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मदर्स डे स्पेशल: प्यार माँ का!

एक दिन का Mother’s day मनाने वालो आप सबसे है एक सवाल?
हाँ, हाँ आपसे:

एक दिन Mother’s day मनाने का क्या फायदा जब उसी के खोख के जन्मे उसकी बेटी के इज्जत को तार- तार करके उसे जीवन भर का तकलीफ देते हो?
माँ से पहले वो औरत है, और उसी,
औरत को अपने पैरो का धूल समझकर हर दिन उसका तिरस्कार कर, उसके दिए हुए संस्कार का अपमान कर उसे लज्जित करते हो?
क्या यही सिखाती है माँ?
उसी माँ के बेटी को पैदा होते ही जान से मारने का षडयंत्र रचते हो?
क्या यही कहती है, माँ?
कंधे से कंधा मिलाकर चलने का ढोंग रच उसे खुद से आगे जाता देख, उसके आत्मसम्मान को ललकारते हो?
क्या यही समझाती है, माँ?
कुछ अलग करता देख, तुम औरत हो समझी। बोलने वालो तुम होते कौन हो उसके सोच को बांधने वाले?

क्या यही बतलाती है माँ?
बहन है मेरी, आंखे नीचे रखा कर; बोलने वाले भाई, दूसरो के बहनो को एक सेकेण्ड नही लगाते उंगली उठाने में?
क्या यही समझाती है, माँ?
खुद के बहन पर उंगली उठे तो , खून में उबाल मारता है , बोला कैसे किसी ने? छुवा कैसे किसी ने? जान ले लूंगा साले की? ऐसा बोलने वालो, दूसरों के बहनो पर हाथ कैसे डालते हो?
क्या यही बतलाती है, माँ?
समानता के ढोंग रचने वालो, हर पल माँ, बहन की गाली देना और ये कहना कि, अपने माँ/बहन को नही दिया। क्या यह सुन पाती है, माँ?
माँ के कदमो के जन्नत है बोलने वालेलोग, दूसरी माँ के दिए संस्कारो पर उंगली उठाते कैसे हो?
क्या यही है, माँ का सम्मान?
और अगर आप सभी अपने माओं को चाहने वाले है तो बताना जरा, उस सुनसान से 8/8 में रहने वाली माँए किसकी है?

माँ से पहले वो औरत है, जिसका वजूद, आत्मसम्मान को तुम हर पल रौंदते आये हो, पर याद रखना माँ का दिन नही हमारी रूह और जिंदगी उनसे होती हैं!
होती है उस औरत से शुरूआत जिसका तनिक भी नही है तुममे सम्मान!


Jaya laxmi
दिल की कलम से….

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