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जानिए इन परिस्थितियों में यौन संबंध बनाना रेप के दायरे में क्यों आता है

लोगों के बीच धारणा है कि एक आदमी को बलात्कार के अपराध के लिए केवल तभी दोषी ठहराया जा सकता है जब सर्वाइवर ने उसकी सहमति नहीं दी हो।

यह ध्यान रखना आवश्यक है कि एक पुरुष को बलात्कार के लिए उस मामले में भी दोषी ठहराया जा सकता है, जहां किसी महिला से किसी गलत धारणा या गलत बयानी के तहत सहमति ली जाती है।

आईपीसी की धारा 375 के मुताबिक कोई व्यक्ति अगर किसी महिला के साथ इन परिस्थितियों में यौन संबंध बनाता है, तो यह माना जाएगा कि महिला के साथ रेप हुआ है। जैसे-

क्या कहा जाएगा जब कोई शादी का वादा करके संबंध बनाए

ऐसे बहुत से उदाहरण हैं जहां पुरुषों ने भविष्य में लड़की से शादी करने का वादा करके रिश्ता कायम किया है। किसी महिला के साथ भविष्य में शादी करने का झूठा वादा करके उसके साथ संभोग करना बलात्कार है, क्योंकि महिला की सहमति गलत धारणा के तहत मिली थी।

वर्षों से इस तरह के झूठे वादों ने बहुत सारी महिलाओं को बलात्कार का शिकार बनाया है। भारतीय न्याय शास्त्र ने ऐसे झूठे वादों को एक तथ्य की गलत धारणा के बराबर माना है।

कुछ उदाहरण

आंध्रप्रदेश में एक केस आया था श्रीनिवास राव का। यहां आरोपी पहले से ही शादीशुदा था फिर भी उसने एक महिला के साथ यौन संबंध बनाकर उससे वादा किया था कि वह उसकी पत्नी को तलाक देने के बाद भविष्य में उससे शादी करेगा।

उस वादे के बहकावे में अभियोजन पक्ष ने यौन संबंध बनाए लेकिन बाद में आरोपी ने अपनी पत्नी को तलाक देकर अभियोजन पक्ष से शादी करने से इनकार कर दिया।

इस मामले में आरोपी को बलात्कार के अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि अभियुक्त शुरुआत से ही अभियोजन पक्ष के साथ यौन संबंध बनाने के लिए तैयार था परंतु उससे शादी करने के लिए कभी तैयार नहीं था।

वादे के उल्लंघन और झूठे वादे के बीच का अंतर

दीपक गुलाटी बनाम हरियाणा राज्य के मामले में यह उच्चतम न्यायालय का पर्यवेक्षण था। इस मामले में आरोपी ने उससे शादी करने के लिए अभियोजन पक्ष से वादा किया था।

बाद में यदि अभियुक्त अपने नियंत्रण से परे कुछ कारणों की वजह से अभियोजक से शादी करने में सक्षम नहीं है, तो यह अभियोजक से शादी करने के एक मात्र वादे का उल्लंघन होगा। ऐसे मामलों में आरोपी को बलात्कार के अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।

अन्य परिस्थितियां

बहुत सारी परिस्थितियों में ऐसा देखा गया है कि प्यार करने वाले रिश्ते टूटने के बाद बलात्कार का आरोप लगाते हैं। ऐसे सनसनीखेज़ मामले में दिल्ली के उच्च न्यायालय ने कहा कि किसी भी निर्णय के उच्चारण से पहले हर मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को नोट करना महत्वपूर्ण है।

इस मामले में न्यायालय द्वारा यह दृढ़ता से कहा गया था कि एक महिला किसी पुरुष के साथ प्यार करती है और अपनी स्वतंत्र सहमति के साथ उसके साथ रिश्ता कायम करती है।

यदि उचित परिस्थितियों के कारण पुरुष महिला से शादी करने में असमर्थ है, तो पुरुष को बलात्कार के अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।

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