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“इन चंद तब्लीगियों के कारण हम मुस्लिम समाज को बदनाम किया जा रहा है”

फोटो साभार- सोशल मीडिया

फोटो साभार- सोशल मीडिया

देश के तमाम तबलीगी जमात के समर्थकों का कहना है कि अचानक लॉकडाउन हुआ तो कोई भी दिल्ली निज़ामुद्दीन मरकज़ से निकल नहीं सके। तो उन सबसे यह सवाल करना चाहूंगा कि जब मार्च के पहले हफ्ते में ही दिल्ली में 4 कोरोना पॉज़िटिव केस पाए गए थे तब ये जमात के लोग किस चीज़ की राह देख रहे थे?

उसी वक्त पूरा कार्यक्रम रद्द कर वहां से निकलना चाहिए था और मरकज़ खाली करना था मगर वे लोग वहीं रुके रहे। मतलब ये लोग लॉकडाउन की घोषणा होने का इंतज़ार कर रहे थे? ये हठधर्मिता नहीं हुई क्या?

मरकज़ में ठहरे लगभग 2000 जमातियों में से 216 व्यक्ति विदेशी थे जिनमें इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, नेपाल, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका और किर्गिज़स्तान से आए लोग शामिल थे। इन विदेशी लोगों को क्यों उनके देश नहीं भेजा गया? जबकि लॉकडाउन के लगभग 1 हफ्ते पहले अंतराष्ट्रीय उड़ानों को बंद करने का ऐलान हुआ था।

मगर तब क्या ये लोग सो रहे थे या छिपकर बैठे थे? देश के कुछ जमाती समर्थकों का कहना है कि भारतीय दूतावास को विदेश से आए व्यक्तियों की तमाम जानकारी थी कि अभी भी इतने विदेशी व्यक्ति देश में ठहरे हुए है।

मगर उन लोगों को मैं जवाब देना चाहूंगा कि भारतीय दूतावास को यह नहीं पता था कि वह 212 विदेशी लोग लगभग 1800 अन्य तबलीगी जमात के लोगों के साथ एक ही मरकज़ में एक साथ अभी भी रह रहे हैं।

देश की सुरक्षा को देखते हुए मक्का-मदीना और उमरा की यात्रा को रद्द कर दिया गयाहमारे देश के तमाम मस्जिदों में सिर्फ 1 या 2 लोग प्रसाशन की अनुमति से नमाज़ अदा कर रहे हैं। यहां तक कि दिल्ली के प्रसिद्ध जामा मस्जिद जहां कभी लाखों लोग एक साथ नमाज़ अदा करते थे वहां मात्र 1 काज़ी साहब ने जुम्मे की नमाज़ पढ़ी और यह ऐलान किया गया कि सभी अपने घर नमाज़ पढ़े।

तो क्या देश हित मे मरकज़ी जमात का यह फर्ज़ नहीं था कि कार्यक्रम वक्त से पहले ही रोककर सबको अपने-अपने घर सुरक्षित भेज दिया जाए?

मगर दिल्ली निज़ामुद्दीन मरकज़ के ऐसे गैर कानूनी कृत्य पर उनके समर्थक खुद की गलती मानने की बजाए देश से पलायन कर रहे लाखों गरीब मजदूरों के साथ अपना मुद्दा जोड़कर तुलना कर रहे हैं जो सरासर गलत है। वे गरीब लोग भूख की वजह से पलायन कर रहे हैं ना कि विश्वव्यापी महामारी के बीच एक जगह छिपकर अपनी कट्टर मानसिकता का परिचय देने के लिए!

मेरा उन कट्टरपंथियों से सवाल है यह है कि 24 मार्च् तक का इंतज़ार क्यों किया गया? फिर लॉकडाउन के बाद 28 मार्च को पुलिस को सूचना देकर मदद रुपी दिखावा कर रहे थे?

मरकज़ के अंदर लोग संक्रमित थे। कुछ लोग मरने की स्थिति पर आ गए थे तब जाकर इन लोगों ने कुछ संक्रमित लोगों को अस्पताल पहुंचाया फिर ये सारा माज़रा उजागर हुआ। इन चंद कट्टरपंथियों की गलती से आज पूरा मुस्लिम समाज देश में बदनाम हुआ।

देशभर से जो हज़ारों तबलीगी जमाती दिल्ली से होकर पूरे देश के विभिन्न इलाकों फैल गए, अब उन व्यक्तियों की खोज हो रही है क्योंकि उनमें भी कोरोना वायरस के पॉज़िटिव होने की पूरी संभावना है। जिन तब्लीगियों को आइसोलेटेड किया गया है, वे भी साथ-साथ कड़े होकर नमाज़ पढ़कर आइसोलेशन के नियमो की धज्जियां उड़ा रहे हैं। मतलब ये लोग चाहते क्या हैं?

यह घटना निंदनीय है जिसकी वजह से सम्पूर्ण देश में आज कोरोना वायरस तेज़ गति से फेल रहा है और देश के तमाम इलाकों से जहां मरकज़ निज़ामुद्दीन से आए तबलीगी जमात के लोग या उनके सम्पर्क में आए लोग कोरोना पॉज़िटिव निकल रहे हैं।

अब इन तबलीगियों की वजह से देश के लाखों अन्य मुसलमानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पुलिस घर-घर जाकर तलाशी ले रही है और तो और अब लोग अफवाह यह फैला रहे हैं कि मुस्लिम लोगों को हॉस्पिटल ले जाकर झूठी पॉज़िटिव रिपोर्ट बनाकर ज़हर का इंजेक्शन देकर मार दिया जाएगा।

ऐसी अफवाह के बाद ही पत्थर मारने जैसी घटना इंदौर में हुई और इंदौर में जिन डॉक्टरों को पत्थर मारकर भगाया गया, उनमे से एक मुस्लिम महिला डॉक्टर ज़ाकिया भी थी।

देश के मेडिकल स्टाफ में लगभग 30% मुस्लिम हैं, तो कोई कैसे ऐसा अमानवीय कृत्य करेगा? खुदा के लिए ऐसी अफवाह ना फैलाएं। वरना लोग भय के मारे कोरोना की जांच करवाने नहीं जाएंगे जिसका खामियाज़ा पूरे देश को भुगतना पड़ेगा।

मैं ऐसी कट्टर मानसिकता के खिलाफ हूं जिसमें इबादत का तकब्बुर हो और आंख बंद करके बस एक ही कार्य कट्टरता के साथ किया जाए। ना समाज का हित देखा जाए और ना ही देश हित। इन तबलीगी मौलानाओं को इस्लाम धर्म के नाम पर लोगों को डराने की जगह इस्लाम धर्म की अच्छाइयां बतानी चाहिए।

मगर ये कट्टर मानसिकता के लोग धर्म के नाम पर लोगों को डराकर उनका ब्रेन वॉश करते हैं। ऐसी विकट परिस्थिति में लोगों की मदद करो, गरीबों को खाना खिलाओ, मास्क, सैनिटाइजर बांटो ओर अगर कुछ नहीं कर सको तो कम-से-कम लॉकडाउन का पालन करके अपने घर में बैठे रहो जिससे ओरों की समस्या कम हो सके।

कुछ तबलीगी समर्थकों का कहना है कि लॉकडाउन में कहा गया था कि जो व्यक्ति जहां है वहीं रहे। इसलिए हम मरकज़ में रहे मगर उनसे मैं यह पूछना चाहता हूं कि क्या तुम लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग को मेंटेन किया? नही ना? लॉकडाउन के पूर्व ही जब देश के बड़े-बड़े धार्मिक स्थलों जैसे- शिरडी साईं मंदिर, तिरुपति बालाजी मंदिर, विट्ठल मंदिर, पंढरपुर आदि को लॉकडाउन के 1 हफ्ते पहले ही बंद कर दिए गए थे।

तो क्यों तुम लोग मरकज़ में छुपकर लॉकडाउन की राह देखी रहे थे? अब गलती की है तो खामियाज़ा भुगतना पड़ेगा। देश में विदेश से आने वाले तबलीगी जमातियों पर पाबंदी लग गई और जो देश मे रह रहे हैं उनका वीज़ा रद्द कर दिया गया है।

आने वाले वक्त में तबलीगी जमात जैसे संगठन पर भारत देश में भी पाबंदी लगाई जाएगी, क्योंकि इतनी मौतों के ज़िम्मेदार वही लोग हैं वरना यह वायरस इतनी तेज़ी से नहीं फैलता। यह काफी शर्मनाक घटना थी। इन कट्टरों से तो नास्तिक होना बेहतर है।

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