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“सीख रहा हूं अपनी गलतियों से आज भी, हाथ पकड़कर सुधारना ना छोड़ना माँ”

mothers day

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मेरे जन्म पर दर्द तो बहुत सहा होगा

अब मेरे हर दर्द को खूबसूरती से अपना बना लेती हो माँ।

 

फिक्र में तब भी थीं आप  जब मैं गर्भ में था

चिंता अब भी है मेरी

जब चल रहा हूं अपने कदमों में माँ।

 

खुश तो तब भी हुई होंगी मेरे आने पर

और घर के दरवाज़े पर पहुंचते ही आज भी मुस्कुराती हो माँ।

 

उस दर्द को तो महसूस नहीं कर पाया था

मगर बड़ी चालाकी से आज भी हर दर्द छुपा लेती हो माँ,

मेरे छोटे से शरीर के हर हिस्से को कितनी संजीदगी से छुआ होगा

और आज भी मेरे सर के दर्द को छूकर गायब कर देती हो माँ।

 

दूर जाऊं तो जल्दी आना कहती हो

अकेले रहूं तो ख्याल रखना कहती हो,

पास रहूं तो कुछ चाहिए कहती हो

परेशान रहूं तो क्या हुआ कहती हो।

 

मेरे जन्म से पहले से मेरे हर लिए हुए कदम तक

मेरी माँ आप मेरे साथ रहती हो।

 

मंदिरों में जाकर सर तो झुकाता हूं भले ही मगर

में जानता हूं आपके चरणों में मेरा अस्तितव बसता है माँ,

किताबों के पन्ने बदलता हूं भले ही

मगर जीवन जीने के हर मायने तो आपकी बातों से सीखता हूं माँ।

 

लोग कहते हैं बदल रहा है वक्त और बदलते हैं लोग

मगर तुम्हारे प्यार को तो में हमेशा एकसा पाता हूं माँ

गुस्सा होकर चिल्लाती नहीं हो

रूठकर नफरत नहीं करती हो,

डांटकर भी मुहं नहीं मोड़ती हो

माँ आखिर इतना धैर्य कहां से लाती हो?

 

लोगों को समझना सिखाया

बोलने का सलीका समझाया माँ,

संजीदा होने का हुनर बताया

सही और गलत का फर्क बताया माँ।

 

आपके किए हुए हर त्याग को

कर्ज़ कहता है कोई तो कुछ और नाम देता है कोई

मगर मेरी तो बस इतनी सी तमन्ना है माँ,

मेरी राहों में साथ दिया है इतना

तो बस मेरे रहने तक मुझको अकेला ना छोड़ना माँ।

 

जितना छोटा था ना बस उतना ही रहूंगा मैं हमेशा

बड़ा हो गया सोचकर मेरे सर दबाना ना छोड़ना माँ।

 

सीख रहा हूं अपनी गलतियों से आज भी

हाथ पकड़कर सुधारना ना छोड़ना माँ,

दुखी भले ही करता हूं अपनी शैतानियों से

मगर मुझे देखते ही मुस्कुराना ना भूलना माँ।

 

मेरे जन्म पर दर्द तो बहुत सहा होगा

अब मेरे हर दर्द को खूबसूरती से अपना बना लेती हो माँ।

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