Site icon Youth Ki Awaaz

aurangabad tradegy: मजदूरों की कोई सुनने वाला नही है .

 देश में कोरोना के कारण सम्पूर्ण लॉक डाउन पिछले कई महीनों से जारी है . देशवासी घरों में बैठे हैं, डॉक्टर और  पुलिस पूरी तत्परता से अपनी सेवाएँ दे रहे हैं . इस सम्पूर्ण देशबंदी में प्रवासी मजदूरों ने जान देकर अपनी कीमत चुकाई है . इस देश को याद रखना चाहिए जिस वक़्त सरकारें अपने लोगों को हवाई जहाज भेज कर देश ला रही थी  ,उसी वक्त  प्रवासी मजदूरों की ट्रेन से कटकर जानें जा रही थी . 

आठ मई की सुबह को घर लौट रहे 16 मजदूरों की औरंगाबाद में मौत हो गयी .  जब इन्हें घर लौटने की कोई उम्मीद नही दिखी तो हजारों किलोमीटर चल कर घरों को जाने को मजबूर हो रहे होंगे . जिस वक़्त ये मारे जा रहे होंगे कोई फ्लाइट किसी हवाईअड्डे पर लैंड कर रही होगी . 

बताया जा रहा है कि चलते चलते ये लोग थक गए ,आराम के लिए झपकी ली और ट्रेन ने रौंद दिया . इसके बाद ट्विटर पे संवेदनाओं की बहार आ गयी. रेलवे ने जांच बिठा दी, रिपोर्ट आने का इन्तजार करें .

मजदुर दिवस यानि एक मई को श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की घोषणा की गयी . रेलवे ने बताया की अबतक 163 ट्रेनें चलायी गयी है . रोजी रोटी और आशियाना छीन जाने के बाद घर जाने के एकमात्र रास्ता बचता है .पिछले 52 दिनों से देश के कोने कोने से इन मजदूरों की तस्वीरें हर दिन आती रहती हैं.  आखिर क्या वजह थी की ट्रेन चलने के बावजूद ये प्रवासी मजदुर पैदल चलने को मजबूर हुए . स्थानीय प्रशासन ने इन्हें समय रहते क्यूँ नही रोका.  

रेलवे ट्रैक पर इन मजदूरों की बिखरी हुई रोटियों को आप खाने से पहले देखकर सोयें.  मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मृतकों के परिजनों को पांच पांच लाख रूपए की घोषणा करते हुए कहा मैं विशेष विमान से उच्च अधिकारियों की एक टीम भेज रहा हूँ, जो वहाँ पर मृतकों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था करेगी और घायलों को हर सम्भव मदद करेगी . विमान से उच्च अधिकारी की टीम भेजकर रोटी की कीमत तय कर दी गयी.  मेरा भारत महान.

 

 

 

 

Exit mobile version