साल 2020, मानो कयामत का साल बनकर आया हो। विश्व समेत भारत को एक के बाद एक दर्दनाक घटनाएं और दिक्कतों का सामना लगातार करना पड़ रहा है। खुद से भी हम सभी आपस में यही कह रहे हैं कि यह दुख खत्म क्यों नहीं होता?
साल 2020 इतिहास के पन्नों में सबसे भयावह साल के नाम से याद किया जाएगा। जब इंसान और पूरी दुनिया ने कुदरत का गज़ब क्रूर रूप देखा। आज आधुनिकता से लेकर विज्ञान, कुदरत के आगे घुटने टेक कर एक जगह थमने को मजबूर है।
‘अंफन’ तूफान कुदरत का एक और प्रकोप
बुधवार को उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में साइक्लोन अम्फान ने जमकर कहर बरपाया। पश्चिम बंगाल में करीब 190 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चली हवाओं और तेज़ बारिश ने भारी तबाही मचाई। जिसके कारण जान-माल दोनों का बेहद नुकसान हुआ है जिसमें लगभग सैंकड़ों लोग मारे गए।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि कोरोना वायरस महामारी की तुलना में अंफन से स्थिति अधिक चिंताजनक हैं।
इस सुपर साइक्लोन अंफन की तबाही में सैंकड़ो लोगों की जाने गई हैं। वहीं ओडिशा में भी इसका खौफनाक मंज़र देखने को मिला है।
ओडिशा और पश्चिम बंगाल राज्यों में एनडीआरएफ की 39 टीमें तैनात रही हैं। जो बचाव कार्य में लगी हुई हैं जिसमें अब तक 6 लाख से अधिक लोगोंं सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है। लगातार एक के बाद एक संकट शायद मनुष्य के पाप के घड़े के भरने का मानो कुदरत का इशारा हो।
कोरोना वायरस की दस्तक से हुई साल की शुरुआत
साल की शुरुआत से ही कोरोना वायरस ने चीन में फैलना शुरू कर दिया जो धीरे-धीरे दुनियाभर में तेज़ी से फैल गया। कोरोना के बाद असली संकट का काल शुरू हुआ जहां भारत जीडीपी की गिरती दर और अन्य मामलों से जूझ रहा है। उसी दौरान कोविड19 वायरस की वजह से धीमी गति से चलती अर्थव्यवस्था का चक्का और धीमा हो गया।
पलायन करते मज़दूरों का दुख
पलायन करते मजबूर मज़दूरों की कहानी और पीड़ा से भी हम अछूते नहीं हैं। हर एक मज़दूर का घर की ओर यह सफर ज़िंदगी का सबसे कठिन और लंबा सफर बनता जा रहा है। जिसके दौरान कई मज़दूरों ने अपनी जान तक गंवाई और कई ने पीड़ा-कष्ट को अंतिम सीमा तक झेला। जिसे हम आप शायद महसूस भी नहीं कर सकते हैं।
ऐसी स्थिति देख सुनकर दिल दहल उठता है और दर्द एवं पीड़ा से लंबी उफ्फ निकल कर रह जाती है। तरह- तरह की तस्वीर सामने आती रहीं जो इतनी अधुनिकता के बाद भी हमारी नाकामयाबी को सामने लाती हैं। जो हमारे आपके मुंह पर तमाचा मारती हैं कि कैसे इतनी तरक्की के बाद भी हम गरीब मज़दूरों को रोटी देने और घर पहुंचाने में समर्थ नहीं हैं।