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‘स्टाकिंग चर्नोबिल’ – Movie Review

‘स्टाकिंग चर्नोबिल’ नाम की फिल्म की आखरी दो-तीन मिनट शायद उसकी सबसे बढ़िया हिस्सा है।

१५० मीटर की ऊंचाई से एक आदमी पैराशूट लेकर छलांग मारता है। उसके हाथ में एक कमेरा है। और गिरते-गिरते वह हमको यह अनोखा तस्वीर दिखता है: एक विशाल निर्माण जिसका नाम है ‘डुगा रेडार’।

यह रेडार यूक्रेन के चेर्नोबिल शहर में स्थित है जो शायद दुनिया के सबसे सुनसान जगहों में शामिल है। यहां पर करीब ३५ साल से कोई नहीं रह रहा है। बात २६ अप्रैल १९८६ की है जब चर्नोबिल की एक नुक्लियर पावर प्लांट में आग लग गयी थी। कुछ ही समय बाद नुक्लियर रिएक्टर नंबर ४ में मेल्टडाउन हुआ और पूरे शहर में घातक रेडिएशन फैल गयी। यूक्रेन की सरकार को तुरंत शहर को खाली करना पड़ा। और वह शहर सालो से खाली ही रहा।

मगर आज कल कुछ युवाएं हैं जो चेर्नोबिल लौट के उससे एडवेंचर स्पोर्ट्स का मैदान बना रहे हैं। वह अपने आप को ‘स्टॉकर’ बुलाते हैं और डुगा रेडार से कूदना उनके विभिन्न शौक में से एक है।

यूक्रेन में काफी लोग स्टाल्कर समूह से परेशान है, अधिकतर सरकारी अफसर। वह कहतें है की न सिर्फ स्टॉकर्स नियम को तोड़ने में माहिर है, वह अपने और दूसरों के जान खतरे में भी डालते है। मगर असलियत यह भी है की सर्कार की अनुमति से चर्नोबिल टूरिज्म खुले आम चलती है जो साल भर राज्य की धन बढ़ाती है।

सर्कार की तरफ से, हर एक टूर गाइड को एक गीगर काउंटर मिलती है, एक ऐसा यंत्र जो रेडिएशन का स्तर दिखाती है। जहाँ रेडिएशन स्तर के सीमा से बहार है, वहां जाना सख्त मना है। लेकिन जहाँ पर रेडिएशन शरीर के लिए हानिकारक नहीं है, टूर गाइड लोगों को बेझिजक ले जाते हैं। और स्टॉकर्स? यह साहसी व्यक्तियों जी इच्छा करें उस दिशा में चल पड़ते हैं। ब्याज की यह बात हैं की रेडिएशन से बढ़कर कई और जोखिम अपने आप को प्रस्तुत करते हैं। गर्मियों में यूक्रेन की तापमान शायद ६ डिग्री सेल्सियस से ऊपर नहीं जाती। इसका मतला हैं की सर्दी में तापमान शून्य से नीचे रहती हैं। अब सोचिये, पुलिस और गार्ड से बचके जो ‘एक्सक्लूशन ज़ोन के भीतर पहुँचते हैं, उनको किस परिस्थिति में रहना पड़ता हैं! इससे जुडी हुई समस्या यह भी हैं की एक्सक्लूशन ज़ोन में जांगले जानवीर भी रहतें हैं, खासकर भेड़िये। ठण्ड और खामोश रात में गुजरने की आवाज़ सुनके शायद कोई भी कांप जाये! पर स्टॉकर्स इस ही सब को महसून करने आते हैं चर्नोबिल।

जाहिर हैं की टूरिस्ट्स को और सुरक्षित परिष्तिथियो में चर्नोबिल की सैर कराया जाता हैं। वह दुनिया के हर कोने से इस प्रसिद्ध साइट पहुँच आतें हैं। देखने के नाम पे जो मिलती हैं वह तुरंत कुछ खास नहीं दीखते। ढहती ईमारत। खेल के मैदान जहाँ झूले ज़ंग से ढके हैं। अस्पताल के टूटे बिस्तर। और प्रिप्यट, वोह नगर जिसको खली किया गया था १९८६ में। पर इन सब की आपकी कहानी हैं, और इन कहानियों को समझना हम सब के लिए ज़रूरी हैं।

फरवरी ४, १९७० में बानी, प्रिप्यट को एक स्वर्ग के रूप में मनाया गया। इरादा यह था की इस नगर में इंसान प्रौद्योगिकी और प्रकृति सध्भाव में रह सके। यह नगर यूक्रेन का नाम रोशन करने को बनाया गया। मगर गखड़ बात यह हैं की प्रिप्यट और चर्नोबिल उसके ठीक विपरीत बने। हाँ प्रिप्यट यूक्रेन में स्थित हैं और यूक्रेन यूरोप में। पर यह हादसा कहीं भी हो सकता था। असल में ऐसे ही मेल्टडाउन जापान की शहर फुकुशिमा में हुआ था २०११ में। भारत में हम आज भी भोपाल गैस ट्रेजेडी को याद करते हैं। और आज के अख़बार में विशाखापटनम की गैस लीक की खबर आती जाती हैं।क्या इस सब में एक सबक सीखने को बाकी हैं?

इसका उत्तर शायद आपको डायरेक्टर ईयारा ली की यह रचना ‘स्टाकिंग चर्नोबिल’ में प्राप्त होगी।

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