Site icon Youth Ki Awaaz

“लिखना मेरे जीवन का हिस्सा बन गया है जिसके बगैर अधूरापन महसूस होता है”

विवेक

विवेक

मेरी उम्र 14-15 साल रही होगी उस समय। मेरी समझ विकसित होनी शुरू हो गयी थी। मेरा घर एक छोटे से गाँव में है लेकिन फिर भी बचपन से ही मेरे यहां समाचार पत्र आता था। मेरे बाबा समाचार पत्र के बड़े शौकीन थे फिर घर में सब लोग अखबार बड़े चाव से पढ़ते थे।

इस परिवेश में स्वाभाविक था मैं भी समाचार पत्रों को पढूं और मैं पढ़ता भी था। उन दिनों समाचार पत्रों को पढ़ते-पढ़ते पता नहीं मुझे क्यों ऐसा लगता था कि मैं भी इन चीज़ो को लिख सकता हूं।

मन ही मन सोचता काश मेरे भी लेख मेरे छोटे फोटो सहित इस पेपर का हिस्सा होता तो कितना अच्छा रहता। उस समय मैं अपनी इस इच्छा को एक छोटी सी डायरी में लिखकर पूरी करता था।

उस समय के मेरे विषय आस-पास के वातावरण, गाँव में होने वाले चुनावों की खबरें, ग्रामीण क्षेत्रों में खेले जाने वाले क्रिकेट मैच आदि होते थे लेकिन ये सब सिर्फ डायरी तक ही सीमित रहते थे।

विवेक वर्मा।

कभी-कभार मैं इसे अपने दोस्तों को दिखा दिया करता था लेकिन मेरे दोस्त उसे पढ़कर मज़ाक उड़ाते थे। उस समय मोबाइल सब के थैले का हिस्सा नहीं था। ऐसे में सोशल मीडिया पर भी मैं नहीं लिख सकता था।

धीरे-धीरे मेरे अंदर अन्य मुद्दों पर लिखने की ललक भी जगने लगी। निर्भया की घटना के समय मैंने जब लिखा तो एक लोकल पेपर वाले ने उसको पहली बार अखबार में जगह दी।

मैं यह देखकर बहुत खुश हुआ था। बाद में मैं सोशल मीडिया पर लिखने लगा। यद्यपि लोगों ने उसे सराहा लेकिन फिर भी मुझे एक अदद प्लैटफार्म की तलाश थी।  मैं एक दिन फेसबुक पर ही Youth Ki Awaaz की एक पोस्ट पाया।

उसको पढ़ने के बाद मुझे लगा यह एक अच्छा मंच है फिर मैंने देखा कि Youth Ki Awaaz पर ऐसे बहुत सारे मुद्दे पर लेख हैं जो अन्य जगह उठते ही नहीं हैं और वे सब मेरे जैसे लोगों द्वारा लिखे गए हैं। तब से मैं लगातार Youth Ki Awaaz पर ऐसे मुद्दों पर लिखता रहा हूं।

लिखना मेरे जीवन का एक हिस्सा बन गया है। इसके बगैर मुझे अधूरापन महसूस होता है। जब तक किसी समस्या या मुद्दे पर मैं लिख ना दूं मेरे अंदर एक कश्मकश चलती रहती है।

मुझे महसूस होता है हां लिखकर मैं अमुक मुद्दे को लोगों की चर्चा का विषय बना सकता हूं। मुझे लगता है कि अगर आप किसी मुद्दे पर बोल नहीं सकते तो लिखकर ही उन उद्द्गारों को व्यक्त करें। इससे ज़रूर उस समस्या का कोई ना कोई रास्ता निकलेगा।

Youth Ki Awaaz ने मेरे बचपन के सपने को पूरा करने में मदद की है। उसने मेरे लेखों को अपने प्लैटफॉर्म पर जगह दी है। उम्मीद है Youth Ki Awaaz ऐसे मुद्दों को जगह देता रहेगा। 12 वर्ष के शानदार सफर के लिए Youth Ki Awaaz को बधाई।


विवेक को YKA पर फॉलो करिए- https://www.youthkiawaaz.com/author/vivekverma/
Exit mobile version