजह से क्या हम बदलने वाले हैं?
आज मीडिया दिन-रात कोरोना वायरस के कारण हेल्थ केयर की बात कर रहा है, डॉक्टर्स को डिस्कशन में बुला रहा है, वेंटिलेटर और हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की बात कर रहा है।
आने वाले दौर में मीडिया को हेल्थ केयर पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत
इसी मीडिया को मैं आज सवाल पूछता हूं, “इससे पहले हेल्थ केयर से जुड़े मुद्दे को आपने कितना समय दिया है? हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए सत्ता से कितने सवाल पूछे? हेल्थ सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए कितने डिबेट्स प्राइम टाइम में आपने लिए? कितने डॉक्टर्स को डिस्कशन में बुलाया है? कितनी बार आपने हेल्थ मिनिस्टर से हेल्थ सिस्टम के बारे में सवाल पूछे?”
अगर आपने ये सब किया होता तो आज हालात कुछ और होते। उम्मीद करता हूं कि कोरोना संकट से सबक लेकर आप में बदलाव आएगा और अब से हेल्थ केयर पर डिस्कशन के लिए भी आपके पास समय होगा।
वर्तमान दौर में पब्लिक हेल्थ एक बुरे संकट से गुज़र रही है
आज हमारे देश में पब्लिक हेल्थ का बहुत बुरा हाल है, क्वालिटी प्राइवेट हेल्थ केयर आम लोगों के लिए अफॉर्डेबल नहीं है। कुछ प्राइवेट अस्पताल मनमानी कर रहे हैं। रूरल एरिया में हेल्थ केयर एक्सेसिबिलिटी नहीं है।
कुपोषण बहुत बड़ी समस्या है। 15 से 49 सालों की 54.4 प्रतिशत महिलाएं एनिमिक हैं। यहां तक कि WHO के दिशा निर्देश के मुताबिक हामरे पास ना तो उतने डॉक्टर्स हैं और ना ही अस्पतालों में बेड्स।
मीडिया के साथ-साथ हम भी दोषी हैं
कैंसर स्क्रीनिंग और ट्रीटमेंन्ट की सुविधा हमारी जनसंंख्या के मुताबिक नहीं है। बहुत सारे शहरों की हवा खराब है जिसके कारण होने वाली बीमारियां बढ़ रही हैं। बहुत सारे लोगों को अस्पताल में बेड तक नहीं मिलते हैं।
आज भी बहुत सारे लोगों को मरने के बाद एम्बुलेंस नहीं तक नसीब नहीं होता है। लाइफ स्टाइल डिसऑर्डर्स बढ़ रहे हैं, इतनी सारी समस्याएं हैं परन्तु सरकार हेल्थ केयर के मुद्दे को लेकर गंभीर नहीं है। ना ही हमारा मीडिया गंभीर है और ना ही हम लोग।
क्या हेल्थ केयर आने वाले चुनाव का प्रमुख मुद्दा बनेगा?
हमारी हेल्थ केयर स्पेंडिंग हमारी GDP का 1.28 प्रतिशत है जो कि WHO के अनुसार GDP का 5 प्रतिशत होना चाहिए। मेन्टल हेल्थ और मेंस्ट्रुअल हेल्थ के बारे में लोगों में जागरूकता नहीं है। क्या अब हमारी सरकार हेल्थ केयर को प्राथमिकता बनाएगी?
क्या अब मीडिया हेल्थ केयर को गंभीरता से लेगा? क्या अब हम तय करेंगे कि हेल्थ केयर आने वाले चुनाव का प्रमुख मुद्दा बनेगा?
इस वर्ल्ड हेल्थ डे पर मैं उम्मीद करता हूं कि कोरोना वायरस की लड़ाई हम जल्द ही जीत जाएंगे और इससे सबक लेकर हेल्थ केयर सिस्टम को सुधारने की कोशिश करेंगे। आप सब सोशल डिस्टेंसिंग मेन्टेन कीजिए, कोरोना से दूर रहिए और सरकार से ज़रूरी सवाल पूछते रहिए।