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“मेरे गाँव में कोरोना वायरस को भगाने के लिए लोग टोटके का प्रयोग करते थे”

फोटो साभार- Flickr

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कोरोना वायरस को लेकर एक तरफ जहां भय का माहौल है, वहीं दूसरी ओर अफवाहों का बाज़ार भी काफी गर्म है। मैं झारखंड के मसलिया प्रखंड में रहता हूं जो सुदूर ग्रामीण इलाका है। ये समझ लीजिए कि यहां तक सरकारी योजनाएं पहुंच जाएं तो बहुत बड़ी बात है।

ऐसे में इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि कोरोना वायरस को लेकर अफवाहों के मामले में ग्रामीण कितने एक्सपर्ट होंगे। एक ताज़ा घटना बताता हूं आपको सुनिए!

मैं कल शाम को अपने घर के दरवाज़े के पास खड़ा था और इस बीच मैंने देखा कि एक बुज़ुर्ग व्यक्ति थाली को ज़ोर-ज़ोर से  पैरों के ज़रिये मार रहे हैं। करीब जाकर पूछने पर मुझे बताया गया कि इससे कोरोना भागता है मोदी जी ने कहा है।

दूसरी घटना भी मेरे गाँव की है जहां एक महिला घर के दरवाज़े को जूते से पीट रही थी। ग्रामीणों ने बताया कि यह कोरोना भगाने का टोटका है।

गाँव के ही हराधन मांझी (बदला हुआ नाम) सुबह उठकर स्नान करके आ रहे थे। मैंने उनसे पूछा कि इतनी सुबह तो आप नहीं स्नान करते थे, आज आपको क्या हो गया?

उन्होंने कहा, “तुम तो पापी हो। दो किताब पढ़कर खुद को उस्ताद समझते हो। कोरोना होगा तब समझोगे।”

मेरे गाँव में हर शाम को लोग हवन करते हैं ताकि कोरोना वायरस मर जाए। जो लोग गैस में खाना पकाते थे अब वे भी लकड़ी के चूल्हे में खाना पकाने लगे हैं। उनका मानना है कि इस महामारी से लड़ने का यह शानदार तरीका है।

मेरा एक परम मित्र है जिसका नाम है दिनेश बाउरिया (बदला हुआ नाम), उसने मुझे कल बोला कि कोरना वायरस का जो खतरा चल रहा है, वो ज़रूरी था क्योंकि ये नहीं होता तो हम आम लोग चेतते नहीं। साल दो साल में ऐसे वायरस को ज़रूरत है कि आकर हमें डराएं ताकि हम अपना ख्याल रखें।

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