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मेरी रेल यात्रा और तुम्हारी रेल यात्रा में इतना अंतर क्यों ?

Poor Indian girls collecting plastic bottles for recycling. Many Indian children suffer from poverty - more than 50% of India's total population lives below the poverty line, and more than 40% of this population are children.

सुना है मैंने आज कल कि रेल चल पड़ी है,  

कुछ इधर-उधर फंसे हुए लोगों को उनके घर से जोड़ने निकल पड़ी है |

पटरी पर बीछी रेल लाइन और उमीदों पर खड़ी चाइल्ड हेल्प लाइन ||

छूक-छूक कर रेल निकल पड़ी है |||

लोगों से भरे हुए रेल के डब्बे,

वही लाल-नीले रंगों को बिखेरते हुए आगे बढ़ती चल पड़ी है |

आई आवाज़… अगला स्टेशन,

वो लाल बत्ती देख पटरी भी सुस्ता पड़ी है |

कुछ लोग अपना झोला लेकर उतरते दिखाई पड़ रहे थे ||

तो वहीं कुछ लोग जेब टटोले पैसे निकाल कुछ खरीद खाने की सोच रहे थे |||

हुई हरी बत्ती, चल पड़ी रेल गाड़ी,  

रेल की रफ्तार और बाल मजदूरों की गुहार |

झाड़ू लगा, रेल की फरशें साफ कर हाथ फैलाते बच्चे ||

नन्हें हाथ मांगते कुछ पैसे मगर झटक दिए जाते वो बच्चे |||

इतनी बेरुखी !

वही रफ्तार, वही स्टेशन, वही बदलती बत्तियाँ, मगर बच्चे अलग-अलग |||

देखा अब तक सब कुछ मगर समझ न पाया रत्ती भर,

डगमगाती रेल और डगमगाते ये नन्हें कदम |

आज़ाद भारत की बस यही है दास्तान ||

 

Picture Source: Getty Images

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