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“यदि बिहार सरकार के राहत पैकेज कारगर होते तो बच्चे मेंढक नहीं खाते”

hunger in bihar amid covid 19

hunger in bihar amid covid 19

पूरे विश्व में कोरोना का संकट छाया हुआ है। भारत में लगातार कोरोना से संक्रमित व्यक्तियों की संख्या बढ़ती जा रही हैं। इससे निपटने के लिए भारत सरकार ने लॉकडाउन की अवधि 3 मई तक बढ़ा दिया है।

लॉकडाउन के बीच देश के अलग-अलग हिस्सों से ऐसी तस्वीरें आ रही हैं, जहां लोग राशन की किल्लत से जूझ रहे हैं, भूख से परेशान हैं। यकीनन ऐसी तस्वीरें सरकारी दावों की पोल खोल रही हैं।

राशन के अभाव में मेंढक खाने को मजबूर हैं बच्चे

भूख के कारण मेंढक खाते बच्चों की तस्वीर। फोटो साभार- सोशल मीडिया

ऐसी ही कुछ तस्वीरे बिहार से आ रही है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक बच्चा अपना दर्द बता रहा है कि लॉकडाउन के कारण वह कैसे राशन के अभाव में मेंढक खाने को मजबूर है।

कई मीडिया संस्थानों ने इस वीडियो की पड़ताल करते हुए बताया कि यह वायरल वीडियो बिहार के जहानाबाद का है।

इस वीडियो में दो छोटे बच्चे नज़र आ रहे हैं। एक बच्चा वीडियो रिकॉर्ड करने वाले की ओर देखकर, उसके सवालों का जवाब दे रहा है। वहीं, दूसरे बच्चे अपने हाथ में मेंढक लिए दिखा रहे हैं और बीच-बीच में बता रहे हैं कि कैसे मेंढक को खाते हैं।

वीडियो में बच्चे के शरीर पर कपड़े तक नहीं हैं। वे बेबाकी से वीडियो बनाने वाले शख्स के सवालों का जवाब देते हैं। बच्चे बताते हैं कि देश में लॉकडाउन घोषित होने की वजह से उनके घरों में अनाज खत्म हो गया है। ऐसे में वे क्या करें? उनके घरों में अनाज नहीं है इसलिए वे मेंढक से अपनी भूख मिटा रहे हैं।

बच्चे बता रहा हैं कि वे आसपास से पहले मेंढक पकड़ते हैं। इसके बाद वे उन मेंढकों की चमड़ी को निकालकर आग में भूनकर खा लेते हैं।

हालांकि जहानाबाद के डीएम नवीन कुमार ने इस वीडियो को मैन्यूपलेटेड बताते हुए कार्रवाई करने की बात कही है। ये तो वही बात हो गई कि सरकार की पोल जैसे ही खुली तो मामले को फर्ज़ी बता दो! वहीं सरकारी एजेंसी पीआईबी ने भी इसे झूठा करार दिया है।

क्या कर रही है बिहार सरकार?

नीतीश कुमार। फोटो साभार- Getty Images

ये वही बिहार है, जहां डबल इंजन की सरकार है और राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं। अपने ट्वीटर अकाउंट पर वो लोगों को राशन मुहैया कराते हुए तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं।

इन तस्वीरों को पोस्ट करते हुए वो दावा कर रहे हैं कि दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मज़दूरों (जो मूल रूप से बिहार से हैं) को राशन मुहैया करा रहे हैं।

लेकिन जिस राज्य के वो मुख्यमंत्री हैं, वहां पर नन्हें मासूमों के नसीब में राशन नहीं हैं। नसीब में है तो मेंढक जिसे बच्चे राशन मानकर खाने को मजबूर हैं।

राशन की किल्लत झेलने वाला मध्यवर्गीय तबका सोशल मीडिया पर सक्रिय है। राशन की किल्लत होती है, तो यह वर्ग सरकार से लेकर स्थानीय प्रशासन से गुहार लगा लेता है और उसे मदद भी मिल जाती है। इस मुश्किल समय में परेशान व्यक्ति की मदद करना प्रशंसनीय होने के साथ-साथ सरकार की ज़म्मेदारी भी है।

लेकिन क्या ऐसी ही मदद सरकार गरीब तबकों की कर पा रही हैं? क्या उन्हें भी इस संकट के समय में सरकारी महकमों द्वारा राशन मिल पा रहा है?

दुःखद है कि ये गरीब लोग सोशल मीडिया पर नहीं हैं, तभी तो सरकार से राशन के लिए अनुरोध नहीं कर पा रहा हैं। यह सरकार की असफलता है कि वो गरीब तबकों तक नहीं पहुंच पा रही हैं।

कम्यूनिटी किचन कहां और किन स्थितियों में हैं?

कम्यूनिटी किचन (प्रतीकात्मक तस्वीर)। फोटो साभार- सोशल मीडिया

खबरों के ज़रिये जानकारी मिली है कि कि प्रशासन की तरफ से कम्यूनिटी किचन खोला जाएगा। यह प्रशासन की लापरवाही ही है कि लॉकडाउन के दूसरे चरण में प्रशासन ने कम्यूनिटी किचन खोलने के बारे में निर्णय लिया है। वह भी सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद।

संकट के समय अगर सरकार के राहत पैकेज इतने कारगर होते, तो जहानाबाद से ऐसा वीडियो सामने नहीं आता।

बिहार सरकार द्वारा दावा किया जा रहा है कि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक राहत पैकेज पहुंचाया जा रहा है। अगर सरकार के दावे सच होते, तो जहानाबाद में छोटे-छोटे बच्चे अपने भूख को मिटाने के लिए मेंढक खाने को मजबूर नहीं होते।

कोरोना संकट में न्यू इंडिया का एक हिस्सा झेल रहा है दोहरी मार

लॉकडाउन के दौरान घर जाते प्रवासी मज़दूर। फोटो साभार- सोशल मीडिया

बिना तैयारी के लॉकडाउन होने के कारण न्यू इंडिया का एक तबका कीड़े-मकोड़े खाकर गुज़ारा कर रहा है। ये बच्चे हमारे भारत के भविष्य हैं, दुःखद है कि भारत का नेतृत्व करने वाला भविष्य, आज अपने भूख को मिटाने के लिए मेंढक खाने को मजबूर है।

संकट के इस समय में पूरा देश कोरोना से लड़ रहा है, तो वहीं ये गरीब बच्चे दोहरी मार झेल रहे हैं, इन बच्चों के सामने पहला संकट भूख का है, बाद में कोरोना का।

ये बच्चे भूख की वजह से मेंढक खाने को मजबूर हैं। इन्हें कोई बीमारी हो सकता है, जिससे इनकी मौत भी हो सकती है।सोचिए अगर मेंढक खाने से कोई नया वायरस जन्म ले लेता है और कोरोना की तरह एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य को संक्रमित करने लगे, तो कौन इसके लिए ज़िम्मेदार होगा।

देश पहले से ही कोरोना संकट से जूझ रहा है और ऐसी घटनाएं नए संकट को जन्म दे सकती हैं। ऐसे में इसकी ज़िम्मेदारी सरकार की होगी, ना कि उन छोटे बच्चों की।

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