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लॉकडाउन की अनिश्चितता और प्रवासियों की वापसी

दिल्ली अंतरराज्यीय बस अड्डे में प्रवासी मजदूर अपने गांव जाने के लिए बस का इंतजार करते हुए

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश की अलग-अलग जगहों पर फंसे प्रवासी मजदूरों, पर्यटकों, विद्यार्थियों आदि की आवाजाही की अनुमति दे दी है। गृह मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने यहां फंसे लोगों को उनके गृह राज्यों में भेजने और दूसरी जगहों से अपने-अपने नागरिकों को लाने के लिए स्टैंडर्ड प्रॉटोकॉल तैयार करें।

यानी, अब हर प्रदेश, दूसरे प्रदेशों में फंसे अपने नागरिकों को वापस ला पाएगा और अपने यहां फंसे दूसरे प्रदेशों के नागरिकों को वहां भेज पाएगा। बहरहाल, गृह मंत्रालय ने राज्यों को फंसे लोगों को लाने और ले जाने की व्यवस्था के लिए कुछ गाइडलाइंस भी जारी की हैं।

गौरतलब है कि कोरोना संकट के कारण 25 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन घोषित कर दिया गया। ऐसे में देश के अलग-अलग हिस्सों में मजदूर, विद्यार्थी, पर्यटक, मरीज और उनके परिजन आदि फंस गए। कामकाज ठप हो जाने के कारण आमदनी रुक गई और मजदूरों को रहने-खाने की चिंता सताने लगी।

तभी दिल्ली और आसपास के इलाकों से हजारों मजदूरों ने पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने-अपने घरों को पलायन कर दिया। फिर लॉकडाउन की मियाद बढ़ाकर तीन मई करने की घोषणा हुई तो हजारों मजदूर मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन के पास जुट गए।

फिर कोटा से छात्रों को लाने को लेकर यूपी और बिहार में खूब राजनीति हुई। ऐसे में बाहरी राज्यों में फंसे लोगों को निकालने पर बहस गहरी होने लगी थी। अब केंद्र सरकार ने इस बहस पर विराम लगा दिया है।

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