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#MyPeriodStory: मेरी माहवारी की कहानी

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मुझे याद है आज भी वो दिन जब मुझे पहली बार माहवारी अाई थी, मै इस बात से बेखबर र की माहवारी कुछ होता है ,रक्षा बंधन का त्यौहार मना रही थी, मां से ज़िद करके पहली बार शरारा सूट बनवाया , सुबह नहा कर पहली बार शरारा सूट पहना था और खुद को दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की मान रहीं थीं, राखी पर खूब इधर उधर खूब नाच रही थी , दुपट्टा जब कहीं फस जाए तो हेरोइन कि तरह दुपट्टा निकलती हुई ईखलती बलखाती और पेट में उस मीठे मीठे दर्द को पकवान में खाए पकोड़े मिठाई , छोले- कुलचे को दर्द समझ बैठी और मां के पकवानों की तारीफ और करती ताकि और खाने को मिले। खाती पीती, नाचती गाती बेखबर इधर उधर जाती और राखी बांध कर घर आ जाती , लोगो की तारीफों को सुन अपने को शीशे में निहार कर और खुद को प्यार कर देती । दिन भर की थकान और दर्द को मां से सांझा किया और मां ने गैस कहकर डाट दिया कि यूहीं पेट में दर्द रहता है, काम खाने को कहो तो गुस्सा हो जाती है और मुझे समझाया कि कम खाया कर तली चीजें क्योंंकि docotr ने मना किया था। पेट दर्द और थकान मिटाने को दिन में सो गई, उस दर्द को और ज़्यादा महसूस करती , खुद को समझाती और निर्णय लिया कि अब से कम खाना, इस दर्द को सेहन नहीं कर सकती । इस पर विचार कर रही थी कि पड़ोस से आवाज आई , फोन आया है, वह मामा जी का फोन था और मै फिर भगति हुई गई, घर में फोन नहीं था इसलिए पड़ोस में जाना पड़ता था। मामा से बात की मा ने भी और मैंने भी, मां जब बार कर रही थी मै पेट दर्द को ज़्यादा महसूस कर रही थी उदास मुंह बना कर घर लौटी, और पैर को मरोड़ती हुई लेती थी, मा अाई मा ने देखा और सीधा मुझे खड़े होते हुए कहा कि मुझे बैठ ने को कहा और मुझे एक सूती कपड़े को फॉल्ड करके दिया और समझाया की कैसे लगना है ,और लगा कर। आने को कहा, और वापस लौटने में कहती मेरा नाम लेती हुई, शायद अब वह समय आ गया है अब मुझे माहवारी के बारे में बताना चाहिए, मां नें बताया कि यह बड़े होने पर हर लड़की को होता है,इस दौरान कई बदलाव होते हैं, जैसे छाती बढ़ना, निजी अंग में बाल आना और इसी में एक बदलाव और है जिसे पीरियड आना कहते है, हर माह ये दर्द होगा इसे पीरियड, डेट या माहवारी भी कहते है। यह होना ज़रूरी है क्योंंकि इसी के होने पर एक लड़की तैयार होती है मां बनने के लिए, मां की यह बात सुनकर मै चुप हो गई, और मां ने मुझे और उन सब चिजों के बारे। में बताया जो मुझे नहीं करनी होगी, पीरियड के दौरान जैसे:- मंदिर में नहीं जाना बस, ऐसा क्यों सवाल पूछने पर मां बस इतना कहा कि ऐसा ही होता है इसलिए ,बस इसी के साथ उन बातो को मानती हुई चलती रही। दर्द होने पर उसके इलाज के उपाय किए मां। ने तली चीजे खाने से। मनकिया, एक्सरसाइज करने को कहा, और गरम पानी को सूती कपड़े में लपेट कर रखने कहा, मां ने कभी किसी और चीज के लिए मना नहीं किया, शायद भगवान की बात थी, इसलिए शयाद मां ने भी कभी कोशिश नहीं कि उस धारणा को तोड़ने की और ना ही कभी मैंने कोशिश की, इस दौरान मुझे कई परेशानी होती थी, मेरा दर्द इतना हो जाता था कि मैं पीरियड के पहले व दूसरे दिन मै कुछ कहा नहीं पाती, सोती रहती, बीपी लो हो जाता और स्कूल में जब पीरियड होते तो उस दिन पूरे दिन की पढ़ाई छूट जाती, मै पूरा दिन मेडिकल रूम में बिताती, टीचर के द्वारा कहा जाता कि जब पेट दर्द रहता हैं तो स्कूल क्यों। आते हो और पर उनसे कहना कि हिम्मत न होती की यह दर्द पीरियड का दर्द हैं, जिसका दर्द कम और कैसे होगा इसका आभास मुझे नहीं है, दिल करता था, काश मै लड़का ही होती, समय कहीं रुक जाए, मै वापस एक दिन पहले वाले दिन में आ जाऊं, इसी में साथ देती थी मेरी सहेली जो मेरे। इस दर्द को समझते हुए मेरी पढ़ाई की ज़िम्मेदारी दो दिन कि लेती की वह मुझे समझाएगी दो दिन जो भी पढ़ाई हुई, स्कूल की क्लास के दौरान बीच बीच में मेडिकल रुम में आकर मुझे लाद करती, मुझे पानी पिलाती, ज़बरदस्ती कहना खिलाती और समझाती की कुछ खाएगी नहीं तो हिम्मत आएगी कहा से दर्द सेहन करने की, घर लौटने पर मा मेरी शक्ल देख कर ही समझ जाती की मै ठीक नहीं हूं , वह मेरे लिए कपड़े निकल कर देती मेरे लिए पानी भर के बाथरूम में रख देती, और मेरा बहुत ध्यान रखती, वह पल लगता था, रुक जाए। वह मेरे लिए गरम पानी की बॉटल भर कर मुझे देती ओर कहती पैर मै रख लो आराम मिलेगा। इस दौरान कभी मुझे प्रेशर नहीं डालती थी पढ़ने का। यह दौर तब तक चलता रहा जब तक मै बारहवीं नहीं करी, यह दर्द हर माह मुझे होता और। मै ऐसी ही दर्द मै परेशान रहती। मेरी महावरी को लेकर ज़्यादा अच्छी और फैक्ट के आधार पर जानकारी तब बनी जब मै रूम टू रीड मै एक सोशल mobilizer के रूप में कार्यरत हूं, मैंने यहां काम करके जाना कि माहवारी होती क्यों है, क्या है, इसकी प्रक्रिया क्या है , और यह जानकारी हमें स्पेशल ट्रेनर व डाक्टर के माध्यम से मिलती जिसमें हम और कई अन्य सवाल जो धारणाओं से जुड़े थे, उनके बारे मे जान पाए, यह जानकारी कही ना कहीं मां के द्वारा दी गई दी गई जानकारी से मिलते थे पर अधूरी थी, उसका कारण मुझे और शायद मा को भी नही पता थे, और मैंने उस बारे में अपनी मां को भी जानकारी दी वह खुश है कि उन्हें अब इस उम्र में आकर इस बारे में पता चल रहा है, पर मै भी कभी नहीं अपनी मां की तरह कोई मनाई नहीं करुगी किसी को कुछ करने के लिए इस माहवारी के दौरान परंतु मंदिर जाने वाली धारणा को तोड़ते की कोशिश जो मैंने की वह मै आगे लड़कियों को करने को कहुगी , पर उनकी इच्छा मर्जी के अनुसार ही, माहवारी की प्रक्रिया की जानकारी सभी लड़कियों को दूगी ताकि वह किसी भी जानकारी से पीछे। बा रहें, और महावारी से जुड़ी मीथ को तोड़ सकें।

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